रामपुर जिले मे जिला प्रशासन ने कुपोषित बच्चो का कुपोषण दूर करने के लिए तीन साल पहले अभियान चलाया था जिसमे विभाग को सफलता भी मिली थी लेकिन अभी भी जिले से कुपोषण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
बाल विकास विभाग ने आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा कराये गए सर्वे के दौरन जून में डेढ़ हजार से ज्यादा अतिकुपोषित बच्चो की तलाश की है। इससे पहले मई माह मे 1937 अतिकुपोषित बच्चे मिले थे इसके लिए इन अतिकुपोषित बच्चो को दुगना पोषाहार भी दिया गया था जिसकी वजह से इनमें से अधिकतर बच्चे कुपोषण से बाहर हो हो गए।
बाल विकास विभाग मे कार्यरत आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा वजन दिवस मनाया जाता है जिसमे बच्चे की लंबाई और वजन लिया जाता है। पिछले दो माह मे आंगनवाड़ी द्वारा वजन और ऊंचाई के आधार पर डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चो को अतिकुपोषित की श्रेणी मे पाया गया है।
इस संबंध मे जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र कुमार जायसवाल का कहना है कि जिले में बच्चों को कुपोषण से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अतिकुपोषित बच्चो को दुगना राशन दिया जा रहा है। जिसकी वजह से जिले मे अतिकुपोषित बच्चो की संख्या घट रही है। जो बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी मे है उन बच्च्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज कराया जा रहा है। वर्तमान समय मे पोषण पुनर्वास केंद्र में भी 20 बच्चे भर्ती हैं।