गोंडा जनपद के श्रीदत्तगंज विकास खण्ड मे उतरौला क्षेत्र के कुपोषित बच्चों के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां जीवन दायक की भूमिका निभा रही हैं। ये आंगनवाड़ी कार्यकत्री सर्वे कर कुपोषित बच्चों का इलाज कराकर उन्हें नया जीवन देने का काम कर रही हैं। प्रदेश शासन ने कुपोषित बच्चों के सर्वे कर उनका इलाज कराने की जिम्मेदारी बाल विकास परियोजना विभाग को दिया है।
जनपद के उतरौला क्षेत्र मे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने क्षेत्र के लगभग एक दर्जन कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया है। क्षेत्र की आंगनवाड़ी कार्यकत्री महजबा बेगम ने सर्वे में ग्राम पिपरा राम के ढाई माह के चुन्नू लाल पुत्र फागू लाल के कुपोषित होने पर उसे संयुक्त चिकित्सालय के पोषण पुनर्वास केंद्र पर विभाग के प्रयास से भर्ती कराया। उसकी हालत गम्भीर होने पर रेफर कर दिया गया। उसे मेडिकल कॉलेज बहराइच में भर्ती कराया गया। वहां पर दो दिन तक डा. असद अली व डा. अरविंद कुमार की देखरेख में इलाज हुआ।
मां बाप की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर आंगनवाड़ी कार्यकत्री ने स्वयं इलाज का खर्च उठाकर बच्चे को स्वस्थ कराया। आज बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्री नीलम के सर्वे में चिन्हित डेढ़ माह की निधि निवासी सिकरामाफी को दो माह पहले पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराकर उसका इलाज कराया गया आंगनबाड़ी कार्यकत्री सलमा बेगम के सर्वे से चिन्हित कुपोषित बच्चे रुद्र (5 माह) पुत्र वेद प्रकाश, मोहित (10 माह) पुत्र राज कुमार निवासी मिलौली बाघाजोत व संजीत (4 माह) पुत्र हरीश चंद्र निवासी ग्राम हरिकिशना को 20 मई को स्थानीय अस्पताल से रेफर किए जाने पर तीनों बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद तीनों बच्चे स्वस्थ हैं। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकत्री नीलम के सर्वे में चिन्हित डेढ़ माह की निधि निवासी सिकरामाफी को दो माह पहले पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराकर उसका इलाज कराया गया।
संभव अभियान मे आंगनवाड़ी को मिलेगी मदर कम चाइल्ड मशीन
गाजीपुर उत्तरप्रदेश में एक जुलाई से संभव अभियान शुरू किया जा रहा है । इस अभियान के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों, गर्भवती, धात्री महिलाओं व किशोरियों का वजन करने के साथ कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों व सैम मैम को चिंहित किया जाएगा। जनपद मे सभव अभियान को सफल बनाने के लिए 4127 आंगनबाड़ी केंद्र पर मदर कम चाइल्ड मशीन दी जाएगी । जिससे आंगनवाड़ी केंद्रों पर वजन करने में कार्यकत्रियों को कोई परेशानी न हो इसके लिए बाल विकास विभाग द्वारा 3272 मदर कम चाइल्ड मशीन मंगायी गयी है।
सभव अभियान के दौरान कुपोषित और सुपोषित में अंतर करने के लिए वजन का एक मापदंड भी बनाया गया है। इसके आधार पर नवजात शिशु, गर्भवती माता, धात्री महिला व किशोरियों को चिह्नित कर कुपोषित या सुपोषित की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन मापदंड को पूरा करने के लिए लाभार्थियो का वजन करने के लिए वजन मशीन जरूरी है।
जनपद के जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडेय का कहना है कि कुपोषणमुक्त करने के लिए लगातारअभियान चलाये जा रहे है। इस अभियान मे कुपोषित बच्चों के परिजनों को भी कुपोषण से बचाव के लिए जागरूक किया जाता है। साथ ही बचाव के सुझाव भी दिये जाते है