यूपी के आंगनवाड़ी केंद्रों पर दाल ,तेल और दलिया का वितरण हुआ बंद
आंगनवाड़ी पोषाहार
यूपी के आंगनवाड़ी केन्द्रो पर कुपोषित बच्चो ,किशोरी और गर्भवती,धात्री महिलाओ को मिलने वाला राशन हाईकौर्ट के अगले आदेश तक वितरण नहीं किया जायेगा। कुछ जिले मे पोषाहार को लेकर अफवाह भी उड़नी शुरू हो गयी है जिसको लेकर मीडिया मे भी प्रसारित किया जा रहा है लेकिन हकीकत यही है कि राशन वितरण पर रोक उच्च न्यायलय द्वारा लगाई गयी है।
बाल विकास विभाग मे ग्रामीण क्षेत्रो मे भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) द्वारा के पोषाहार बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय मे आपूर्ति किया जाता है। इस कार्यालय से स्वयं सहायता समूह की महिलाओ द्वारा राशन का उठान कर आंगनबाड़ी केन्द्रो मे पहुचाया जाता है।
शासन द्वारा राशन वितरण मे पारदर्शिता बनाए रखने और महिलाओ को रोजगार देने के उद्देश्य से ग्रामीण स्तर पर राष्ट्रीय आजीविका मिशन की स्वयं सहायता समूह को शामिल किया गया था। जबकि शहरी क्षेत्रो मे नैफेड द्वारा पोषाहार को सीधे आंगनबाड़ी केन्द्रो पर सप्लाई किया जाता है।
नैफेड द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रो पर एक बार मे ही तीन माह का राशन भेज दिया जाता है जिससे लाभार्थियो को राशन वितरण मे कोई समस्या न हो उसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा हर महीने महिलाओ और बच्चो को वितरण कर दिया जाता है।
वर्ष 2021 में प्रत्यूष रावत,शिप्रा देवी एवं अन्य के नाम से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका डाली गई थी। इस याचिका मे 6 माह से 6 साल तक के बच्चों को, गर्भवती और धात्री को दिये जाने वाले पोषाहार की गुणवत्ता और मात्रा को लेकर सवाल उठाया गया था।
इस याचिका की सुनवाई करते हुए 11 नवंबर 2024 को कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 व सक्षम आंगनबाड़ी पोषण नियम, 2022 के अनुपालन की जानकारी मांगी थी। साथ ही राशन की गुणवत्ता की जांच कर चार हफ्ते मे रिपोर्ट पेश करने के साथ साथ कोर्ट के अनुमति के बिना केन्द्रो पर राशन की सप्लाई करने पर भी रोक लगा दी।