icdsआंगनवाडी केन्द्रों की गतिविधियाआंगनवाड़ी न्यूज़कुपोषण

गर्भवती,धात्री महिलाओ व नवजात शिशुओ के लिए गृह भ्रमण के नए दिशा निर्देश

आंगनवाडी न्यूज़

कोरोना महामारी के कारण लम्बे से बंद चल रहे आंगनवाडी केन्द्रों को खोलने के सम्बन्ध में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सारिका मोहन द्वारा आदेश जारी कर दिए है केन्द्रों पर कार्यरत आंगनवाडी वर्कर्स को गर्भवती ,धात्री व नवजात शिशुओ की देखभाल व गृह भ्रमण की गाईड लाइन्स जारी कर दी गयी है

गृह भ्रमण सम्बन्धी दिशा-निर्देश/सुझाव


कोविड संबंधी आवश्यक संदेश
• परिवारों से संपर्क के समय सही से मास्क पहनने के तरीके (नाक व मुंह दोनो कवर हों) का संदेश दें, जिससे कि संक्रमण से बचाव हो सके घर से बाहर निकलते समय अथवा दूसरो से संपर्क के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य है।
• हाथों को साबुन अथवा सैनिटाइजर से समय-समय पर साफ करते रहें।
• संपर्क के दौरान कम से कम 6 फीट की दूरी बनाये रखें।
• गर्भवती, धात्री महिलाओं अथवा बच्चों में या फिर परिवार के अन्य सदस्यों में कोविड के लक्षण दिखने पर तुरन्त स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दें।

गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा दी जाने वाली सेवायें

  • अनुपूरक पोषाहार
  • परामर्श सेवायें
  • वृद्धि निगरानी
  • आयरन गोलियों का वितरण

लाभार्थी जिनके यहां प्राथमिकता के आधार पर गृह भ्रमण किया जाना है

  • नवजात शिशु
  • चिन्हित अतिकुपोषित बच्चे, सैम/ मैम बच्चे
  • पहले त्रैमास की गर्भवती महिलायें, धात्री महिलायें व
  • बच्चे जिन्हानें वर्तमान माह में 6 माह पूर्ण कर लिया हो अथवा 6-8 माह के हों

गृह भ्रमण का तरीका

  • जिनके व्यवहार में परिवर्तन लाना है, उसको उन्हीं के शब्दों में सुनें
  • स्थिति का आंकलन करें
  • आंकलन करने के पश्चात आवश्यकतानुसार सलाह दें

गृह भ्रमण के मुख्य लाभार्थी वर्ग व आंगनबाड़ी के माध्यम से दी जाने वाली सेवायें

लाभार्थी वर्गमुख्य सेवाआंगनबाडी कार्यकत्रियों के लिये कार्य बिन्दु
1नवजात शिशुगृह आधारित देखभाल तथा
स्तनपान प्रोत्साहन
कोविड काल में कई प्रसूती महिलायें संक्रमण के डर से शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं। उन्हें निम्न तथ्यों से अवगत करायें।
शिशुओं के लिए स्तनपान (मॉ का दूध) पोषण का सबसे अच्छा और मुख्य स्त्रोत है। माँ के दूध में कोविड-19 वायरस मौजूद होने के साक्ष्य नहीं के बराबर है, इसलिए स्तनपान को COVID स्थिति में भी जारी रखा जाना है। मां के दूध में उपलब्ध एन्टीबॉडी शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
यदि मां को खाँसी, बुखार या अन्य कोविड के लक्षण हैं तो स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वह मास्क लगाते हुये तथा अन्य कोविड के नियमों का पालन करते हुये स्तनपान करा सकती है।
यदि वह स्तनपान कराने में बिलकुल सक्षम नहीं है तो कटोरी चम्मच से दूध निकालते हुये उसे पिला सकती है।
2चिन्हित
अतिकुपोषित बच्चे, सैम/मैम बच्चे
वृद्धि निगरानी
• गृह आधारित देखभाल
•आवश्यकतानुसार संदर्भन
• अनुपूरक पोषाहार का समुचित प्रयोग एवं पौष्टिक व्यंजन बनाने के विधि को दर्शाना।
कुपोषण के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है जिससे शरीर को बीमारियां/संकमण घेर लेते हैं। कोविड में बच्चे भी प्रभावित हुये हैं। बच्चों के सम्बन्ध में विशेष सर्तकता की आवश्यकता ।
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अति कुपोषित बच्चों के घर प्राथमिकता पर भ्रमण करेगी तथा निम्न सेवायें उपलब्ध करायेंगी-
• वृद्धि निगरानी
• अनुपूरक पोषाहार
परामर्श सेवायें व संदर्भन सेवायें

