आंगनवाडी केन्द्रों की गतिविधियाकुपोषण

एनीमिया से हुई वाराणसी में 55 महिलाओ की मौत

वाराणसी में एनीमिया राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य के चतुर्थ सर्वे में  50.6प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी पाई गई और 6 माह से 59 माह के बच्चो में 58.5 प्रतिशत की कमी के कारण इस बीमारी से संक्रमित है
विभाग के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 से नवम्बर 2019 तक 55 गर्भवती महिलाएं प्रसव होने तक दम तोड़ चुकी है जिसका मुख्य कारण खून की कमी होना है

एनीमिया क्या है

शरीर मे रक्त में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होना ही  एनीमिया कहलाता है

केंद्र सरकार द्वारा एनीमिया मुक्त भारत योजना देश के सभी राज्यो के स्कूल,कॉलेज व  आंगनवाड़ी केंद्रों पर चलाई जा रही है  ये अभियान मार्च 2020 तक चलाया जाएगा  इसका उद्देश्य देश मे सालाना तीन प्रतिशत इस बीमारी को कम करना है जिसके लिए हर सोमवार को बच्चो को टेबलेट दी जा रही है देश के पंजीकृत कुपोषित बच्चो को जागरूक द्वारा ये अभियान चलाया जा रहा है प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की निगरानी में स्वच्छ पानी से  दोपहर मिड डे मिल के बाद बच्चो को एनीमिया की टेबलेट खिलाई जा रही है

एनीमिया के खात्मे में लगे पांच विभाग

देश व्यापि इस बीमारी को खत्म करने के लिए शासन ने  पांच विभागों को जिम्मेदारी दी गई है

1. स्वास्थ्य विभाग
2.बेसिक शिक्षा विभाग
3.बाल विकास पुष्टाहार विभाग
4.जिला विद्यालय निरीक्षक
5. पंचायत राज विभाग


गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के केस ज्यादा

50% गर्भवती महिलाएं एनीमिया की शिकार ज्यादा होती है इसीलिए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों व अस्पताल में आयरन की गोलियां मुफ्त दी जा रही है आयरन की कमी से गर्भवती महिलाओं की मौत भी हो जाती है
गर्भवती महिलाओं को गर्भ धारण करने से प्रसव होने तक तीन सौ गोलियां दी जाती है और इसके साथ कैल्शियम की 700 गोलियां दी जाती है गर्भवती महिलाओ के स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक माह ग्राम स्तर पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है इस दौरान गर्भवती महिलाओ की जांच ,टीकाकरण ,आवश्यक सलाह दी जाती है इसके साथ खतरे में आने वाली गर्भवती महिलाओ चिन्हित किया जाता है 

गर्भवती  महिलाओ की जांच मुख्या रूप से चार  चरणों में की जाती है 


  1. प्रथम चरण में गर्भ धारण के तुरंत बाद या  गर्भावस्था  के पहले तीन माह के अंदर जांच होती है 
  2. दूसरे चरण में गर्भ धारण के चौथे या छटे  माह में जांच होती है 
  3. तीसरे चरण में  गर्भ धारण के सातवे या आठवे  महीने में की जाती है 
  4. चतुर्थ  चरण में गर्भ धारण के नौवे माह में जरुरी जाँचो  की प्रक्रिया पूरी की जाती है 
एनीमिया के लक्षण

  •  ज्यादा थकान होना
  • चक्कर आना,भूख न लगना
  • चेहरे व पैरों में सूजन
  • याददाश्त कम होना
  • काम मे मन न लगना
  • त्वचा व चेहरे का लालपन कम होना
  • जीभ व आंखों की लाली जाना
इस कमी को कैसे दूर करे

हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करे जैसे पत्ता गोभी फूल गोभी,तरबूज ,संतरा,टमाटर,आवंला पालक,मैथी, शलजम,शकरगन्ध, अंडा आदि  ,खमीर युक्त पदार्थ अपनी दिनचर्या में जरूर लाये

इनके सेवन से बचे
  • फास्ट जंक फुड से परहेज करें
  • चाय कॉफी का सेवन कम करे
  •  नशीले पदार्थ के सेवन से बचे

Aanganwadi Uttarpradesh

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