भ्रष्टाचार

सीडीपीओ का प्रभार संभाल रही सुपरवाइजर की अवैध वसूली

 

बाल विकास व पुष्टाहार विभाग  में आये दिन भ्रष्टाचार की खबरे आती रहती है जिसमे अधिकांश सुपरवाइजर, सीडीपीओ द्वारा अवैध वसूली आम विषय बन कर रह गया है जब इन अधिकारियों पर जांच बैठाई जाती है तो मात्र खानापूर्ति करके केस दबा दिया जाता है कई जिलों में जब अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का दबाब बढ़ता है तो अपने से नीचे कर्मचारियों पर ही आरोप लगा कर खुद बच जाते है 

कन्नौज-: तहसील तिर्वा भवन के उमर्दा ब्लॉक बाल विकास परियोजना कार्यलय में सीडीपीओ का चार्ज संभाल रही सुपरवाइजर सुधा रावत पर आंगनवाड़ी वर्करों से अवैध वसूली की वीडियो वायरल हुई है जिसमें आंगनवाड़ी से 500 ,500 रुपए की वसूली हो रही थी 
तिर्वा भवन के पास ही परियोजना कार्यालय है जिसमे पोषाहार वितरण व सुपरवाइजर द्वारा आंगनवाड़ी वर्करों के साथ मीटिंग व अन्य  संबंधित कार्य  भी होते है तीन दिन पूर्व 6 अगस्त को आंगनवाड़ी वर्करों को बुलाया गया था जिसमे सभी आंगनवाड़ी 500 रुपए  सीडीपीओ प्रभारी सुधा रावत को दे रही थी इसी बीच किसी ने इस अवैध वसूली की वीडियो बनाकर वायरल कर दी


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इस बाबत सुपरवाइजर से संपर्क किया गया तो उन्होंने किसी घटना साफ इंकार कर दिया और कहा कि मेरे द्वारा कोई पैसा नही लिया गया है वीडियो वायरल की सूचना डीपीओ का प्रभार देख रही नीलम कटियार मिल गई है डीपीओ से सम्पर्क करने पर उन्होंने सुपरवाइजर का ही पक्ष लेते हुए संपर्क किया लेकिन सुधा रावत ने फोन रिसीव नही किया
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जब नीलम कटियार से इस संबंध में कार्यवाही की बात की तो उन्होंने कहा कि पहले पूरी जांच की जायेगी तभी कुछ बताया जा सकता है जबकि वीडियो में साफ साफ दिखाई दे रहा है कि सुधा रावत आंगनवाड़ी वर्करों से 500 रुपए ले रही है
ये कोई नई बात नही है आंगनवाड़ी वर्करों से पैसे की अवैध उगाही और अधिकारियों के बीच आपसी बंदरबांट का खेल बरसो पुराना है जो हमेशा से चलता आ रहा है भवन किराये से लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों की स्टेशनरी, दरी,वजन मशीन,पोषाहार में आंगनबाड़ी वर्करों से अवैध उगाही करके सुपरवाइजर से लेकर डीपीओ तक सभी की हिस्सेदारी तय होती है अगर कभी इस भ्रष्टाचार का खुलासा होता है तो इसके आरोप में उन आंगनवाड़ी को फसा दिया जाता है जो आंगनवाड़ी पैसे देने में आनाकानी करती है फिर मीडिया को बुलाकर अधिकारियों द्वारा स्टेटमेंट दी जाती है कि ये आंगनवाड़ी भ्रष्टाचार में लिप्त है और आंगनवाड़ी पर केंद्र न खोलने पोषाहार का वितरण न करना आदि का आरोप लगाकर स्पस्टीकरण जारी कर दिया जाता है  फिर उनका मानदेय रोक कर प्रताड़ित किया जाता है आंगनवाड़ी अपने मानदेय के लिए कार्यालय के चक्कर लगाती रहती है कभी कभी तो आंगनवाड़ी को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी कर दिया जाता है

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