प्री प्राईमरी की पढाई अब मदरसे में होगी ,आंगनवाडी भर्ती आरक्षण के फेर में फंसी
आंगनवाडी न्यूज़
लखीमपुर खीरी के मितौली तहसील के खाद्य निरीक्षक जावेद अख्तर ने जानकारी देते हुए बताया कि बाल विकास पुष्टाहार परियोजना की ओर से गर्भवती व धात्री महिलाओं को दी जाने वाले सामग्री की गुणवत्ता परखने के लिए मंगलवार को आकस्मिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के गोदाम में खाद्य सामग्री रखने की व्यवस्था देखते हुए साफ सफाई पर जोर दिया। खाद्य विभाग की टीम ने बाल पुष्टाहार विकास परियोजना के मितौली स्थित गोदाम का औचक निरीक्षण किया। गर्भवती व धात्री महिलाओं को दी जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता का जायजा लिया। टीम ने गोदाम से फोर्टीफाइड रिफाइंड सोयाबीन तेल का नमूना भी लिया। गोदाम में कूड़ा इधर उधर न फेकने व कोई भी खाद्य सामग्री खुली न रखने की हिदायत दी गई। खाद्य निरीक्षक ने गोदाम से फोर्टिफाइड रिफाइंड सोयाबीन तेल का नमूना भी जांच के लिए भरकर सील किया। इस दौरान सीडीपीओ मुन्नी दीक्षित सहित कई महिलाएं मौजूद रहीं।
मिर्जापुर जनपद में इस 2668 आंगनबाड़ी केन्द्र व 263 उपकेन्द्र संचालित हो रहे है इनमें 18 केंद्र ऐसे थे जिनका संचालन किराए के भवन या आसपास के विद्यालयों पर किया जा रहा था। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चें और किशोर.किशोरियां भी नही पहुंच पा रही थी। घर से केन्द्र 7 से 8 किलोमीटर दूर होने के कारण नहीं जाते थे। अब इन 18 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण की मंजूरी दे दी गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा ने बताया कि शासन स्तर से जनपद को 18 आंगनबाड़ी केन्द्रों की मंजूर मिल गई है। इससे गरीब तबके के लिए यह सबसे बड़ा व अच्छा अवसर है। अब वे अपने बच्चों को पढ़ने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भेज पाएंगे। यह आंगनबाड़ी ग्रामीण और शहर के उस आबादी वाले क्षेत्रों में खुलेगा जहां की आबादी 10 हजार के ऊपर है। जहां लाभार्थियों को केन्द्र तक पहुंचने में तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इससे विभाग से चलाये जा रहे तमाम कार्यक्रमों को शत.प्रतिशत पूरा करने में आसानी होगी। साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां अब आसानी से गृह भ्रमण कर पाएंगी और टीकाकरण का भी कार्य पूरा किया जा सकेगा। जनपद स्तर पर अभी तक 2668 केन्द्रों को संचालित किया जा रहा है। इसमें विभाग की तरफ से 84000 बच्चों को कवर किया जा रहा है।
कासगंज जनपद में आंगनबाड़ी केंद्रों पर शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का वजन दिवस आयोजित किया गया। सभी केंद्रों पर बच्चों का वजन नापकर स्वस्थ, कुपोषित व अतिकुपोषित श्रेणी में विभाजन की प्रक्रिया पूरी की गई। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोविड के नियमों का अनुपालन भी सुनिश्चित किया गया। मंगलवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी सुमित चौहान ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन दिवस पर बच्चों का वजन तौला गया। 14 को गोदभराई और 18 दिसंबर को अन्न प्रासन दिवस मनाया जाएगा। सीडीपीओ हेमलता ने जानकारी दी कि बच्चों का वजन लेकर उन्हें कुपोषित व स्वस्थ्य की श्रेणी में चिन्हित किया गया है। तैयबपुर कमालपुर में दो कुपोषित बच्चे मिले। उनके परिवार को पोषण की जानकारी दी गई है। उन्हें बच्चों को हरी सब्जियाँ, फल, दूध, आदि खिलाने के लिए कहा गया है। जिससे बच्चों को सुपोषित किया जा सके। सीडीपीओ ने कहा कि अन्नप्रासन और गोदभराई कार्यक्रम में भी बच्चों व उनकी मां की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। जिससे जनपद में कोई बच्चा कुपोषित न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर आई परिवार की महिलाओं को कोविड के नियमों के अनुपालन की जानकारी दी गई है।
आर्थिक आरक्षण में फंसी आंगनबाड़ी भर्ती
लखनऊ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती आसान नहीं दिख रही। लगभग 55 हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती मार्च में शुरू हुई थी लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण अब तक भर्ती की रफ्तार सुस्त है। वहीं, आंगनबाड़ी संघ ने भर्ती के लिए कई जिलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। महिला कर्मचारी आंगनबाड़ी संघ ने भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।
