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आंगनवाड़ी भर्ती न होने से विभागीय योजनाएं हुई ध्वस्त

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बाल विकास विभाग मे आंगनवाड़ी भर्ती नियमावली जारी होने के बाद भी शासन द्वारा वर्करो की भर्ती के संबंध मे 8 माह से कोई नोटिफ़िकेशन जारी नहीं किया गया है जिसकी वजह से शासन द्वारा संचालित बाल विकास विभाग के संबंध मे योजनाओ का सही से निर्वहन नहीं हो रहा है

जनपद बागपत के बड़ौत क्षेत्र मे शासन द्वारा गांव और नगरों में गर्भवती महिलाओं में शिशुओं के पोषण के लिए आंगनबाड़ी केंद्र बनाए हैं। जहां महिलाओं को पोषण की जानकारी व बच्चों को शिक्षित व पुष्ट आहार वितरण किया जाता है। लेकिन यह व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है क्योंकि अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र स्टाफ के अभाव में खाली पड़े हैं। ऐसे में कैसे महिलाओं में शिशुओं को हष्ट पुष्ट बनाया जा सकेगा।

इस सम्बंध मे सीडीपीओ राजरानी का कहना है कि शासन द्वारा जल्द ही आंगनवाड़ी वर्करो की भर्ती की संभावना है जबकि ब्लॉक क्षेत्र की व्यवस्था से बाल विकास विभाग को अवगत करा दिया गया है। भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जिन आंगनवाड़ी केंद्रों पर वर्करो की कमी चल रही है उनको दूर कर दिया जाएगा।

जिले के बड़ौत ब्लॉक में बाल विकास विभाग द्वारा कुल 384 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इन आंगनवाड़ी केन्द्रो मे 209 केन्द्रो को पूर्ण आंगनवाड़ी केंद्र का दर्जा मिला है जबकि 175 केन्द्रो को मिनी आंगनवाड़ी केंद्र बनाया गया हैं।

हर आंगनबाड़ी केंद्र पर एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री व एक सहायिका की नियुक्ति की जाती है। लेकिन बड़ौत ब्लॉक में भर्ती न होने से विभाग की हालत बेहद खराब है। जिसकी वजह से शासन द्वारा जारी योजनाओ का लाभार्थियो को लाभ नहीं मिल रहा है क्षेत्र मे 209 पूर्ण आंगनवाड़ी केंद्र पर केवल 167 केंद्रों पर ही आंगनबाड़ी कार्यकत्री और केवल 154 आंगनवाड़ी सहायिका ही नियुक्त है। जबकि 42 आंगनबाड़ी केंद्र पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री नियुक्त नहीं है। और 55 पूर्ण केन्द्रो आंगनवाड़ी सहायिका नहीं है।

क्षेत्र के 175 मिनी आंगनवाड़ी केंद्र पर ना तो आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं और नहीं आंगनबाड़ी सहायिका। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं और बच्चो को स्वस्थ कैसे रखा जा सकता है और साथ ही कैसे बच्चो को शिक्षित किया जा सकता है।

पूर्ण और मिनी आंगनवाड़ी केंद्र बनाए जाने के लिए निर्धारित मानक

प्रदेश के हर क्षेत्र मे आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के लिए मानक निर्धारित किया जाता है। 800 से 1000 की आबादी पर पूर्ण केंद्र बनाए जाते हैं। वही मिनी केंद्र बनाने के लिए 300 से 500 की आबादी होना जरूरी है। अवगत हो कि पूर्ण आंगनवाड़ी केंद्र पर एक कार्यकत्री और एक सहायिका की नियुक्ति की जाती है जबकि मिनी केंद्र पर सिर्फ एक ही कार्यकत्री की नियुक्ति की जाती है इसको सहायिका नहीं दी जाती साथ ही मिनी कार्यकत्री का मानदेय भी कम होता है

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