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आंगनवाडी वर्करों को मिलेगी स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की जिम्मेदारी

बाल विकास विभाग मे कार्यरत आंगनवाड़ी वर्करों को अब स्वास्थ्य विभाग के कार्य की जिम्मेदारी दी जाएगी। अब से पहले भी अन्य विभाग के कार्य या योजना सफल नहीं होते उनको बाल विकास की आंगनवाड़ी को दिये जाते रहे है। जैसे निर्वाचन विभाग का बीएलओ का कार्य हो या किसी भी सर्वे का हो सभी की ज़िम्मेदारी आंगनवाड़ी को दी जाती है।

वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने देश की गरीब गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहयोग करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना पूरे देश मे शुरू की गयी थी। इन महिलाओं से आशा कार्यकत्री द्वारा आवेदन कराया जाता है। लेकिन यूपी की महिलाओ को इसका शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल रहा है। एक एक जिले मे पाँच हजार से अधिक फाइल भुगतान न होने से पेंडिंग पड़ी है।

इस संबंध में केंद्रीय महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री और विभाग के सचिव ने अलग-अलग जनवरी में प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर योजना की स्थिति पर नाराजगी जताई थी। इस पत्र के अनुसार प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के क्रियान्वयन में अन्य राज्यों की तुलना में यूपी सबसे निचले स्तर पर है। जबकि सभी राज्यों में पीएमएमवीवाई पोर्टल पर विभाग के फील्ड अधिकारियों की मैपिंग का काम पूरा हो चुका है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस योजना के क्रियान्वयन पर नियंत्रण नहीं रखने के कारण केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग से वापस लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपने का अनुरोध किया था। जिस पर यूपी सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है।

केंद्र सरकार ने यूपी की खराब रिपोर्ट आने पर नाराजगी व्यक्त करते इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग से हटाते हुए बाल विकास विभाग को सौंप दी है। चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग की सचिव डॉ. पिंकी जोवल ने योजना से संबंधित सभी पत्रावलियां महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग को सौंपने के निर्देश जारी किए हैं।

देखा जाए तो इस प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का लाभ अलग अलग जिले मे गर्भवती महिलाओं को पिछले छह महीने से नहीं मिल रहा है। जिले की पात्र महिलाओं का भी भुगतान रुका हुआ है। स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास विभाग इन दोनों विभागों के चक्कर में महिलाओ का भुगतान रुका पड़ा है। जिन आशाओ ने इन महिलाओ का आवेदन कराया था वो महिलाएं अब अपने क्षेत्र में आशा कार्यकत्रियों पर भी पैसे के लिए दबाव बना रही हैं।

क्या है प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना

स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओ से मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत पहली बार मां बनने वाली महिला को दो किस्तों में पांच हजार रुपये दिये जाते हैं। वहीं दूसरी संतान बालिका होने पर छह हजार रुपये का एकमुश्त भुगतान किया जाता है। पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा महिलाओ के आवेदन पर जांच करके इसका भुगतान किया जाता था।

कुछ समय पूर्व आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा केन्द्रो पर पंजीकृत महिलाओ से ऑनलाइन आवेदन कराये गए थे। इससे पहले इस कार्य की ज़िम्मेदारी आशाओ की थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस योजना की नाकामी की वजह से अब आंगनवाड़ी वर्करो को इसकी पूर्ण ज़िम्मेदारी दी जा रही है। इसके लिए आईसीडीएस में महिलाओं का रिकॉर्ड दर्ज हो रहा है।

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