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सीडीपीओ की लापरवाही के चलते आंगनवाड़ी वर्करों की प्रोत्साहन राशि फंसी, वेतन रोका

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मैनपुरी  जिले में कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए जिला अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन वर्ष 2015 से किया जा रहा है। जिला अस्पताल में संचालित पोषण पुर्नवास केंद्र में बच्चों को भर्ती कर उनका प्रॉपर उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। यहां एक दिन से पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। भर्ती किए जाने के बाद बच्चे 14 से 30 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर को वापस जाते हैं। यहां दीवारों पर अक्षर ज्ञान के साथ कुछ तस्वीरें भी बनवाई गई हैं। एनआरसी केंद्र में भर्ती बच्चों की देखभाल के लिए उसकी मां को भी साथ रहना पड़ता है। जहां उनके रहने व भोजन की व्यवस्था के लिए प्रतिदिन 50 रुपये का भुगतान किया जाता है।

तीन स्तर पर कुपोषित बच्चों की होती है पहचान : पोषण पुर्नवास केंद्र पर तैनात ड्यूटीनिस्ट सारिका चौहान बताती हैं कि पोषण पुर्नवास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों के पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे के बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तर पर जांच के दौरान बच्चे कुपोषित की श्रेणी में रखकर उसे भर्ती कर 14 दिन से लेकर 1 महीने तक उपचार के साथ पौष्टिक आहार दिया जाता है।

एएनएम, आगंनबाड़ी कार्यकत्री, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सर्वे करके कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और बच्चों को बेहतर उपचार के लिए एनआरसी केंद्र लाती हैं। इसके लिए आशा एवं सेविकाओं को 200 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जिससे वह गांव-गांव में जाकर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें भर्ती करवा सकें।

हाथरस में यूनियन की जिला अध्यक्ष ने मांगो को लेकर ज्ञापन दिया

हाथरस के सादाबाद में आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ हाथरस की जिलाध्यक्ष आशा दीक्षित ने मंगलवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मंगलवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में जिलाध्यक्ष आशा दीक्षित ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। मुख्य सेविका के पद पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियो को प्रमोशन दिए जाएं। कार्यकत्रियो व सहायिकाओं को 62 वर्ष की उम्र में जबरन सेवानिवृत्त कर पूरी जिंदगी सेवा करने के बाद भी उन्हें खाली हाथ बैठाया जा रहा है। इन कार्यकर्ताओं को एक मुश्त धनराशि के रूप में कुछ दिया जाए। स्वयं सहायता समूह द्वारा दिया जाने वाला राशन आंगनबाड़ी केंद्रों तक पूरा नहीं पहुंचता, इसलिए पूरा राशन उपलब्ध कराया जाए। बिना प्रशिक्षण के आंगनबाड़ी पोषण ट्रेकर की फीडिंग नहीं कर पा रही हैं, लिहाजा प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। लाभार्थी भी ओटीपी देने से मना करते हैं। विभाग द्वारा जो मोबाइल दिया गया है, उसमें कोई एप नहीं चल रहा है। ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों पर हो रही गतिविधियों को कैसे विभाग के पास भेजा जाए। मोबाइल से काम का दबाव न बनाया जाए। जो प्रोत्साहन राशि दी गई, उसे मानदेय के रूप में परिवर्तित किया जाए

सीडीपीओ की लापरवाही के चलते प्रोत्साहन राशि फंसी

रदोई  शासन के आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, मिनी आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकत्रियों व सहायिकाओं को प्रोत्साहन धनराशि देने में कोताही बरतने वाले जिम्मेदारों के विरुद्ध कड़ा निर्णय लिया है। डीपीओ बुद्धि मिश्रा ने सभी 19 ब्लॉकों व शहर परियोजना के सीडीपीओ का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। कार्यकत्रियों, सहायिकाओं का डॉटा पीएफएमएस पर फीड न करने व पोषण ट्रैकर एप पर पोषाहार वितरण न करने पर सभी सुपरवाइजर्स के वेतन रोकने के भी निर्देश दिए गए हैं।

डीपीओ बुद्धि मिश्रा ने बताया सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का नाम, आधार व बैंक खाते की डिटेल पीएफएमएस पर फीड करनी है। इसके साथ ही उनके द्वारा पोषण एप पर की गई फीडिंग का डिटेल भी फीड करते ही प्रोत्साहन धनराशि सीधे पीएफएमएस के माध्यम से उनके बैंक खाते में पहुंच जाएगी। पर जिम्मेदारों की लापरवाही से अब तक कार्यकत्रियोंको सितंबर से अब तक प्रोत्साहन धनराशि नहीं मिल पाई है।

आंगनबाड़ी केंद्र पर पंजीकृत शतप्रतिशत लाभार्थियों को पोषाहार वितरण व उसकी फीडिंग पोषण ट्रैक पर फीडिंग करने के साथ ही लाभार्थियों का डाटा फीड करने पर प्रोत्साहन धनराशि दिए जाने के निर्देश थे। शासन के निर्देशों के क्रम में बेहतर काम करने वाली कार्यकत्रियों को 1500 रुपए, मिनी आंगनबाड़ी केंद्र कार्यकत्री को 1250 रुपए, सहायिका को 750 रुपए बतौर प्रोत्साहन दिया जाना था।

लेकिन जनपद के किसी भी ब्लॉक के बाल विकास परियोजना अधिकारी अपनी परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्रों व कार्यकत्रियों से संबधित रिपोर्ट नहीं दे सके हैं। कार्यकत्रियों-सहायिकाओं का डाटा भी पीएफएमएस पर फीड नहीं किया है। डीपीओ ने बताया जब तक सीडीपीओ व सुपरवाइजर्स कार्यकत्रियों व सहायिकाओं का डाटा अपलोड नहीं करवाएंगी और उसको पोषण ट्रैकर पर अपलोड किए जाने का डाटा उपलब्ध नहीं करवाएंगे तब तक वेतन नहीं देंगे।

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को पोषण ट्रैकर एप चलाने के लिए मिले स्मार्ट फोन के साथ ही मोबाइल रिचार्ज देना था। शासन के निर्देशों के तहत दो सौ रुपए प्रति आंगनबाड़ी प्रति माह देना था। डीपीओ ने बताया डाटा अपडेट होते ही धनराशि कार्यकत्रियों के बैंक खाते में भेज दी जाएगी

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