चिन्हित अति कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर की आंगनबाड़ी कार्यकत्री निगरानी करेगी तथा प्रत्येक माह अनिवार्य रूप से बच्चे के घर जाकर उसका वजन करेगी जिसे वह रजिस्टर /एम0सी0पी कार्ड पर अंकित करेगी। यदि उसकी वृद्धि रेखा में निरन्तर गिरावट आ रही है अथवा कुपोषण के स्तर में सुधार नहीं आ रहा तो वह उसके स्वास्थ्य परीक्षण हेतु स्वास्थ्य विभाग को संदर्भित करेगी तथा ग्राम स्तर पर आयोजित होने वाले ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण दिवस पर ए०एन०एम से स्वास्थ्य जांच करायेगी।
बच्चों की उचित देखभाल हेतु निम्नानुसार परामर्श देगी-
आंगनबाड़ी केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे अनुपूरक पोषाहार की समुचित मात्रा तथा उससे बनने वाली रेसिपी के बारे में जानकारी देगी तथा नियमित रूप से अनुपूरक पोषाहार के प्रयोग के संबंध में परामर्श देगी।
छ: माह से कम आयु के कुपोषित बच्चों को केवल मां के दूध दिये जाने पर बल देगी जिससे की संक्रमण से बचाव किया जा सके। ऊपर का दूध, पानी नही देने तथा दूध की बोतल, चुसनी का प्रयोग बिलकुल ना करने की सलाह देगी।
छ: माह से ऊपर बच्चे के खाने में अनाज, दाले, दूध, हरी व अन्य सब्जियां व फल जहां तक संभव हो अवश्य शामिल करने को कहेगी। मसला हुआ ताजा भोजन अलग थाली/कटोरी में खिलानें तथा खाने में थोडा सा घी/तेल मिलाने से स्वाद व उर्जा के महत्व को बतायेगी। परिवार को कुपोषित बच्चे की भूख तथा पोषण स्तर पर नजर रखने को कहेगी।
साफ, ताजा घर में बना हुआ भोजन दिन में 3-4 बार खिलायें। बच्चे की पसंद का खाना खिलायें। यदि बच्चा दिया गया खाना आराम से खा लेता है, चिड़चिड़ा नहीं है और खेल-खूद रहा है तो परिवार के प्रयास सार्थक दिशा में हैं।
साफ पानी, साफ कटोरी, साफ थाली, साफ हाथ का प्रयोग करने की महत्ता से परिवार को अवगत करायेगी।
यदि बच्चा लम्बे समय से चिड़चिड़ा है, खाना या फिर मां का दूध नहीं पी रहा तो तुरंत डॉक्टर को दिखायें।
आवश्यकता पढने पर “पोषण पुर्नवास केन्द्रों पर भर्ती करायें।
3पहले त्रैमास की गर्भवती महिलायें, धात्री महिलायेंगर्भावस्था में शीघ्र पंजीकरण
गर्भावस्था व धात्री अवस्था के दौरान देखभाल व खान-पान संबंधी परामर्श
अनुपूरक पोषाहार का समुचित प्रयोग एवं पौष्टिक व्यंजन बनाने की विधि को दर्शाना
कोविड के दौरान गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं को विशेष देखभाल की आवश्यकता है। यदि इनमें कोई भी कोविड के लक्षण मिलते हैं तो तुरंत जांच कराते हुये चिकित्सीय परामर्श ले।
आंगनबाड़ी कार्यकत्री पहले त्रैमास की गर्भवती महिलाओं व कुछ धात्री महिलाओं के घर गृह भ्रमण करेगी तथा निम्नानुसार परामर्श देगी
गर्भवती महिलाओं द्वारा ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस पर शीघ्र पंजीकरण कराना, ए०एन०एम द्वारा एम0सीपी0 कार्ड बनवाना व मासिक वजन कराना। धात्री महिलाये द्वारा शिशु का जन्म पंजीकरण व टीकाकरण पूर्ण करवाना।
