आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मिलने वाली पीएलआई मे बड़ा खेल, हर महीने 500 रुपए देकर मिलती है…
आंगनवाड़ी प्रोत्साहन राशि
उत्तरप्रदेश के बाल विकास मे मानदेय पर कार्य करने वाली आंगनवाड़ी वर्करो को सरकार अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देती है। ये राशि शासन द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रो की गतिविधियो का आयोजन करने,पोषाहार वितरण करने,पोषण ट्रेकर पोर्टल एप पर डाटा फीड करने आदि कार्यो के लिए दी जाती है।
आंगनवाड़ी कार्यकत्री और सहायिका को इस पीएलआई देने मे मुख्य सेविका की बड़ी भूमिका होती है। आंगनवाड़ी के हर माह किये गए कार्यो के आधार पर मुख्य सेविका ही पीएलआई को निर्धारित करती है। बाल विकास निदेशालय द्वारा पीएलआई को देने के लिए जारी आदेश मे श्रेणी तय की गयी है जिसमे अलग अलग कार्यो के लिए अलग अलग राशि दी जाती है।
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आंगनवाड़ी कार्यकत्री और सहायिका को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (पीएलआई) को जिला स्तर से पोर्टल पर फीड किया जाता है। इस पोर्टल का लॉगिन आई डी और पासवर्ड उस परियोजना के अधिकारी (सीडीपीओ) के पास होता है जिस परियोजना मे आंगनवाड़ी कार्यरत होती है।
सीडीपीओ के पास कार्यो की अधिकता या नियुक्ति न होने से उस क्षेत्र की मुख्य सेविका को पोर्टल पर प्रोत्साहन राशि फीड करने का कार्य दे दिया जाता है। कभी कभी मुख्य सेविका भी नियुक्त न होने से कुछ सीडीपीओ वरिष्ठ और अनुभवी आंगनवाड़ी से फीडिंग का कार्य करा लेते है।
आंगनवाड़ी को प्रोत्साहन राशि देने मे भी बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार किया जाता है जिसमे आंगनवाड़ी वर्करो से पैसे की मांग या दबाब देकर फीडिंग की जाती है जो आंगनवाड़ी पैसे नहीं देती उस आंगनवाड़ी वर्कर को प्रोत्साहन राशि से वंचित किया जाता है। आंगनवाड़ी से पैसे की मांग सीधे अधिकारी न करके अन्य आंगनवाड़ी से या मुख्य सेविका से कराते है।
इस सम्बंध मे बहुत बार अधिकारियों से इस अवैध वसूली की शिकायत की जाती है लेकिन अधिकांश कोई जांच नहीं होती या शिकायत करने वाली आंगनवाड़ी को ही प्रताड़ना और धमकियो का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इस अवैध वसूली मे कंही न कंही जिले के उच्च अधिकारियों की मिली भगत होती है।
एटा जिले के कासगंज में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का खुले तौर पर कहना है कि हमारी मास्टर ट्रेनर हमसे पीएलआई दिलाने के नाम पर 500 रुपए प्रति महीना लेती हैं। जब तक उन्हे पैसे नहीं मिलते तब तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती। जब उन्हे पैसे दे दिये जाते है तभी पोर्टल पर उनका पूरा डाटा फीड किया जाता हैं।
जिले की दूसरी परियोजना मिर्जापुर की आंगनबाड़ी कार्यकत्री का भी यही कहना है कि मास्टर ट्रेनर द्वारा पीएलआई के नाम पर 500 रुपए प्रति महीने वसूली की जाती है। जबकि ये मास्टर ट्रेनर वही आंगनबाड़ी कार्यकत्री होती हैं, जिनको टेक्निकल और काम की अधिक जानकारी होती है। विभागीय कार्यालय के अधिकारी इन अनुभवी कार्यकत्रियों को मास्टर ट्रेनर बनाकर वसूली कराते है। जबकि विभाग की तरफ से ये कोई पद नहीं है।