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रिटायर बताकर आंगनवाड़ी का मानदेय रोका, फिर मांगी 20 हजार की रिश्वत

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उत्तर प्रदेश के बाल विकास विभाग मे अधिकारियों द्वारा आंगनवाड़ी वर्करो का उत्पीड़न और शोषण चरम सीमा पर है। जिसकी आए दिन कोई न कोई आंगनवाड़ी इनके शोषण का शिकार हो रही है। अगर कोई वर्कर इनकी शिकायत करता है तो उसको नौकरी से निकालने और मानदेय रोकने की धमकी दी जाती है।

कोशाम्भी ऐसा ही एक बड़ा मामला जिले मे सामने आया है। जिले के मंझनपुर सिराथू के मलाक पिंजरी गांव की आंगनबाड़ी कार्यकत्री को सीडीपीओ ने पहले रिटायर बताकर मानदेय रोका फिर मानदेय दिलाने के लिए 20 हजार मांगे है।

आंगनवाड़ी माया देवी ने डीएम से शिकायत पत्र मे सीडीपीओ पर आरोप लगाया है कि उनके विभागीय सीडीपीओ अधिकारी ने रिटायर होने का हवाला देते हुए मानदेय रोक दिया है। फिर रुके मानदेय को दिलाने के नाम पर का 20 हजार रुपये की मांग की जा रही है। अब इस मामले मे डीएम ने जिले के डीपीओ से जांच कर रिपोर्ट मांगी है।

जिले के मलाक पिंजरी गांव निवासी आंगनवाड़ी कार्यकत्री माया देवी पत्नी सुरेंद कुमार ने डीएम को शिकायती पत्र देते हुए बताया कि बाल विकास विभाग के केन्द्रो के बच्चो को गर्म भोजन देने के लिए शासन से हाट कुक्ड फूड निधि योजना द्वारा ग्राम प्रधान और उनके संयुक्त बैंक खाते मे पैसा आता है।

लेकिन हाट कुक्ड योजना के मद का सारा पैसा प्रधान और सीडीपीओ की मिली भगत से निकाल लिया गया है। जिसके कारण बच्चे गर्म भोजना योजना से वंचित है। इसके साथ साथ सीडीपीओ ने रिटायर बताकर उनका मानदेय रोक दिया है। जबकि अभी उनके सेवाकाल के 22 साल अभी बाकी है।

जब आंगनवाड़ी ने इस सम्बंध मे सीडीपीओ से बात की तो उन्होने मानदेय दिलाने के लिए एक दलाल के माध्यम से सीडीपीओ द्वारा 20 हजार रुपये की मांग की जा रही हैं। जब आंगनवाड़ी द्वारा पैसा देने मे असमर्थता जताई तो मानसिक शोषण किया जा रहा है।

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