प्राप्त आयरन व कैल्शियम की गोलियां ग्रहण करें। (गर्भावस्था व धात्री महिला को कम से कम 180 आयरन की गोलियां, 360 कैल्शियम की गोलियां ग्रहण की जानी हैं। क्योकि यह शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं।
प्राप्त होने वाले अनुपूरक पोषाहार का नियमित सेवन तथा उससे बनने वाली पौष्टिक रेसिपी के बारे में जानकारी देगी- (वीडियोज व रेसिपी बुकलेट के माध्यम से) नियमित रूप से अनुपूरक पोषाहार के प्रयोग के संबंध में परामर्श देगी।
धात्री व गर्भवती महिला को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतिरिक्त आहार के साथ-साथ भोजन में गाढ़ी हरे पत्तेदार सब्जियां, नींबू, संतरा, गाजर, ज्वार ,बाजरा, रागी, दूध आदि को जोड़ने से शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ती है।
यदि गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की समस्या महसूस होती है तो तुरंत आशा/आंगनबाड़ी से संपर्क करते हुये निकट के उपकेन्द्र अथवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर अपने आपको दिखायें।
4बच्चे जिन्होनें वर्तमान माह में 6 माह पूर्ण कर किया हो खान-पान संबंधी परामर्श
अनुपूरक पोषाहार का समुचित प्रयोग एवं पौष्टिक व्यंजन बनाने के विधि को दर्शाना
बच्चों के घर भ्रमण कर सही समय से उपरी आहार की शुरूआत तथा उसकी महत्वता से संबंधी निम्नानुसार परामर्श देगी-
एक-दो चम्मच से शुरूआत करते हुये आहार की मात्रा, गाढ़ापन और बारम्बारता धीरे-धीरे बढ़ायें।
प्रतिदिन बच्चे को कम से कम चार खाद्य समूह से बना भोजन खिलाये। स्तनपान जारी रखें
अलग कटोरी चम्मच का उपयोग करें, ताकि आप जान सके कि बच्चा कितना खा रहा है।
बच्चे को उसकी आयु के अनुसार खाना दें। खाना खिलने में जबरदस्ती न करें।
प्राप्त होने वाले अनुपूरक पोषाहार का नियमित सेवन करें तथा उससे बनने वाली पौष्टिक रेसिपी के बारे में जानकारी देगी-(वीडियोज व रेसिपी बुकलेट के माध्यम से) नियमित रूप से अनुपूरक पोषाहार के प्रयोग के संबंध में परामर्श देगी।
भोजन में तेल/घी डाल कर उसकी पौष्टिकता को बढ़ायें।
एक बार में एक ही तरह का भोजन दें। भोजन का प्रकार व मात्रा धीरे-धीरे बढ़ायें।
खाने से पूर्व व खाने के बाद हाथ को अच्छी तरह से साबुन से धो लें। खाना बनाने के स्थान व बर्तन की साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें




Aanganwadi Uttarpradesh

आंगनवाड़ी उत्तरप्रदेश एक गैर सरकारी न्यूज वेबसाइट हैं जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा संचालित बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों की गतिविधियों ,सेवाओ एवं निदेशालय द्वारा जारी आदेश की सूचना प्रदान करना है यह एक गैर सरकारी वेबसाइट है और आंगनवाड़ी उत्तरप्रदेश द्वारा डाली गई सूचना एवं न्यूज़ विभाग द्वारा जारी किए गए आदेशों पर निर्भर होती है वेबसाइट पर डाली गई सूचना के लिए कई लोगो द्वारा गठित टीम कार्य करती है

Related Articles

error: Content is protected !!