बिना बिजली,पानी और शौचालय के आंगनवाड़ी केंद्र चलाने को मजबूर
आंगनवाड़ी न्यूज
सिद्धार्थनगर जनपद में बाल विकास विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे 50 फीसदी से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना खुद का भवन नहीं है। वर्तमान समय मे चल रहे 1604 आंगनबाड़ी केंद्र दूसरे विभागो के भवनों में संचालित किये जा रहे हैं। ये आंगनवाड़ी केंद्र जनपद के स्कूल, पंचायत भवन की इमारतों में चलाये जा रहे है इन भवनो मे ही आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन कर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
आईसीडीएस द्वारा जनपद में संचालित 3140 आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषाहार, टीकाकरण के साथ ही खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। लेकिन करीब एक से डेढ़ दशक पूर्व से चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधाओं के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च तो होते हैं लेकिन अधिकांश केंद्रों पर मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार इन आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाएं तैनात हैं। लेकिन हकीकत मे लंबे समय से भर्ती न होने के कारण इन केन्द्रो पर वर्करो की भारी कमी है साथ ही कई साल बीत जाने के बाद भी इन आंगनवाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं हो सका है।
भवनो की हालत खराब इसके अलावा समुचित देखरेख न होने से डेढ़ दशक पूर्व बने आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन जर्जर हो चुके हैं। कई क्षेत्रो मे आंगनवाड़ी भवन बैठने लायक तक नहीं हैं। जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाली की स्थिति इतनी खराब है कि शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को साफ हवा स्वच्छ पानी तक नसीब नहीं होता है। जिले के 3140 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 1089 में पीने का पानी की व्यवस्था नहीं है और 738 में शौचालय की सुविधा तक नहीं है। साथ ही 329 आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है।
जनपद के सीडीओ जयेंद्र कुमार का कहना है कि डीपीओ और सभी सीडीपीओ से बिजली, पानी और शौचालय विहीन केंद्रों की सूची मांगी गई है। जल्द ही समस्याएं दूर कर ली जाएंगी। हर साल नए भवन सीमित संख्या में बन रहे हैं। इससे व्यवस्था बेहतर हो रही है। जहां तक नए भवन निर्माण की बात है तो पत्रावली मंगाकर जांच-पड़ताल की जाएगी।