पोषाहार की गुणवत्ता और वितरण मे धांधली को लेकर हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश
आंगनवाड़ी न्यूज
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नवजात बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं (धात्री महिला) के स्वास्थ्य की हिफाजत के मामले में प्रदेश के करीब दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों की विशेषज्ञ अध्ययन रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने इसके लिए मैसूर की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक को आदेश दिया कि आंगनवाड़ी केंद्रों से मिलने वाले पोषाहार की मात्रा, नवजात बच्चों, धात्रियों के स्वास्थ्य की हिफाजत का मामला गुणवत्ता का अध्ययन कर चार हफ्ते में रिपोर्ट पेश करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने शिप्रा देवी की जनहित याचिका पर पर दिया। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने भारत सरकार को भी पक्षकार बनाने का आदेश याची को दिया है।
याचिका कर्ता शिप्रा देवी ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति किए जाने वाले पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता समेत इसके वितरण में कथित धांधली का मुद्दा उठाया है। साथ ही नियम कानून के तहत केंद्रों के संचालन, पोषाहार आपूर्ति व निगरानी करने का आग्रह किया है।
न्यायालय ने कहा है कि आईसीडीएस स्कीम के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पौष्टिक आहार की गुणवत्ता मात्रा और जिस प्रकार से प्रदेश में इस योजना को चलाया जा रहा है, इन सभी बिंदुओं के संबंध में चार सप्ताह में रिपोर्ट दी जाए। न्यायालय ने कहा कि मामले में कोई भी आदेश देने से पूर्व एक एक्सपर्ट रिपोर्ट मंगा लेना आवश्यक होगा।
न्यायालय ने कहा कि वर्ष 1975 में शुरू की गई इस योजना का मूल उद्देश्य शिशुओं और स्तनपान करने वाली माताओ के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है। न्यायालय ने कहा कि हमारे समक्ष प्रस्तुत डाटा के अवलोकन से पता चलता है कि योजना के कार्यान्वयन में, मुख्य रूप से पौष्टिक आहार के सप्लाई को लेकर, पारदर्शिता की आवश्यकता है।
शिप्रा देवी के वकील का कहना था कि प्रदेश में कुल 1,89,140 आंगनबाड़ी केन्द्रो का संचालन किया जा रहा है । इन केन्द्रो पर लगभग 1,78,706 आंगनवाड़ी वर्कर कार्यरत हैं। 31 अक्तूबर 2024 के आंकड़ो के अनुसार इन केंद्रों मे 2 करोड़ 22 लाख33 हजार 550 लाभार्थी पंजीकृत हैं।