आंगनबाड़ी संघ के प्रदेश अध्यक्ष गिरीश पाण्डेय ने आरोप लगाया कि कई जिला कार्यक्रम अधिकारियों ने जानबूझकर आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की सेवा समाप्त कर दी है ताकि उन्हें दोबारा चयनित करने में मनमाने तरीके से कमाई की जा सके। इस भर्ती की लेटलतीफी की वजह से जनपद अमरोहा जिले में सरकारी की कुपोषण के खिलाफ जंग रिक्त पदों की भर्तियां न होने की वजह से परवान नहीं चढ़ पा रही है। 128 आंगनबाड़ी कार्यकत्री व 111 सहायिका की भर्ती प्रक्रिया शासन स्तर पर लंबे समय से अटकी हुई है। जिम्मेदार विभागीय अधिकारी दूसरे आंगनबाड़ी केंद्रों को अतिरिक्त चार्ज देकर सरकारी योजनाओं का लक्ष्य जैसे-तैसे पूरा कर रहे हैं। जिले में आबादी के हिसाब से 1430 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। जिनमें गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को बुनियादी शिक्षा मिलती है। बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सरकार की ओर से पुष्टाहार दिया जाता है। इसके अलावा किशोरी, गर्भवती महिलाएं व धात्री महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर पुष्टाहार व परार्मश दिया जाता है। इन केंद्रों पर 1430 आंगनबाड़ी कार्यकत्री व 1179 सहायिका तैनाती है, लेकिन मौजूदा समय में आंगनबाड़ी कार्यकत्री के 128 व सहायिक के 111 पद रिक्त हैं। जिनकी भर्ती प्रक्रिया संबंधित फाइल शासन स्तर पर लंबित है। ऐसे में स्टाफ के अभाव में इन आंगनबाड़ी केंद्रों को दूसरे केंद्रों से अटैच करके योजनाओं को लक्ष्य जैसे-तैसे पूरा कराया जा रहा है। दूसरी और अलीगढ़ बाल विकास सेवा एंव पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया कछुआ चाल चल रही है। जिले में 812 पद पर 10 हजार से अधिक आवेदन आए है। यानी एक पद को करीब 12 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। विभाग इन आवेदनों को पद वार छाटने के साथ ही ब्लाक, ग्राम पंचायत और वार्ड वार छांट चुका है। अब विभागीय अधिकारी प्रत्येक आवेदन के सत्यापन कार्य में जुटे हुए है। इसके बाद विभाग द्वारा इनकी अनंतिम सूची जारी कर कर आपत्ती मांगा जाएगा। आपत्तियों के निस्तारण के बाद फाइनल सूची जारी किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकत्री के एक पद पर कुल 20 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। जबकि सहायिका के एक पर पांच और मिनी आंगनबाड़ी के एक पद पर लगभग नौ लोगों ने आवेदन किया है। 18 सितंबर को आवेदन करने की अंतिम तारीख थी। तब से अभ्यर्थी सूची जारी होने की बांट जोह रहे हैं बस्ती में भी शून्य से छह वर्ष के बच्चों की देखरेख का जिम्मा लेने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं की नियुक्ति पिछले नौ माह से पूरी नहीं हो पाई है। मार्च 2021 से शुरू हुई प्रक्रिया कागजों में रेंग रही है। कभी सीडीपीओ से रिक्तपदों की सूची लेने में समय लगा तो कभी ब्लॉकवार पदों के आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। इसी बीच ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों को 10 फीसदी आरक्षण देने के निर्देश ने नए सिरे से आरक्षण सूची तैयार की जाएगी। जिले के 14 ब्लॉकों व एक शहरी परियोजना में कुल 2655 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन पर जिले में 500 आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री व सहायिका के पद खाली है। खाली पदों की सूचना प्राप्त करने में बाल विकास विभाग को कई माह लग गए थे। उसके बाद ब्लॉकों से आरक्षण के आधार पर खाली पदों की सूची आनी थी। ईडब्ल्यूएस दस प्रतिशत आरक्षण का होगा अनुपालन:इस सूचना को लेने के लिए डीपीओ ने आधा दर्जन पत्र लिखे। बार-बार स्मरण पत्र दिया गया। खाली पदों की आरक्षण के आधार सूची तैयार होती, इसी बीच नया शासनादेश आया कि ईडब्ल्यूएस के 10 प्रतिशत आरक्षण का अनुपालन करना अनिवार्य है। अब ईडब्ल्यूएस के आधार पर नए सिरे से रिक्त पदों का आरक्षण के अनुसार सूची तैयार करने की तैयारी चल रही है
प्री प्राईमरी की पढाई अब मदरसे में भी होगी
लखनऊ उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के राज्य के अनुदानित व मान्यता प्राप्त मदरसों में प्री प्राइमरी कक्षाएं चलेंगी। इसके लिए के.जी.(किंडर गार्डन) की तर्ज पर प्री-प्राइमरी कक्षाओं को शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। नवगठित मदरसा बोर्ड की बुधवार को होने वाली बैठक में इस पर निर्णय होगा। इसी बैठक में बेसिक शिक्षा की तर्ज पर कुछ मदरसों में पूरी तरह इंगलिश मीडियम की पढ़ाई शुरू करने पर भी फैसला हो सकता है। बोर्ड के सूत्रों के अनुसार अगले साल यूपी मदरसा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं विधान सभा चुनाव खत्म होने के बाद यानी 15 मार्च के बाद माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हाईस्कूल व इण्टर की परीक्षाओं के साथ ही करवाए जाने पर विचार किया जा रहा है। ऐसा इसलिए भी ताकि मदरसा बोर्ड के परीक्षार्थी साथ-साथ हाईस्कूल व इण्टर की परीक्षा न दे सकें। पूर्व में कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें मदरसों के परीक्षार्थी मदरसा बोर्ड की परीक्षा के साथ बोर्ड की परीक्षा में भी बैठे और दोनों परीक्षाएं उत्तीर्ण कर प्रमाण पत्र प्राप्त किये और प्रमाण पत्रों का बेजा इस्तेमाल किया। बोर्ड के चेयरमैन डा.इफ्तेखार जावेद ने कहा कि उनका पूरा प्रयास मदरसों की शिक्षा का आधुनिकीकरण किये जाने पर है। इसीलिए मदरसों की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक विषयों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीक से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसी क्रम में मदरसा शिक्षण को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए स्मार्ट क्लास, आधुनिक प्रयोगशाला, ई-बुक, ई-लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं को अपनाए जाने पर भी बोर्ड की बैठक में निर्णय लिये जा सकते हैं।