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20 जुलाई से शुरू होगा कृमि मुक्ति दिवस, आशा ,आंगनवाड़ी घर घर देंगी कीड़े की दवा

आंगनवाडी न्यूज़

उत्तरप्रदेश में 20 जुलाई से सभी जिलो में कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जा रहा है इसके लिए अलग अलग जिला स्तर से तैयारी की जा रही है आशा ,आंगनवाडी वर्करो को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है

उरई जिले के माधौगढ़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को लेकर प्रभारी अधीक्षक डॉ. कुलदीप राजपूत व बीसीपीएम अखिलेश सिंह की मौजूदगी में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है इस कार्यशाला में 20 जुलाई से अभियान चलाकर डोर टू डोर फाइलेरिया की दवा का सेवन के निर्देशों से अवगत कराया गया है

शुक्रवार को स्वास्थ्य केंद्र परिसर में हुई कार्यशाला में अधीक्षक कुलदीप राजपूत ने बताया कि 20 जुलाई से हर गांव में आशा ,आंगनवाडी समेत 98 टीमों को पहुंच कर फाईलेरिया की दवा खिलाने के निर्देश दिए गए है । हर टीम को हर गांव में समय से पहुंच कर फाईलेरिया की दवा अपने सामने खिलवानी है। इस अभियान टीम में शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास विभाग की आंगनवाडी वर्करो को भी लगाया गया है। इस अभियान में एक से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को एल्बेन्डाजोल की आधी गोली खिलानी है और छह साल से 19 साल के व्यक्ति को पूरी एक गोली खिलाई जाएगी। बीसीपीएम अखिलेश सिंह ने कहा कि चयनित विभाग के कोई भी कर्मचारी ड्यूटी के दिन अपनी जिम्मेदारी को निभाने में लापरवाही न करें।

बाराबंकी  जनपद में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन को लेकर सीएमओ डॉ. रामजी वर्मा की अध्यक्षता में आरसीएच सभागार में जिलास्तरीय टीओटी प्रशिक्षण का आयोजन सम्पन्न हुआ। इसमें 20 जुलाई से जिले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों एवं समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एक से 19 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को एल्बेन्डाजोल की गोली खिलाई जायेगी। छुटे हुए बच्चो के लिए 25 से 27 जुलाई को राउंड चलाकर दवा खिलाई जाएगी। इस अभियान में जिले में 15़ 35 लाख से अधिक एक से 19 साल के बालक-बालिकाओं को एल्बेंडाजोल की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है

सीएमओ ने बताया कि प्रशिक्षिण के दौरान राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान के तहत जिले में 15 लाख 35 हजार 791 को कृमि अभियान के तहत प्रतिरक्षित किया गया है। सीएमओ ने कहा कि इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग अभियान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 20 जुलाई को जो बच्चे किसी कारणवश दवा खाने से वंचित रह जायेंगे, उनको 25 से 27 जुलाई को दवा खिलाई जाएगी। स्कूलों में स्वस्थ बच्चों के शरीर में मौजूद कृमि और फाइलेरिया संक्रमण अधिक न फैले इसके लिए कृमि नाशक एल्बेंडाज़ोल की दवा का सेवन कराया जाता है।

मिर्जापुर जिले में बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 20 जुलाई को जिले के सभी प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान 11 लाख बच्चों को एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि कृमि मुक्ति अभियान के तहत 1 माह से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरियों को पेट के कीड़े की दवा एल्बेंडाजोल दिया जायेगा। इसके लिए पूरे जिले में लगभग 11 लाख बच्चों को चिह्नित किये जाने का काम शुरू हो चुका है।

बच्चो को कृमि मुक्ति दिवस के प्रशिक्षण के सम्बन्ध में दिशा निर्देश देखने के लिए क्लिक करे

सरकारी स्कूलों व कालेजों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, ईंट भट्ठों और मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को यह दवा खिलाने व देने का काम स्वास्थ्य विभाग व बाल विकास विभाग के कर्मचारियों करेंगे। जो बच्चे दवा खाने से छूट जाते हैं तो ऐसे बच्चों के लिए एक सप्ताह का अभियान भी चलाया जायेगा। यह अभियान बीते कुछ वर्षों से साल में दो बार चलाया जा रहा है। इसके पूर्व लगभग एक लाख बाइस हजार बच्चों को कीड़े समाप्त करने की दवा खिलाई गई थी। दोबारा 20 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग व बाल विकास परियोजना सेवा एवं पुष्टाहार विभाग सामजस्य स्थापित कर बच्चों को कीड़े की दवा खिलाने का कार्य करेंगे।

एल्बेंडाजोल क्या है ?

एल्बेंडाजोल एक कृमि नाशक गोली है। इसको लेने से बच्चों के पेट के कीड़े निकल जाते है। एक से दो वर्ष के बच्चों को आधी गोली पीसकर साफ पानी के साथ देने की सलाह दी जाती है। और दो वर्ष से तीन वर्ष तक के बच्चों को एक गोली पीसकर दिया जाता है।

जिला कार्यक्रम प्रबंधक राकेश तिवारी ने बताया कि कीड़े से बच्चों में कुपोषण और खून की कमी होने की सम्भावना होती है। जिसके कारण बच्चे हमेशा थकावट महसूस करते हैं। इससे बचने के लिए सफाई का वातावरण रखा जाना चाहिए। तीन वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को यह कीड़े निकालने वाली दवा को चबाकर खाना चाहिए। दवा खिलाने से पहले अभियान तिथि को बच्चे खाली पेट स्कूल न आये ।

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