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बाल विकास विभाग के आंगनवाड़ी केंद्रों पर ए आई तकनीक से मिलेगा पोषाहार

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महराजगंज जिले मे अब आंगनवाड़ी वर्करो को राशन वितरण मे बहुत सी समस्याओ से छुटकारा मिल जायेगा।केन्द्रो पर पोषाहार लेने के लिए लाभार्थी के अभिभावकों और अन्य लोगो की पूछताछ और धमकियो का सामना नहीं करना पड़ेगा।

अवगत हो कि केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। जिसमे सरकारो ने खाद्य आपूर्ति, मनरेगा, उर्वरक वितरण आदि योजनाओं में ए आई तकनीक का सफल प्रयोग किया है

जिसके कारण अब बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर ए आई तकनीक के आधार पर फेस रिक्ग्निशन सिस्टम (एफआरएस) से पोषाहार वितरण करने का निर्णय लिया है। आंगनवाड़ी केन्द्रो पर पोषाहार वितरण मे समस्या और उसके भ्रष्ट्राचार को लेकर शिकायतें मिलती रहती हैं। लेकिन अब बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केंद्रों पर फेस रिक्ग्निशन सिस्टम की मदद से चेहरा की पहचान की पुष्टि के बाद ही पोषाहार मिलेगा

जिले मे संचालित तीन हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत लगभग दो लाख से अधिक बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को विभाग द्वारा पोषाहार वितरण किया जाता है। लेकिन बच्चों एवं महिलाओं को मिलने वाले इस पोषाहार वितरण के भ्रष्ट्राचार की शिकायतें मिलती रहती हैं।

इसीलिए जिले मे बाल विकास विभाग ने पोषाहार वितरण की समस्या को खत्म करने के लिए फेस रिक्ग्निशन सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। इस सिस्टम को लागू होने के बाद आंगनवाड़ी वर्करो को लाभार्थियो से होने वाली समस्याओ से छुटकारा मिल जायेगा और विभाग मे होने वाले भ्रष्ट्राचार पर भी रोक लग जायेगी।

डीपीओ दुर्गेश कुमार का कहना है कि वर्तमान समय मे फेस रिक्ग्निशन सिस्टम एक आधुनिक तकनीक है। जिसे अब बाल विकास मे लाभार्थियो को आंख के रेटिना, नाक, चेहरे के आकार की पहचान करते हुए आंगनवाड़ी को पोषाहार वितरण करना होगा।

आंगनवाड़ी कार्यकत्री पोषण ट्रैकर एप द्वारा फेस रिक्ग्निशन सिस्टम से ली गई फोटो अपलोड करेंगी। इस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बेस एप्लीकेशन से लाभार्थी की एफआरएस के माध्यम से शत- प्रतिशत पहचान करने के बाद पोषाहार वितरण किया जायेगा। इस तकनीक को लागू करने के लिए जिले मे सभी तैयारियां करने के बाद पोषाहार वितरण शुरू कर दिया जाएगा।

इस तकनीक से आंगनवाड़ी वर्करों को पोषाहार वितरण मे भी एक बड़ा लाभ मिलेगा। आंगनवाड़ी वर्करों को शिकायत रहती है कि अधिकांश लाभार्थियों के अभिभावक या अन्य लोग राशन लेने के लिए आते है अगर लाभार्थियों को बुलाने के लिए कहा जाए तो विवाद होने लगता है

ए आई तकनीक के संचालन के बाद अब लाभार्थी बच्चा हो या महिला उनको आंगनवाड़ी केंद्र आना ही पड़ेगा। जबकि बच्चो या महिलाओं के परिजन लाभार्थियों को अलग अलग बहाना बताते हुए खुद राशन लेने आते है और आंगनवाड़ी को धमकियों और अभद्र भाषा का सामना करना पड़ता है। इस तकनीक के बाद आंगनवाड़ी कार्यकत्री को इस समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा।

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