केंद्रीय बाल विकास विभाग ने देश के सभी राज्यो मे कुल 10609 आंगनवाड़ी सह क्रेच बनाने की मंजूरी दे दी है। इन केन्द्रो पर कामकाजी महिलाओं के बच्चों की गुणवत्तापूर्ण देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने के लिए डे केयर सेवाओं को उपलब्ध कराया जायेगा हैं।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर के अनुसार आंगनवाड़ी सह क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) की स्थापना और संचालन के लिए देश के सभी राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों से प्रस्ताव मांगे गए थे। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए सभी राज्य अपने संबंधित हिस्से का योगदान देने के लिए तैयार हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार कुल 10,609 एडब्ल्यूसीसी को अनुमति दी है। पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने 10 एडब्ल्यूसीसी की स्थापना के लिए प्रस्ताव भेजे हैं जिस पर मंत्रालय द्वारा सभी को अनुमति दे दी गई है। पश्चिम बंगाल सरकार को अभी इन स्वीकृत एडब्ल्यूसीसी को शुरू करना है।
बाल विकास विभाग मंत्रालय के अनुसार एडब्ल्यूसीसी बनाने का मकसद इसीलिए था कि जिन कामकाजी महिलाओं के बच्चो को काम के दौरान संयुक्त परिवारों से सहायता मिलती थी लेकिन अब परिवार से अलग होकर रह रही है। ऐसी कामकाजी महिलाओ को डे-केयर सेवाओं की कमी की वजह से अक्सर महिलाओं को बाहर काम करने मे समस्या आती है। इन महिलाओ को अपने बच्चों की गुणवत्तापूर्ण देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने के लिए डे केयर सेवाओं/क्रेच की तत्काल आवश्यकता है।
देखा जाये तो पूरी दुनिया मे हमारे भारत देश के बच्चो (6 महीने से 6 वर्ष की आयु तक) की देखभाल करने के आंगनवाड़ी केंद्र सबसे बड़े बाल संस्थान हैं जो बच्चों को आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।
इन केन्द्रो पर सरकार द्वारा बच्चो के खाने, शिक्षा ,टीकाकरण आदि देखभाल की सभी सुविधाएँ सुनिश्चित की जाती हैं। इसीलिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आंगनवाड़ी सह क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) के माध्यम से बच्चो की देखभाल के लिए ज्यादा सेवाओं का विस्तार किया है।
आंगनवाड़ी सह क्रेच पूरे दिन बच्चो की देखभाल मे सुरक्षित और संरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेगा। आंगनवाड़ी सह क्रेच पहल का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में ‘महिला कार्यबल भागीदारी’ को बढ़ाना है। इन आंगनवाड़ी सह क्रेच मे सभी श्रेणी की महिलाओ को सुविधा दी जायेगी चाहे महिलाओ की रोजगार स्थिति कुछ भी हो।