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गर्भ से पैदा हो रहे कुपोषित बच्चे, बच्चों की लगातार बढ़ रही संख्या

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उत्तरप्रदेश की योगी सरकार कुपोषित बच्चो की सुपोषित करने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर रही है लेकिन जिला स्तर के अधिकारी लापरवाही बरतने मे कोई कोताही नहीं बरत रहे है। अधिकारियों की वजह से सरकार की योजना पर पानी फिर रहा है।

सिद्धार्थनगर जिले मे केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलायी जा रही कुपोषण मुक्त योजना के बाद भी जिले मे बच्चों का कुपोषण बढ़ता जा रहा है। जिले में मासूम बच्चे इनमें छह माह से लेकर पांच वर्ष की आयु वर्ग के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। हालात इतने बदतर हो चुके है कि महिलाओ के गर्भ से भी कुपोषित पैदा हो रहे हैं।

पूरे विश्व मे सिद्धार्थ नगर जिला शांति, अहिंसा और करूणा का संदेश देने वाली भगवान बुद्ध की धरती के लिए जाना जाता है लेकिन जिले के लगभग तीन लाख से अधिक संख्या मे 30 हजार बच्चे कुपोषित हैं। इसका मतलब हर 10वां बच्चा कुपोषण का शिकार है। इसके बाबजूद भी बाल विकास के अधिकारी इस कुपोषण को लेकर गंभीर नहीं हैं।

प्रदेश की योगी सरकार राज्य मे सभी जिलो मे बच्चों में कुपोषण को दूर करने से लिए समय-समय पर कई कार्यक्रम संचालित कर रही। जिसमे कृमि मुक्ति अभियान मे एल्बेंडाजॉल की टेबलेट खिलाने से लेकर प्राथमिक विद्यालयों, सीएचसी और पीएचसी पर बच्चों को आयरन की गोलियां और नेशनल हेल्थ मिशन के तहत परिवारों को कुपोषण के प्रति जागरूक किया जा रहा। लेकिन फिर भी जिले के बच्चों में कुपोषण की संख्या मे कोई अंतर नहीं आ रहा है।

आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा पिछले सर्वे के आधार पर मे कुपोषित बच्चो के विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में सामान्य बच्चों की संख्या 273586 ,कुपोषित बच्चो की संख्या 18678 और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 11520 दर्ज की गयी है। आंगनवाड़ी द्वारा पोर्टल मे दर्ज के अनुसार बच्चों में औसत वजन न होने के कारण कुपोषित श्रेणी मे आ गए हैं।

बाल विकास एवं पुष्टाहार द्वारा प्रदेश मे हर वर्ष एक से सात सितंबर तक बाल स्वास्थ्य पोषण सप्ताह मनाया जाता है। जिसमे तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर कम करने और कुपोषण मुक्त करने पर ध्यान दिया जाता है। जबकि हर वर्ष मई व नवंबर में पोषण माह चलाया जाता है।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर माह के पहले शनिवार को कार्यकत्री द्वारा प्रसव पूर्व देखभाल संबंधी परामर्श देना व पोषाहार वितरण, द्वितीय शनिवार को शून्य से तीन वर्ष के बच्चों का वजन लेना तथा वृद्धि निगरानी पत्र पर अंकित करना, माता-पिता को बच्चे के पोषण स्वास्थ्य संबंधी सलाह, तृतीय शनिवार को महिला मंडल की बैठक कर पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा के लिए चर्चा, कुपोषित बच्चे की माताओं को इन बच्चों की देखभाल के लिए सुझाव, चौथे शनिवार को किशोरी बालिकाओं की बैठक आयोजित करने के कार्यक्रम चलाये जाते हैं।

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