जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर प्री प्राइमरी की पढ़ाई होगी शुरू,ट्रायल हुआ सफल
आंगनवाड़ी न्यूज
शामली जनपद के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रो पर प्ले स्कूलों की तर्ज पर पढ़ाई शुरू की जाएगी। इन आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चो की पढ़ाई का जिला आंगनवाड़ी कार्यकत्री ही संभालेंगी इन आंगनवाड़ी वर्करों पर अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आ गई है।
डीएम रविंद्र सिंह और बीएसए कोमल द्वारा जिले के 100 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सात सप्ताह तक बच्चों के बौद्धिक, शारीरिक, भाषा ज्ञान में वृद्धि करने के उद्देश्य से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत किए गए सर्वे में नतीजे सामने आए है कि यदि आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को भी लगातार जागरूक, शिक्षित किया जाए तो वह खुद भी सीखने में सबसे आगे रहते हैं बस सही दिशा मे सही समय पर सिखाने की जरूरत है।
आंगनवाड़ी केन्द्रो पर सात सप्ताह तक पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्री प्राइमरी लागू करने के बाद किए गए सर्वे में ये बात सामने आई है कि आंगनवाड़ी केन्द्रो के तीन से छह वर्ष तक के 23 प्रतिशत बच्चे स्वयं पढ़ाई करने और भाषा का ज्ञान लेने में ज्यादा सक्षम पाये गए है
पायलट प्रोजेक्ट के तहत इन आंगनवाड़ी के बच्चो मे शिक्षा के प्रति जागरुकता के लिए बच्चों की संख्या बढ़कर 61.36 प्रतिशत पहुंच गई। साथ ही अशिक्षा वाले बच्चे जिनकी संख्या जिले मे 55 प्रतिशत थी उन बच्चो की घटकर 8.39 प्रतिशत रह गयी है। अब इस पायलेट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद जिले के सभी 985 केंद्रों पर अगले सप्ताह से पायलेट प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी रविंद्र सिंह ने जिले के बीएसए और अन्य संबन्धित अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट के लिए दिशा- निर्देश दिए हैं।
डीएम रविंद्र कुमार ने बताया कि जिले के 100 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सात सप्ताह के लिए बच्चों को पढ़ाई के प्रति मोटीवेट, जागरुक, भाषा ज्ञान, बौद्धिक विकास के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाने का निर्णय लिया गया था। पचास से अधिक टीमों ने सात सप्ताह तक बच्चों को भाषा ज्ञान से लेकर बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक ज्ञान कराया है। जिसके कारण इन आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वयं पढ़ाई, भाषा ज्ञान करने में जिन बच्चो की संख्या 23 प्रतिशत थी वो इस कायाकल्प के बाद सर्वे कराया है तो बच्चो के ज्ञान और भाषा की समझ रखने वाले बच्चो की संख्या बढ़कर 61.36 पहुंच गई। इसका असर अब उन अभिभावकों पर पड़ेगा जो आंगनवाड़ी केन्द्रो पर बच्चो को भेजने मे संकोच करते है।
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