बाल विकास विभाग मे सबसे ज्यादा भ्रष्ट अधिकारी, एक और अधिकारी सस्पेंड
आंगनवाड़ी न्यूज
बाल विकास विभाग मे सबसे ज्यादा भ्रष्ट अधिकारी है इसका समय समय पर खुलासा होता रहा है। जिन्हे शासन से निलंबित किया गया है या निलंबन की फाइल निदेशालय में पेंडिंग पड़ी है। कुछ अधिकारी अपने रसूख और रुतबे से निलंबन के साथ साथ ट्रांसफर भी रोके हुए है। अब इसी क्रम मे एक और डीपीओ को निलंबित कर दिया गया है।
सोनभद्र जिले मे नियुक्त बाल विकास विभाग के डीपीओ राजीव सिंह को निलंबित कर दिया है। ये कार्यवाही शासन स्तर से की गयी है।
प्रमुख सचिव बाल विकास विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार फतेहपुर जिले के तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी (वर्तमान मे सोनभद्र) पर अपने विभाग के कर्मियों से अवैध वसूली से लेकर आंगनवाड़ी कर्मचारियों के मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप हैं।
अब इस संबंध मे प्रदेश शासन ने डीपीओ को मंडलायुक्त कार्यालय विंध्याचल से संबद्ध किया है। डीपीओ पर लगाए गए आरोपों की जांच बाल विकास विभाग के अपर निदेशक वित्त को सौप दी है।
अवगत हो कि डेढ़ साल पहले राजीव सिंह फतेहपुर जिले में डीपीओ के पद पर नियुक्त थे उसी कार्यकाल मे डीपीओ की कार्यशेली के संबंध मे शासन से शिकायत की गई थी।
शासन से की गयी शिकायत के अनुसार डीपीओ एक बड़े पर नियुक्त होने के बाद भी उनकी कार्यशेली और व्यवहार कर्मियों के प्रति ठीक नहीं था। जबकि उनके कर्मियों मे महिलाओ की संख्या ज्यादा होती थी इसके बावजूद भी डीपीओ का आचरण इसके विपरीत था।
वैसे तो बाल विकास विभाग मे सबसे ज्यादा भ्रस्ट अधिकारी होते है इस विभाग मे अधिकारियों द्वारा महिला आंगनवाड़ी कर्मियों से पैसे की अवैध वसूली करना एक आम बात हो गई है।
अगर कोई आंगनवाड़ी शिकायत करती है तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है जिससे बहुत से आंगनवाड़ी इन अधिकारियों का शोषण झेलती रहती है।
शासन ने डीपीओ राजीव कुमार सिंह को शिकायत के आधार पर दोषी मानते हुए राज्यपाल की स्वीकृति के बाद तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है
साथ ही इसकी जांच के लिए बाल विकास विभाग के अपर निदेशक (वित्त) लखनऊ को जांच अधिकारी नामित किया है। जिले के सीडीओ सौरभ गंगवार का कहना है कि अभी डीपीओ के निलंबन के संबंध मे कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
संयुक्त सचिव अशोक कुमार तिवारी द्वारा जारी पत्र में जांच पूरी होने तक विंध्याचल मंडल के आयुक्त कार्यालय से संबद्ध किया गया है। इस निलंबन अवधि में डीपीओ को सिर्फ जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि दी जाएगी। लेकिन इसके लिए उन्हें अन्य माध्यम से आय न होने का प्रमाण पत्र देना होगा।