महिलाओ के लिए सीटी नर्सरी, एनटीटी (डीपीएसई- डिप्लोमा इन प्री स्कूल एजुकेशन) और डीपीएड प्रशिक्षण में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन 10 अगस्त दोपहर से शुरू होंगे। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए समय सारिणी शुक्रवार को जारी कर दी। अभ्यर्थी 8 सितंबर की शाम 6 बजे तक ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। आवेदन शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 9 सितंबर है। भरे हुए ऑनलाइन आवेदन प्रिंट करने की आखिरी तारीख 13 सितंबर की शाम 6 बजे तक है। सीटी नर्सरी और एनटीटी में प्रवेश के समय सारिणी जारी लिए केवल महिला अभ्यर्थियों से आवेदन लिए जाएंगे। प्रदेश में एनटीटी के 21 कॉलेजों में वर्तमान में 1500 सीटें हैं। प्रयागराज व आगरा स्थित दो संस्थाओं में सीटी नर्सरी की कुल 67 सीटें हैं। राजकीय महिला शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था प्रयाग -राज में डीपीएड की 25, राजकीय शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था रामपुर में 50, क्रिश्चियन कॉलेज लखनऊ में 30 व गांधी स्मारक संस्थान जौनपुर में 25 सीटें हैं।
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सी टी नर्सरी व एनटीटी की कुल सीटे | 1567 |
बीपीएड की कुल सीटें | 130 |
आवेदन करने के लिए | क्लिक करे |
आवेदन शुरू होने की तिथि | 10 अगस्त |
आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि | 8 सितम्बर |
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कुपोषित बच्चो को खोजने में लापरवाही न बरते
जनपद बस्ती की जिला अधिकारी सौम्या अग्रवाल ने अति कुपोषित बच्चों को जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र तथा कम कुपोषित बच्चों को तहसील स्तरीय पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने को कहा। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों का समुचित इलाज करने के लिए विभागीय अधिकारी कार्य करें।
बैठक में डीएम ने कहा कि आशा एवं आंगनबाड़ी अपने कार्य क्षेत्र में निवास करने वाले ऐसे सभी बच्चों की अलग- अलग सूची तैयार करेंगी। अति कुपोषित बच्चों की जांच डॉक्टर से कराकर उन्हें जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र भेजें।सभी सीडीपीओ इसकी सघन मॉनीटरिंग करेंगे, जिससे कोई भी अति कुपोषित बच्चा इलाज से न छूटे। कम कुपोषित बच्चों को तहसील के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाएगा। अन्य कुपोषित बच्चों को डॉक्टरसे जांच करा कर उनके इलाज के लिए दवा दी जाएगी।
डीएम ने निर्देश दिया है विशेष रूप से जन्म से कटे होठ वाले, टेढ़े-मेढ़े हाथ पैर वाले या अन्य किसी विकृति से प्रभावित बच्चों की आशा और आंगनबाड़ी घर-घर जाकर चिन्हित कर सूची तैयार करेंगी। ऐसे सभी बच्चों की सूची संबंधित प्रभारी चिकित्साधिकारी को उपलब्ध करा दें।
झाँसी के दो ब्लोक में लगेंगी दो पुष्टाहार उत्पादन इकाई
जनपद के दो ब्लॉक ऐसे चुना गया है जहां पर पुष्टाहार उत्पादन की इकाई स्थापित की जा सके डीएम आंद्रा वामसी ने ब्लॉक स्तर पर स्थान चयन करने का निर्देश जारी कर दिया है। कहा, जल्द फाइनल रिपोर्ट दें ताकि स्थापना के निर्माण का कार्य शुरू कराया जा सके। डीएम ने पुष्टाहार उत्पादन इकाई की स्थापना की समीक्षा की। कहा कि मिशन मुख्यालय द्वारा मैसर्स पायलट स्मिथ, हेड आफिस डिमोस्ट्रेशन लैब एण्ड वर्क्स त्रिसूर केरला नामक कार्यदायी संस्था का चयन किया गया है। प्रत्येक इकाई पर लगभग 88.16 लाख रुपया खर्च करना प्रस्तावित है। जनपद के सभी विकास खण्ड से 100 स्वयं सहायता समूह द्वारा 30 हजार रुपये की धनराशि इक्विटी के रुप में जमा करायी जायेगी ताकि पुष्टाहार उत्पादन इकाई की स्थापना हो सके। डीएम ने कहा कि पुष्टाहार उत्पादन इकाई से समूह की महिलाओं को भी लाभ होगा। महिलायें आत्मनिर्भर होंगी और उनकी आय में भी इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा इकाई से होने वाली। आमदनी का 90 प्रतिशत हिस्सा महिला समूह की महिलाओं को दिया जायेगा। आमदनी का 10 प्रतिशत इकाई में काम करने वाली महिलाओं सहित अन्य खर्च के रुप में खर्च किया जाएगा। डीएम ने पुष्टाहार उत्पादन इकाई स्थापना के लिए बुलाई बैठक में कहा कि विकासखण्ड बड़ागांव में स्थापित इकाई से बड़ागांव, बबीना, चिरगांव व बंगरा ब्लॉकों में पुष्टाहार की आपूर्ति की जायेगी। इसी तरह विकास खण्ड गुरसरांय में स्थापित उत्पादन इकाई से विकास खण्ड गुरसरांय, बामौर, मऊरानीपुर व मोंठ में पुष्टाहार की आपूर्ति की जाएगी।
राज्यपाल आनन्दी पटेल ने आंगनवाडी के प्रशिक्षण का उद्घाटन किया
राजधानी में शुक्रवार को आईईटी में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री शिशु शिक्षा का केंद्र होती हैं। इसलिए बच्चों के समग्र विकास के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में से ही प्रशिक्षक का चयन कर प्रशिक्षण कराया जाए। उन्होंने कहा कि एक शोध के अनुसार अपने जीवन का सर्वाधिक 80 प्रतिशत ज्ञान बच्चे । से 7 वर्ष तक की आयु में लेते हैं। इसलिए व्यक्तित्व निर्माण के लिए गर्भाधान से लेकर 06 वर्ष तक की शिशु शिक्षा में
आंगनबाड़ी की अहम भूमिका है। लंबे समय बाद शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए नई शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है, जिसमें बच्चों को हुनर से जोड़ने पर जोर दिया गया है। राज्यपाल ने कहा कि बालिकाएं भविष्य की माताएं हैं। इसलिए उनके स्वास्थ्य का किशोरावस्था से ही ध्यान रखा जाना चाहिए। विश्वविद्यालय स्तर पर गर्भवती महिला की देखभाल संबंधी शिक्षण भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने बाल विकास विभाग को निर्देश दिया कि वे स्वास्थ्य विभाग से गांव के अस्वस्थ बच्चों का विवरण प्राप्त कर उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर व्यवस्था बनाएं।