आंगनवाड़ी भर्ती मे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: इंटर तक के नंबरों पर ही लगेगी मेरिट लिस्ट
आंगनवाड़ी भर्ती 2025

प्रदेश के बाल विकास विभाग मे चल रही आंगनवाड़ी भर्ती मे आवेदक महिलाओ का चयन मेरिट के आधार पर किया जा रहा है। ये मेरिट महिला अभ्यर्थी के अंकपत्र के नंबरो के आधार पर तैयार की गयी है जिसमे हाईस्कूल,इंटर और स्नातक के नंबरो को जोड़ा गया है।
आंगनवाड़ी भर्ती नियमावली मे कार्यकत्री पद के लिए आवेदन करने वाली महिलाओ के लिए इंटर पास होना जरूरी है लेकिन जिन महिलाओ ने स्नातक की डिग्री ऑनलाइन अपलोड की है उन महिलाओ को स्नातक के नंबर मेरिट मे जोड़कर चयन किया गया है जिससे बहुत सी महिलाए पात्र होने के बाद भी भर्ती की दौड़ से बाहर हो गयी।
इससे नाराज होकर कुछ महिलाओ ने हाईकोर्ट मे याचिका दायर कर दी है। याचिकाकर्ता चांदनी पांडेय ने अपनी याचिका मे कोर्ट को बताया कि मेरिट लिस्ट मे इसीलिए नंबर नहीं आया क्योंकि उसने सिर्फ इंटर पास के दस्तावेज़ ही अपलोड किए थे जबकि वो ग्रेजुवेट पास है। तकनीकी गड़बड़ी के कारण वह अपने आवेदन पत्र के साथ अपनी स्नातकोत्तर की डिग्री अपलोड नहीं कर सकी थी। इसीलिए उसके मेरिट मे नंबर सिर्फ इंटर पास तक के मान्य किए गए है।
इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है जिसके अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकत्री पद पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवार के पास स्नातक या परास्नातक की डिग्री होना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री के लिए मेरिट लिस्ट न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल और अधिकतम योग्यता इंटरमीडिएट के अनुसार तैयार की जानी चाहिए। इस चयन मेरिट लिस्ट को आवेदक महिलाओ की स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री को आधार बनाना गलत है।
याची के अधिवक्ता ने आंगनवाड़ी भर्ती नियमावली 2023 की धारा सात के अनुसार कोर्ट को बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायिका के पद की मेरिट सूची न्यूनतम योग्यता या समकक्ष योग्यता और अधिकतम शैक्षणिक योग्यता स्नातकोत्तर के आधार पर तैयार की जाएगी। जिसमे विभाग पहले ही स्पस्ट कर चुका है कि मेरिट लिस्ट पोस्ट ग्रेजुवेट के आधार पर तैयार की जायेगी।
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जिस पर कोर्ट ने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर योग्यता को अधिमान्य योग्यता नहीं माना जा सकता और न ही इसे अधिमान्य घोषित करने का कोई प्रावधान है साथ ही इसके लिए कोई अतिरिक्त अंक आवंटित भी नहीं किए गए हैं।
हाईकोर्ट का आदेश
न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने अपने आदेश मे कहा है कि याची चाँदनी की उम्मीदवारी केवल इसलिए खारिज नहीं की जा सकती कि वह स्नातकोत्तर डिग्री अपलोड करने मे नाकाम रही थी और उसे स्नातकोत्तर डिग्री जमा करने वाले उम्मीदवार से नीचे नहीं रखा जा सकता था। आवेदक की योग्यता उसके हाईस्कूल और इंटर के अंकों के आधार पर तय की जानी थी।