अमरोहाआंगनवाडी केन्द्रों की गतिविधियाकुपोषणफतेहपुर

कुपोषण खत्म करने में करोड़ो बहाये नतीजा बेअसर

स्वास्थ्य विभाग की करोड़ो की योजनाएं और अधिकारियों द्वारा गोद लिए गए गांव के बाबजूद भी जनपद में कुपोषण खत्म करने की कवायद फ्लॉप रही

जनपद फतेहपुर में कुपोषण को भगाने की कवायद में स्वास्थ्य विभाग की और से तमाम प्रयास फेल हो गए जिलें में बच्चो का कुपोषण मिटाने के लिए प्रति माह लाखो खर्च किये जाते है जिसमे आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण व हॉटकुक्ड योजना  द्वारा कुपोषित बच्चो को  सेहतमंद का ख्याल रखा जाता है
जिले को कुपोषित से सुपोषित बनाने के लिए आला अधिकारियों द्वारा गांव भी गोद लिए गए लेकिन सब आंकड़ों के फेर में सिमट कर रह गए  कुपोषित बच्चो के इलाज के लिए पुनर्वास केंद्र खोले गए जिससे कुपोषित बच्चो का इलाज किया जा सके फिर भी जिले में 16.8 फीसदी बच्चे कुपोषित और 2.34 फीसदी अतिकुपोषित की चपेट में है
विभाग द्वारा दिये गए आंकड़े
बाल विकास सेवा व पुष्टाहार द्वारा कराए गए  279944 बच्चो के सर्वे में 47134 बच्चे कुपोषित व अतिकुपोषित की श्रेणी में आये है जिसमे सबसे बड़ा चौकाने वाला आंकड़ा है कि एक ही ब्लॉक (हंसवा) है जिसमे 6231 बच्चे कुपोषण के शिकार है जबकि दूसरे नम्बर पर मालवा में 1046 बच्चे कुपोषित है इससे अलग शहर समेत बाकी ब्लॉक में 6573 बच्चे अतिकुपोषित (लाल श्रेणी) है
जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) का बयान
बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चो के होने पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा है कि आंगनवाड़ी कार्यकत्री डोर टू डोर जाकर महिलाओ को जागरूक करने का प्रयास कर रही है महिलाओ को आंगनवाड़ी केंद्रों पर नियमानुसार समय पर गर्भवती महिलाओं व बच्चो को पोषाहार वितरण किया जा रहा है कुपोषित से सुपोषित होने में समय लगता है
कुपोषित बच्चो को चिन्हित करने में लापरवाही
सरकार द्वारा चलाई जा रही कुपोषण मुक्त अभियान को अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है
जनपद अमरोहा में अफसरों द्वारा बरती जा रही लापरवाही के चलते जिले के 3232 कुपोषित बच्चे इलाज का इंतजार कर रहे है अधिकारियों द्वारा कुपोषित बच्चो की चिन्हित करना भी भूल गए है वंही जिला अस्पताल में एन आर सी वार्ड  में भी ताला लगा दिया गया है
बाल विकास विभाग द्वारा जनपद राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम को 3232 बच्चो के कुपोषित होने की रिपोर्ट दी थी लेकिन इस टीम के पास सभी कर्मचारी व उपकरणों से सुसज्जित होने के बाबजूद बच्चो को चिन्हित करने में लापरवाही बरती जा रही है

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