हाईकोर्ट के आदेश पर हो सकता है राशन वितरण और खरीद का सत्यापन
बाल विकास विभाग द्वारा चलाये जा रहे आंगनवाड़ी केन्द्रो पर वितरण और आपूर्ति मे होने वाले भ्रष्ट्राचार पर सख्त रुख अपनाया है।पोषाहार हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सरकार से पूछा है कि आंगनवाड़ी केन्द्रो के लाभार्थियो को पोषाहार मिल रहा है या नहीं। साथ ही हाईकोर्ट ने बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के एसीएस व निदेशक से भी मांगा जवाब मांगा है।
उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने योगी सरकार से पूछा है कि आंगनवाड़ी केन्द्रो मे पंजीकृत गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह साल तक के बच्चों को विभाग द्वारा बनाए गए दिशा निर्देश के अनुसार पोषाहार मिल रहा है या नहीं? अगर विभाग द्वारा वितरण हो रहा है तो इस खाद्य सामाग्री की खरीदने और वितरण की क्या कार्यप्रणाली अपनाई जा रही है। सरकार इसका पुख्ता सुबूत कौर्ट मे पेश करें।
याचिकाकर्ता प्रत्यूष रावत और अन्य लोगों द्वारा गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह साल तक के बच्चों को पोषाहार न मिलने जनहित याचिका दायर की गयी है जिसमे याचियों ने संबंधित नियमों व कानून के तहत पोषाहार उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
इस मामले मे लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल ने आदेश जारी किया है। अब इस मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद अंतरिम राहत की अर्जी पर सरकार के पक्षकार अधिकारियों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
लखनऊ कोर्ट ने बाल विकास एवं पुष्टाहार के अपर मुख्यसचिव (एसीएस) व निदेशक से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों और इसके तहत 2022 में बने सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण नियमों (2.0) के पालन की जानकारी मांगी है। नियमो के आधार पर पोषाहार वितरण और खरीद मामले मे कोर्ट इसका किसी केंद्रीय या स्वतंत्र एजेंसी से सत्यापन करा सकती है।
कोर्ट ने सरकार के पक्षकार अधिकारियों से इसका जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले मे हाईकोर्ट ने विभाग के निदेशक औरअपर मुख्यसचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अगली सुनवाई 30 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया है।