विरोध,प्रदर्शन
एक संदेश, माननीय प्रधानमंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री एवं श्रम व रोजगार मंत्रालय भारत सरकार
सेवा में,
*मा0 प्रधानमंत्री जी*,
भारत सरकार, नई दिल्ली।
महोदय,
*महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की धुरी और मंत्रालय के अंतिम पायदान पर कार्यरत आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स से भारत सरकार व राज्य सरकारों द्वारा प्राथमिक विद्यालय के कार्यों, सेवाओं के समान सरकारी कार्य लिया जाता है और उक्त कर्मियों को उनके सरकारी कार्य के लिए लागू न्यूनतम मजदूरी दर से भी कम धनराशि भुगतान की जा रही है जो उनके साथ घोर अन्याय ,शोषण और उत्पीड़न का पुख्ता प्रमाण है तथा उनके संवैधानिक समानता के मूल अधिकारों का निर्मम हनन है। आंगनबाड़ी केंद्र प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास की अति महत्वपूर्ण बुनियाद हैं। जिनके माध्यम से नौनिहालों के सर्वांगीण विकास , शालापूर्व शिक्षा , खेल में शारीरिक बौद्धिक, रचनात्मक विकास एवं व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ साथ स्कूल जाने में रुचि जागृत की जाती है तथा गर्भवती, धात्री व किशोरी बालिकाओं के पोषण का कार्य किया जाता है और इन आंगनबाड़ी कर्मियों से टीकाकरण, प्लसपोलियो, फाइलेरिया उन्मूलन एवं निर्वाचन आदि के भी अतरिक्त कार्य लिए जाते हैं। आंगनबाड़ी कर्मियों के पदों पर सेवारत महिलाओं की नियुक्तियों में शैक्षिक योग्यता, आयु एवं आरक्षण आदि के मानक राज्यकर्मियों की नियुक्ति की भांति निर्धारित हैं जिनकी नियुक्तियां विज्ञापन निकालकर राज्य सरकारों द्वारा गठित चयन समिति के माध्यम से की जाती हैं और समय समय पर जिन्हों सेवाओं से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाते हैं तथा जिनसे सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की निगरानी में लगातार सेवाएं ली जा रही हैं जो लगभग डेढ़ दर्जन रजिस्टर कार्य पूरित करके माह में दो बार अपनी सेवाओं संबंधी आंकड़ों की रिपार्ट तैयार करके विभागीय बैठक में सम्मिलित होती हैं जिन्हें ग्रीष्म व शीतवकाश भी नसीब नही होता है। ऐसी स्थिति में उन्हें प्राथमिक शिक्षक के समान वेतन उपलब्ध कराकर समान कार्य के लिए समान वेतन अधिनियम का अनुपालन कराया जाए और सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय क्यों कि उक्त विभाग और मंत्रालय के संबंधित अन्य सभी कर्मचारी अधिकारी राज्यकर्मचारी हैं जबकि आंगनबाड़ी कर्मी महिलाओं की सेवाओं पर संबंधित विभाग व मंत्रालय का अस्तित्व निर्भर है फिर भी उनके जीविकोपार्जन से संबंधी आर्थिक हितों की अनदेखी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि विभिन्न राज्यों के आंगनबाड़ी कर्मचारी संगठनों के साथ साथ राष्टीय स्वयं सेवक संघ ने भी आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी दर्जा देने की मांग की है । अत्यंत दुखद विषय है 70 वर्ष बाद भी सरकारें महिलाओं के साथ भेदभाव ,शोषण,उत्पीडन का रवैया अपनाएं हैं यहां तक के उनके मूलभूत एवं संवैधानिक अधिकारों का निर्मम हनन कर रही हैं।आंगनबाड़ी कर्मी क्या केवल महिलाएं हैं इसलिए उनकी अति महत्वपूर्ण सेवाओं को नजरअंदाज करके उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है।ऐसी स्थिति में महिला सशक्तिकरण के सरकारी दावे मिथ्या एवं भ्रामक प्रतीत होते हैं।*
*मा0 प्रधानमंत्री जी*,
भारत सरकार, नई दिल्ली।
महोदय,
*महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की धुरी और मंत्रालय के अंतिम पायदान पर कार्यरत आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स से भारत सरकार व राज्य सरकारों द्वारा प्राथमिक विद्यालय के कार्यों, सेवाओं के समान सरकारी कार्य लिया जाता है और उक्त कर्मियों को उनके सरकारी कार्य के लिए लागू न्यूनतम मजदूरी दर से भी कम धनराशि भुगतान की जा रही है जो उनके साथ घोर अन्याय ,शोषण और उत्पीड़न का पुख्ता प्रमाण है तथा उनके संवैधानिक समानता के मूल अधिकारों का निर्मम हनन है। आंगनबाड़ी केंद्र प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास की अति महत्वपूर्ण बुनियाद हैं। जिनके माध्यम से नौनिहालों के सर्वांगीण विकास , शालापूर्व शिक्षा , खेल में शारीरिक बौद्धिक, रचनात्मक विकास एवं व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ साथ स्कूल जाने में रुचि जागृत की जाती है तथा गर्भवती, धात्री व किशोरी बालिकाओं के पोषण का कार्य किया जाता है और इन आंगनबाड़ी कर्मियों से टीकाकरण, प्लसपोलियो, फाइलेरिया उन्मूलन एवं निर्वाचन आदि के भी अतरिक्त कार्य लिए जाते हैं। आंगनबाड़ी कर्मियों के पदों पर सेवारत महिलाओं की नियुक्तियों में शैक्षिक योग्यता, आयु एवं आरक्षण आदि के मानक राज्यकर्मियों की नियुक्ति की भांति निर्धारित हैं जिनकी नियुक्तियां विज्ञापन निकालकर राज्य सरकारों द्वारा गठित चयन समिति के माध्यम से की जाती हैं और समय समय पर जिन्हों सेवाओं से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाते हैं तथा जिनसे सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की निगरानी में लगातार सेवाएं ली जा रही हैं जो लगभग डेढ़ दर्जन रजिस्टर कार्य पूरित करके माह में दो बार अपनी सेवाओं संबंधी आंकड़ों की रिपार्ट तैयार करके विभागीय बैठक में सम्मिलित होती हैं जिन्हें ग्रीष्म व शीतवकाश भी नसीब नही होता है। ऐसी स्थिति में उन्हें प्राथमिक शिक्षक के समान वेतन उपलब्ध कराकर समान कार्य के लिए समान वेतन अधिनियम का अनुपालन कराया जाए और सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय क्यों कि उक्त विभाग और मंत्रालय के संबंधित अन्य सभी कर्मचारी अधिकारी राज्यकर्मचारी हैं जबकि आंगनबाड़ी कर्मी महिलाओं की सेवाओं पर संबंधित विभाग व मंत्रालय का अस्तित्व निर्भर है फिर भी उनके जीविकोपार्जन से संबंधी आर्थिक हितों की अनदेखी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि विभिन्न राज्यों के आंगनबाड़ी कर्मचारी संगठनों के साथ साथ राष्टीय स्वयं सेवक संघ ने भी आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी दर्जा देने की मांग की है । अत्यंत दुखद विषय है 70 वर्ष बाद भी सरकारें महिलाओं के साथ भेदभाव ,शोषण,उत्पीडन का रवैया अपनाएं हैं यहां तक के उनके मूलभूत एवं संवैधानिक अधिकारों का निर्मम हनन कर रही हैं।आंगनबाड़ी कर्मी क्या केवल महिलाएं हैं इसलिए उनकी अति महत्वपूर्ण सेवाओं को नजरअंदाज करके उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है।ऐसी स्थिति में महिला सशक्तिकरण के सरकारी दावे मिथ्या एवं भ्रामक प्रतीत होते हैं।*
*अतः माननीय प्रधान मंत्री जी कृपया आंगनबाड़ी कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षकों के समान वेतन का संबैधानिक अधिकार दिलाकर इनके प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुकंपा करें।*
निवेदक- समस्त आंगनबाड़ी कर्मी भारत।