आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषाहार की सप्लाई अगले आदेश तक होगी बंद : हाईकोर्ट
आंगनवाड़ी पोषाहार न्यूज
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तरप्रदेश सरकार को आईसीडीएस स्कीम के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पोषाहार की गुणवत्ता मात्रा और योजना को चलाए जाने के प्रक्रिया पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने प्रत्यूष रावत व अन्य द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। इस याचिका पर पिछली सुनवायी के दौरान न्यायालय ने आदेश दिया था कि पुष्टाहार की आपूर्ति के सम्बंध में यदि किसी टेंडर को जारी कर दिया गया है तो उस पर कोर्ट की अनुमति के बिना अमल नहीं किया जाएगा।
11 नवंबर को हुई पिछली सुनवायी मे न्यायालय के आदेश पर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार की सचिव बी चन्द्रकला व आईसीडीएस की निदेशक संदीप कौर कोर्ट के समक्ष हाजिर हुईं। न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को अगली सुनवायी 20 दिसम्बर को भी उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला ?
उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 व सक्षम आंगनबाड़ी पोषण नियम, 2022 के अनुपालन की जानकारी मांगी थी। जिस पर न्यायालय ने पूछा था कि गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं और छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों को जो पुष्टाहार दिया जा रहा है, वह प्रावधानों के अनुरूप है या नहीं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब बाल विकास सेवा निदेशालय द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रो पर आपूर्ति करने वाली कंपनी निदेशालय से पोषाहार आपूर्ति का टेंडर नहीं ले सकेंगी अगर किसी कंपनी को टेंडर मिल चुका है तो कोर्ट की बिना अनुमति के केन्द्रो पर राशन की आपूर्ति नही की जा सकेगी।
आंगनवाड़ी केन्द्रो पर राशन की आपूर्ति न होने से केन्द्रो के लाभार्थियो को राशन से वंचित होना पड़ेगा। चूंकि आंगनवाड़ी केन्द्रो पर बच्चो और महिलाओ को राशन वितरण करना केंद्र और राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है लेकिन केन्द्रो पर होने वाले राशन की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।