आंगनवाड़ी ग्रेजुवेटी मामले मे राज्य सरकार की याचिका खारिज,आंगनवाड़ी वेतन की हकदार
सुप्रीम कोर्ट नेआंगनवाड़ी ग्रेच्युटी को लेकर गुजरात सरकार द्वारा दायर की गयी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की लाखों आंगनवाड़ी वर्करो को ग्रेच्युटी दी जाए साथ ही इन आंगनवाड़ी वर्करो को कर्मचारी माना जाए
अवगत हो कि 25 अप्रैल, 2022 को गुजरात आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका मे गुजरात सहित पूरे देश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम लागू करने और सेवानिवृत्त, इस्तीफा देने वाले या सेवानिवृत्त लोगों को ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश देने की मांग की गई थी।
संघ द्वारा डाली गयी इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आंगनवाड़ी वर्करो के पक्ष मे फैसला सुनाते हुए कहा कि आंगनवाड़ी वर्कर ग्रेच्युटी की हकदार है और इनको लाभ मिलना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 7 सितंबर 2022 को पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी।
दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और इस तरह की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए लाखों आंगनबाड़ी वर्करो को ग्रेच्युटी का भुगतान करने के सवाल पर अंतिम कानूनी फैसला सुनाया है।.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति अभय ओकानी ने अपने फैसले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को मानदेय कर्मियों के बजाय वैधानिक कर्तव्यों का पालन करने वाले कर्मचारी के रूप में माना है और उन्हें मिलने वाले मानदेय को मजदूरी माना है।
उन्होने कहा कि आईसीडीएस एक परियोजना नहीं बल्कि एक संगठन है और इसे संगठन के रूप मे मानकर आंगनवाड़ी वर्करो को सभी लाभ प्रदान करते हुए इनको मानदेय की जगह वेतन दिया जाना चाहिए।