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आंगनवाड़ी के मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर प्रदेश मे फैलाया जा रहा भ्रम

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आंगनवाड़ी के मानदेय और नियमित कर्मचारी करने के सम्बंध मे बरसो से लोकसभा मे अलग अलग राज्यो के सांसदो द्वारा मुद्दा उठाया जा रहा है लेकिन अभी तक केंद्र मे किसी भी सरकार इन वर्करो द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

पिछले 10 वर्षो की तुलना की जाये तो अलग अलग पार्टी के सांसदो ने इस विषय पर जोरदार पक्ष रखा लेकिन बीजेपी सरकार ने आंगनवाड़ी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

बाल विकास विभाग की आंगनवाड़ी वर्करों पर जितनी राजनीति उत्तरप्रदेश मे होती है शायद ही किसी अन्य प्रदेश में होती होगी। सत्तापक्ष आंगनवाड़ी के मानदेय को जितना बढ़ा चढ़ा कर मीडिया में प्रसारित कर रहा है सच्चाई उतना ही कोसो दूर है।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2017 में कहा था हम आंगनवाड़ी को एक सम्मानजनक मानदेय देंगे साथ ही उन्हें समाज में एक पहचान मिलेगी। लेकिन सरकार बनने के 5 वर्ष बीतने के बाद भी योगी सरकार ने आंगनवाड़ी वर्करों के मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नही की।

मुख्यमंत्री द्वारा किए गए कई जिले के दौरे पर भी मुख्यमंत्री बार बार यही कहते रहे कि हम जल्द आंगनवाड़ी का मानदेय बढ़ाएंगे।इस बीच आंगनवाड़ी संघठन द्वारा लगातार धरने किए जाते रहे लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नही दिया। इसके विपरित प्रदेश में धरना प्रदर्शन करने वालो पर एस्मा लगाने का आदेश जारी कर दिया गया।

वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने आंगनवाड़ी वर्करों के मानदेय मे 1500 रुपए बढ़ोत्तरी की घोषणा की। इससे आंगनवाड़ी वर्करों में खुशी की लहर दौड़ गई लेकिन ये खुशी ज्यादा समय तक नही रह सकी।

मानदेय बढ़ोतरी के शासनादेश जारी पर आंगनवाड़ी वर्करों को पता चला कि ये मानदेय में वृद्धि नही बल्कि प्रोत्साहन राशि है जो आंगनवाड़ी अच्छा कार्य करेगी उसी को ये राशि मिलेगी क्योंकि इसमें विभाग द्वारा बहुत से नियम और शर्ते लागू की गई थी। प्रोत्साहन राशि आदेश

इसके बाद आंगनवाड़ी वर्करों का मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर विरोध जारी रहा। जिले से लेकर प्रदेश में आंगनवाड़ी वर्करों ने धरने प्रदर्शन किए जिसमे योगी सरकार ने आंगनवाड़ी वर्करों पर लाठी चार्ज भी किया जिसमे बहुत सी आंगनवाड़ी वर्करों को गंभीर चोट आई।

इसके बाद वर्ष 2022 में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आंगनवाड़ी के मानदेय में मात्र 500 रुपए बढ़ोत्तरी की घोषणा की। इसके बाद वर्तमान समय तक आंगनवाड़ी वर्करों को राज्य सरकार द्वारा मात्र 1500 रुपए मानदेय दिया जा रहा है।

जबकि देश के अधिकांश राज्यों में केंद्र सरकार के मानदेय के अतिरिक 8 से 10 हजार मानदेय दिया जाता है शायद यूपी से कम मानदेय किसी अन्य राज्य में दिया जाता होगा। 500 रुपये बढ़ोत्तरी का आदेश

लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में मंगलवार को सपा विधायक राजेन्द्र चौधरी द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय मे बढ़ोत्तरी को लेकर कहा कि वर्ष 2012 से 17 तक प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी आंगनबाड़ी कार्यकत्री हों या आंगनबाड़ी सहायिका इन सब के मानदेय में वृद्धि भी की है और इन्हें टैबलेट से आच्छादित करने के साथ-साथ अतिरिक्त आय का प्रावधान भी किया है।

तीन वर्ष पहले सरकार द्वारा आंगनवाड़ी को मोबाइल का वितरण किया गया था जबकि सरकार का कहना है कि आंगनवाड़ी वर्करों को टैबलेट दिया गया है। सरकार द्वारा दिए गए स्मार्टफोन की क्वालिटी इतनी घटिया थी कि कुछ महीने के बाद फोन हैंग होना शुरू हो गए साथ ही कुछ आंगनवाड़ी के मोबाइल की बैट्री भी फट गई। वर्तमान समय में कुल वितरण किए गए स्मार्ट फोन 90% खराब हो चुके है। जबकि मोबाइल रिचार्ज का पैसा काफी समय से नही दिया गया है

जबकि इसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। फिक्स मानदेय मे योगी सरकार ने आंगनवाड़ी के मानदेय मे सिर्फ 500 रुपये की बढ़ोत्तरी की है इसके अतिरिक्त बेहतर कार्य करने वाली आंगनवाड़ी को नियमो और शर्तो के आधार पर 1500 मे प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसमे भी अधिकांश आंगनवाड़ी को इस प्रोत्साहन राशि का लाभ नहीं मिल रहा है।

मुख्यमंत्री का कहना है कि अब आंगनवाड़ी अतिरिक्त आय भी कर रही है जबकि बाल विकास विभाग मे अतिरिक्त आय का कोई स्रोत नही है। साथ ही विधान सभा मे मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया है कि आंगनवाड़ी कार्यकत्री और सहायिका के मानदेय के साथ फिक्स पैकेज की व्यवस्था की गयी है इसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है।

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