भ्रष्टाचार

आंगनवाड़ी भवनों का किराया जेब से भरो, विभाग देगा सिर्फ आश्वासन

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अधीन आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन की स्थिति बहुत ही दयनीय है केंद्र सरकार की तरफ से बजट बढ़ाने का जोर शोर से प्रचार किया जाता है लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही होती है विभाग की तरफ से आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन के लिए आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण किया जाता है जंहा सरकारी भवन नही है उन जनपद या क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों परिसर में केंद्रों का संचालन किया जाता है लेकिन जब शहरी क्षेत्रों की बात आती है जंहा प्राथमिक विद्यालय की अमूमन कमी होती है या कस्बो कॉलोनी में आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है वंहा सरकार की तरफ से निजी भवनों में आंगनवाड़ी केंद्र चलाये जाते है जिसका किराया सरकार देती है लेकिन शहरी क्षेत्रों में भवनों का किराया ज्यादा होता है लेकिन सरकार की तरफ से अनुमानित लागत बहुत कम होती है जिससे आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को केंद्र संचालन में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है 

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अभी कुछ दिन पूर्व यूपी सरकार की तरफ से इन भवनों के किराए में बढ़ोत्तरी के आदेश जारी हुए थे लेकिन ये आदेश सिर्फ कागजी कार्यवाही बन कर रह जाते है सरकारी आदेश के अनुसार भवन का किराया का भुगतान अग्रिम नही होता है और इसका भार आंगनवाड़ी को उठाना पड़ता है साल में एक बार किराया का भुगतान किया जाता है जबकि आंगनवाड़ी कार्यकत्री को साल भर किराया अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है ये समस्या जब और भी बढ़ जाती है जब उसकी सुपरवाइजर  का किसी कारणवश तबादला या अन्य घटना होती है तब नई सुपरवाइजर इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती है और आंगनवाड़ी को इस किराए का लाभ नही मिलता है प्रदेश में आंगनवाड़ी केंद्र के भवन किराए का लाभ न मिलने वाली आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की संख्या काफी तादाद में है जिन्हें सालो से कोई किराया नही मिला है और वो सालो से भवन का किराया अपनी जेब से खर्च कर रही है लेकिन जिला या प्रदेश स्तर से कभी इसकी छानबीन नही की गई कि इस आंगनवाड़ी केंद्र का भवन किराया कंहा से आता है आंगनवाड़ी विभाग के चक्कर काटती रहती है और उसे मिलता है सिर्फ आश्वासन

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इसका हर जिले में बहुत उदाहरण मिल जायेंगे लेकिन जनपद एटा की बात की जाए तो यंहा आंगनवाड़ी को 10 साल से भवन किराया नही मिल सका है लेकिन इसके भवन मालिक को इससे कोई मतलब नही होता है उन्हें भवन का किराया कार्यकत्रियों द्वारा अग्रिम भुगतान करना होता है लेकिन आखिर सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि  विभाग द्वारा भवन किराए मद में जारी बजट का क्या होता है इतनी बड़ी राशि कंहा जाती है या इसमें कोई बहुत बड़ा गड़बड़झाला तो नही है
जबकि जनपद के सीडीपीओ संध्या द्वारा कहा गया है कि जनपद में कोई भी आंगनवाड़ी केंद्र निजी भवनों में संचालित नही किये जायेंगे आंगनवाड़ी केंद्रों से आवेदन मांगे जा रहे है
वही जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि पिछले दस वर्षों से किसी भी आंगनवाड़ी केंद्रों की निजी भवनों में संचालन की कोई प्रक्रिया नही हुई है

2011 में आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए कार्यकत्रियों ने किरायानामा व अन्य कार्यवाही पूरी करते हुए समस्त दस्तावेज जिला कार्यालय में जमा किये थे  और आंगनवाड़ी वर्करों ने निजी भवनों को किराए पर हुए उनमें केंद्र संचालन कर रहे है पिछले 10 वर्षों से इन भवनों का किराया कार्यकत्रिया स्वयं भवनों का भुगतान कर रही है

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ये स्थिति लगभग सभी जनपदों की है जंहा शहरी क्षेत्रों में सरकार द्वारा केंद्र संचालन के लिए कोई भवन या प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था नही होती है उन क्षेत्रों में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को निजी भवनों को किराए पर लेकर संचालन करना होता है लेकिन सरकार की तरफ से इसका भुगतान की कोई समय सीमा नही होती है और आंगनवाड़ी को ही इसका भुगतान करना पड़ता है कभी कभी इसका पूर्ण रूप से भुगतान न मिलने के कारण इसका भार आंगनवाड़ी को ही उठाना पड़ता है

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आंगनवाड़ी उत्तरप्रदेश एक गैर सरकारी न्यूज वेबसाइट हैं जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा संचालित बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों की गतिविधियों ,सेवाओ एवं निदेशालय द्वारा जारी आदेश की सूचना प्रदान करना है यह एक गैर सरकारी वेबसाइट है और आंगनवाड़ी उत्तरप्रदेश द्वारा डाली गई सूचना एवं न्यूज़ विभाग द्वारा जारी किए गए आदेशों पर निर्भर होती है वेबसाइट पर डाली गई सूचना के लिए कई लोगो द्वारा गठित टीम कार्य करती है

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