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समूह अध्यक्ष के बेटे ने आंगनवाड़ी के साथ की अभद्रता, रजिस्टर गायब कर पेज फाडे

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झांसी जनपद के  ब्लॉक बंगरा के ग्राम पठगुवां दितीय में महिला समूह अध्यक्ष के बेटे ने आंगनवाड़ी केन्द्र पर अभद्रता की है । आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा एसएसपी समेत अन्य विभागीय आला अफसरों से लिखित शिकायत के बाद घटना की जांच शुरू की गयी है।

गांव पठगुवां दितीय में आंगनवाड़ी शोभना सूरौठिया कार्यकत्री के पद पर तैनात है। कुछ समय पहले महिला स्वयं सहायता समूह पठगुवां की अध्यक्ष का बेटा केन्द्र पर आकर राशन बांटने को कहने लगा। इस पर शोभना ने उसके पास रखे चावल लाकर एक साथ सभी सामग्री बांट दी। उसने चावल देने से मना कर दिया। जब आंगनवाडी कार्यकत्री ने इसका विरोध किया तो वह अभद्रता करने लगा। और केन्द्र में मौजूद सहायिका रामप्यारी को धक्का देकर बाहर कर दिया और केन्द्र पर ताला लगा दिया। इसके बाद बीती एक फरवरी को चावल उपलब्ध होने पर उसे बांटा गया था। शोभना ने आरोप लगाया कि केन्द्र में रखे कई रजिस्टर गायब हें। कुछ के पेज फाड़ दिए गए थे। मामले को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने नाराजगी जाहिर की है।

आंगनवाड़ी शोभना ने अपना जांच पत्र अध्यक्ष राज्य महिला आयोग लखनऊ, पुलिस महानिदेशक लखनऊ, राष्ट्रीय अध्यक्ष मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली, एसएसपी, बाल विकास परियोजना अधिकारी बंगरा, थाना प्रभारी निरीक्षक कटेरा को भेज कर उचित कार्रवाई की मांग कर इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई है।

आंगनवाड़ी भवनों की कमी के चलते बाल विकास विभाग हुआ कुपोषित

बलरामपुर नगर में 48 आंगनबाड़ी केंद्र परिषदीय स्कूलों एवं मदरसा के उधारी भवन में संचालित है। निजी भवन न होने से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कार्य करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। जिले से कुपोषण का खात्मा करने के लिए लगातार कार्य किये जा रहे है लेकिन नौनिहालों को कुपोषण से बचाने वाला बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केंद्र खुद कुपोषण का शिकार है।

आंगनवाडी केन्द्रों पर रिक्त पदों की बड़ी समस्या

जिले में संचालित किये जा रहे 48 आंगनबाड़ी केन्द्रों में 16 प्राथमिक विद्यालय मदरसा एवं निजी स्कूल के भवन में चल रहे हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों के नौनिहालों के लिए खुद का निजी भवन भी उपलब्ध नहीं है। और इन आंगनवाडी केंद्रों को की सुचारू रूप से संचालन के जिम्मेदार सीडीपीओ कार्यालय खुद किराए के एक छोटे से कमरे में संचालित है। जानकारों की माने तो विभाग को शहर में आंगनबाड़ी केंद्र एवं परियोजना कार्यालय संचालन के लिए निजी भवन खोजे नहीं मिल रहे हैं।

शहर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र प्राथमिक पाठशाला सेवा समिति गोविंदबाग, प्राथमिक पाठशाला चिकनी, कन्या मोतीसागर, प्राथमिक पाठशाला खलवा व पहलवारा को मिलाकर 33 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। प्राथमिक पाठशाला प्राचीन गोविंदबाग, पूरबटोला, आदर्श प्राथमिक स्कूल, बालक भगवतीगंज व कन्या प्राथमिक पाठशाला के भवन में दो-दो आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। प्राथमिक पाठशाला टेढ़ी बाजार एवं बलुहा में सात केंद्र चल रहे हैं। बिशुनीपुर की एक निजी दुकान के साथ मदरसा दारुल उलूम में एक-एक केंद्र चल रहा है।

जिले का बाल विकास परियोजना कार्यालय क्षेत्र में 48 केंद्रों में संचालित है। इन केंद्रों के सापेक्ष 43 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियो की नियुक्ति है। जिनमे पांच पद रिक्त हैं। इसके अतिरिक्त 28 सहायिका बच्चों एवं गर्भवती को सेहतमंद बनाने के कार्य में लगी हुई है। विभाग अपर्याप्त संसाधनों एवं अव्यवस्था के बीच जच्चा बच्चा के साथ नौनिहालों को सेहतमंद बनाने का कार्य कर रहा है।

डीपीओ निहारिका विश्वकर्मा ने बताया कि जिले में नगर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र के निजी भवन न होने का मुख्य कारण खुद की जमीन न होना है। विभाग की पूरी कोशिश है कि बच्चों के शिक्षा व सेहत प्रभावित न होने पाए। निजी भवन की समस्या से प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है।

 

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