35 बीघा जमीन की मालकिन बनी गरीबी कोटे से आंगनवाड़ी,लेखपालों की असलियत का खुलासा
आंगनवाड़ी न्यूज

प्रदेश में चल रही आंगनवाड़ी भर्ती मे भ्रष्ट्राचार चरम सीमा है इसमें सबसे ज्यादा बाल विकास के अधिकारी और कर्मचारियों समेत राजस्व विभाग के लेखपाल भी शामिल है। महिला आवेदक लेखपाल को रिश्वत देकर आय प्रमाण पत्र में फर्जी आय डालकर नियुक्ति ले रही है जिससे पात्र महिलाओं को चयन से वंचित होना पड़ रहा है।
बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत सिखुईनिया कला में आंगनवाड़ी भर्ती मे आवेदक महिला और लेखपाल ने मिलकर बड़ी धांधली की है। आवेदक महिला के पास 35 बीघा जमीन है लेकिन उसने आंगनवाड़ी मे नौकरी करने के लिए लेखपाल से मिलकर फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाया है।
इस आय प्रमाण पत्र में लेखपाल हेमराज सिंह ने महिला की वार्षिक आय मात्र 46 हजार रुपए दिखाई है। इससे साफ पता चल रहा है कि लेखपाल द्वारा आंगनवाड़ी भर्ती मे चल रहा भ्रष्टाचार कितना सहयोग किया जा रहा है।
आवेदन और अभिलखो के सत्यापन के बाद जिले मे अंतिम मेरिट लिस्ट जारी की गयी थी। इस लिस्ट में पहले नंबर पर मायावती और दूसरे नंबर की महिला अभ्यर्थी अशर्फी देवी का चयन नहीं किया गया है। इन दोनों के पास अपनी कोई जमीन भी नहीं है जबकि मेरिट में तीसरे स्थान पर रही 35 बीघा जमीन की मालकिन महिला का आंगनवाड़ी के पद पर चयन कर लिया गया है।
शासन द्वारा जारी आंगनवाड़ी भर्ती 2023 नियमावली के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे यापन करने वाली,विधवा और तलाक़शुदा महिलाओ को आंगनवाड़ी भर्ती चयन मे वरीयता दी जाएगी। लेकिन जिन दो महिलाओ के पास जमीन नहीं है उन महिलाओ का चयन नहीं हुआ जबकि जिस महिला के पास 35 बीघा जमीन है उस महिला का आंगनवाड़ी केपद पर चयन कर लिया गया है।
चयन न होने पर आवेदक महिला मायावती ने 15 अप्रैल 2025 को जिलाधिकारी बलरामपुर, एसडीएम और तहसीलदार तुलसीपुर को अपना शिकायत पत्र दिया है। लेकिन स्थानीय अधिकारियों द्वारा जांच करने की बात काही गयी है। दूसरी और मायावती ने न्याय नहीं मिलने पर मुख्यमंत्री को शिकायत भेजने के लिए कहा है साथ ही स्थानीय ग्रामीणों ने भी मायावती का समर्थन करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
प्रदेश का कोई ऐसा जिला नहीं बचा जहां इन फर्जी आय प्रमाण पत्र के आधार पर अपात्र महिलाओं का चयन न किया गया हो। जिन महिलाओं का आय के आधार चयन नहीं हुआ है उन महिलाओं द्वारा डीएम और सीडीओ को शिकायत पत्र दिया जा रहा है लेकिन जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। अभी तक किसी लेखपाल और विभागीय अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की गई है।
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