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सड़े और घुन लगे गेहूं से बनाया जाता है पोषाहार,प्लांट की हकीकत का खुलासा

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उत्तरप्रदेश की योगी सरकार बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुपोषण दूर करने के लिए गर्भवती, धात्री महिलाएं, बच्चे व किशोरियों को निशुल्क पोषाहार वितरण करती है। ग्रामीण क्षेत्रो मे इस पोषाहार को टेक टीएचआर प्लांट में समूह की महिलाएं द्वारा तैयार किया जाता हैं। लेकिन प्लांटों में पोषाहार का निर्माण करने मे गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

बाराबंकी जिले मे आंगनवाड़ी केन्द्रो के लिए पोषाहार का आठ प्लांट मे निर्माण किया जा रहा है जिसमे सिरौली गौसपुर के प्लांट में घुने गेहूं से पोषाहार तैयार किया जाता है जबकि अन्य प्लाटों पर कहीं सफाई का अभाव तो कहीं पर प्लांट पर ताला लगा हुआ है।

सिरौली गौसपुर क्षेत्र के करोरा ग्राम पंचायत में पोषाहार बनाने के लिए प्लांट लगाया गया था इस प्लांट मे केन्द्रो पर वितरण के लिए प्रतिदिन 50 कुंतल पोषाहार का उत्पादन किया जाता है। इस प्लांट मे सहायता समूह की संयुक्ता कुमारी व माला देवी कार्य कर रही है।

इस प्लांट मे घुन लगे गेहूं की पिसाई करके पोषाहार बनाया जा रहा है। साथ ही जिस गेहूं को पीसा जा रहा था उस गेहूं के दाने भी सड़े हुए थे। गेहूं की बोरियों से घुन निकल रहा है जबकि गेहूं की बोरियां भी पास में पानी होने से सील चुकी है। पोषाहार तैयार करने वाली मशीनों के पास काफी गंदगी भरी पड़ी है।

सिरौली गौसपुर के इस प्लांट में तैयार होने वाले पोषाहार को सिरौली गौसपुर और रामनगर ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आपूर्ति किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्लांट मे कोई आता जाता नहीं है। प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई भी गार्ड मौजूद नहीं है।

मसौली ब्लॉक क्षेत्र मं संचालित टीएचआर प्लांट में पोषाहार तैयार करने वाली समूह की महिलाओं ने मानदेय न मिलने के कारण आना बंद कर दिया जिससे अब ये प्लांट बंद ही रहता है। बनीकोडर ब्लॉक के सनौली गांव में बने टीएचआर प्लांट में तैयार होने वाले पोषाहार की गुणवत्ता बेहतर बताई गयी है।

निंदूरा ब्लॉक में लगे टीएचआर प्लांट के गोदाम में पोषाहार की गुणवत्ता बेहद खराब है। दो माह पूर्व क्षेत्र में आंगनवाड़ी द्वारा वितरण किये जाने पर राशन के पैकेट फटे मिले थे। इन पैकेट के अंदर पोषाहार सड़ा मिलने पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने इस पोषाहार को लेने से मना कर दिया था।

खराब पोषाहार की शिकायत पर जांच की गयी थी जिसमे गोदाम में 710 कुंतल गेहूं सड़ा पाया गया था। इसके बाद भी प्लांटों पर पोषाहार की गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए कोई प्रबंध नहीं किये गए। उसके बाद समूह की महिलाओं ने प्लांट के अंदर लोगों का प्रवेश बंद कर दिया। अब प्लांट मे अंदर से ताला लगाकर ही काम किया जाता है। जबकि हकीकत है कि खराब गेंहू को खपाने के लिये लोगो को अंदर जाने से रोक दिया गया है।

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