खराब पड़े स्मार्टफोन से विभागीय कार्य करने का बनाया जा रहा दबाब
आंगनवाड़ी स्मार्टफोन
बदायूं जिले के बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी वर्करो को शासन द्वारा 2021 मे दिये गए स्मार्टफोन अब खराब हो चूके है। अधिकांश आंगनवाड़ी अपने निजी फोन से विभागीय कार्य को कर रही है अगर किसी आंगनवाड़ी पर स्मार्टफोन नहीं है तो जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन कार्य का दबाब बनाया जाता है।
वर्तमान समय मे प्रदेश सरकार केअधिकांश विभागों को ऑनलाइन अपडेट कर दिया गया है। इससे विभाग का कार्य तो आसान हो गया है लेकिन विभागीय कर्मचारी की टेंशन ज्यादा बढ़ गयी है। ऑनलाइन कार्यो की अपडेट फीड करने के कारण कर्मचारी अपने करने से ज्यादा फीडिंग करने मे ज्यादा समय बर्बाद कर रहे है।
यही हाल प्रदेश के बाल विकास विभाग का हो गया है। शासन के निर्देश पर आंगनवाड़ी वर्करो को 2021 मे निदेशालय द्वारा स्मार्टफोन दिये गए थे। जिसमे महिलाओं और बच्चो के वजन लंबाई समेत सभी गतिविधियो को रोजाना अपडेट करना पड़ता है। लेकिन शासन की लापरवाही के चलते आंगनवाड़ी वर्करो को मोबाइल रिचर्ग का पैसा अपनी जेब से भरना पड़ता है।
जिले मे शासन द्वारा पूर्व मे दिये गए स्मार्ट फोन अब खराब हो चुके हैं। इसकी वजह से कई बार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए आंगनवाड़ी वर्करो ने डीपीओ को स्मार्टफोन खराब होने की समस्या से अवगत कराया है जिस पर डीपीओ ने शासन से 2,940 स्मार्टफोन दिलाने के लिए निदेशालय को पत्र लिखा है।
जिले के डीपीओ प्रमोद कुमार सिंह का कहना है कि शासन द्वारा 2021 मे आंगनबाड़ी कार्यकत्री को स्मार्टफोन दिए गए थे जो अब खराब हो चुके हैं। बाल विकास की गतिविधियो को विभागीय पोर्टल पोषण ट्रेकर एप रोजाना अपलोड करना और बच्चो समेत आंगनवाड़ी की उपस्थिती दर्ज करना बिना स्मार्टफोन के संभव नहीं है।
स्मार्टफोन खराब होने से आंगनवाड़ी के कार्यो मे समस्याए बढ़ रही है इसको देखते हुए जिले के 2940 आंगनबाड़ी केन्द्रो मे अब नए स्मार्ट फोन की आवश्यकता है। इसीलिए शासन को सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए एक-एक स्मार्ट फोन की डिमांड भेजी गई है।