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कुपोषण को मिटाने वाला बाल विकास विभाग खुद कुपोषित

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प्रदेश मे बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों व गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को कुपोषण से देखभाल करने वाले ऑगनबाड़ी केन्द्रों के पास खुद के भवन नहीं है। और ये स्थिति सिर्फ एक जिले की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के जिलो की है। इनमें से अधिकतर ऑगनबाड़ी केन्द्र किराए या स्कूल, पंचायती भवन या अन्य विभागीय बिल्डिंग के अंदर संचालित हो रहे है। बहुत से आंगनवाड़ी केन्द्र तो खुले आसमान के नीचे संचालित किए जाते है। और सरकार इन आंगनवाड़ी केन्द्रो पर प्री प्राईमरी की शिक्षा देने का प्रचार कर रही है।

बलरामपुर जिले की बात करे तो यहा लगभग कुल संचालित हो रहे 1882 ऑगनबाड़ी केन्द्रों में से 50 प्रतिशत केन्द्र दूसरों विभागो के भवनो में चल रहे हैं। बाल विकास विभाग के पास 920 ऑगनबाड़ी केन्द्रों को चलाने के लिए खुद के भवन नहीं है। और जो बिल्डिंग खुद की है उनमे से 205 भवनों की हालत ऐसी हो चुकी है कि जहां पर बैठाकर इन बच्चो को पढ़ाना खतरे से खाली नहीं है।बजट के अभाव में इन खंडर हो चुके आंगनवाड़ी केन्द्रों का मरम्मत तक नहीं हो रही है तो नहीं हो पा रहा है। नए ऑगनबाड़ी केन्द्र बनवाना तो बहुत दूर की बात है।

जिले के नौ ब्लाकों में 1882 ऑगनबाड़ी केन्द्रो मे 920 ऑगनबाड़ी केन्द्र का संचालन प्राथमिक विद्यालय व पंचायत भवनों के अलावा खुले स्थानों पर होता है। अब खुद के भवन न होने के कारण ऑगनबाड़ी कार्यकत्रियों को पुष्टाहार रखने से लेकर बच्चो को पढ़ाने मे भी समस्याए आती है। नीति आयोग बच्चो के कुपोषण को दूर करने के लिए कितनी भी योजनाए लागू करे लेकिन सबसे पहले बाल विकास विभाग को खुद का कुपोषण दूर करना होगा।

जिले की नगर बाल विकास परियोजना का कार्यालय भी किराए के कमरे में चल रहा है। कितनी बड़ी बात है कि नगर क्षेत्र के रानी धर्मशाला में स्थिति एक कमरे में बाल विकास परियोजना का कार्यालय चलाया जाता है।सदर ब्लाक के ग्राम पंचायत जबदही में बने ऑगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण लगभग दस वर्ष पहले कराया गया था। लेकिन ये भवन भी निर्माण के एक साल के भीतर ही खंडर हो गया। भवन निर्माण से अब तक इस भवन में आंगनवाड़ी केन्द्र का संचालन नहीं हो सका है । जिले मे दर्जनों भवन ऐसे हैं जिनके दीवार में दरारें आ चुकी है या छत से पानी टपक रहा है या फर्श टूटा हुआ है। ऐसे केंद्र बरसात के समय में छतों से पानी टपकने के कारण कभी भी ढह सकते है जिससे बड़ी अनहोनी भी हो सकती है।

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार जिले के पांच ब्लाकों में सात नए ऑगनबाड़ी केन्द्र बनाने का प्रस्ताव आया है। शासन द्वारा प्रत्येक ऑगनबाड़ी केन्द्र के भवन का निर्माण 11 लाख 84 हजार रुपए से कराया जाएगा। जिसमें से दो लाख रुपए पंचायती राज व दो लाख रुपए बाल विकास परियोजना विभाग से खर्च किया जा जाएगा। शेष सात लाख 84 हजार रुपए मनरेगा योजना से खर्च किया जाना है। इनमे जिले के हर्रैया सतघरवा ब्लाक में दो, सदर, गैसड़ी व पचपेड़वा ब्लाक में एक-एक ऑगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण कराने का प्रस्ताव आया है।

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