बदायूं सात माह पूर्व बाल विकास परियोजना पुष्टाहार के सरकारी रिफाइंड की तस्करी का भंडाफोड़ होने के बाद भी पुलिस अभी तक सरकारी गोदाम से तेल सप्लाई करने वाले मुख्य आरोपित तक नहीं पहुंच सकी है पुलिस ने जिन तीन तस्करों को रिफाइंड के साथ पकड़ा था, उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इसीलिए अब पुलिस इस तेल को नष्ट करने की तैयारी में है।
अवगत हो कि माह अक्टूबर 2021 में बिल्सी थाना पुलिस ने उझानी रोड से पिकअप वाहन समेत दो लोगों को पकड़ा था। इसमें पकड़े गए दोनों लोग हारुन निवासी गांव बनवारीपुर थाना तिलहर व नरेंद्र सिंह निवासी गांव जल्लापुर थाना जैतीपुर, शाहजहांपुर थे। यह पिकअप वाहन हारुन का था। इस वाहन में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आंगनवाडी केन्द्रों ले लाभार्थियों को दिया जाने वाला तेल के पैकेट से भरी 85 पेटियां बरामद हुई थीं।
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पकडे गये आरोपियों की जांच में पता चला था कि यह तेल शाहजहांपुर से चोरी किया जाता था। जांच में हब इंचार्ज की मिलीभगत भी सामने आई थी। बिल्सी के पुसगवां गांव का दीपक बदायूं में इस तेल को कई स्थानों पर बेचता था। तीनों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा कायम किया और जांच के बाद चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल कर दी। तेल बरामदगी के बाद पुलिस ने खाद्य विभाग से इसकी सैंपलिंग नहीं कराई थी। कि अब मालों के निस्तारण का अभियान चला तो पुलिस ने इस तेल को नष्ट करने की योजना बनायीं है
एसएसपी ओपी सिंह का कहना है कि यह तेल उपयोग के लायक है या नहीं, यह अब खाद्य विभाग अपनी रिपोर्ट में बताएगा। इधर, तेल के खेल से जुड़े सिस्टम के बड़े चेहरे भी बेनकाब नहीं हो सके हैं।
इतने बड़े तेल के खुलासे के बड़ा बाल विकास विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में सिर्फ इतना कहा कि यह तेल बदायूं का नहीं है। कहां से आया उनकी जानकारी में नहीं है।
फर्रुखाबाद नयी शिक्षा नीति में निपुण भारत के तहत प्राथमिक विद्यालयों की तरह अब जिले में आंगनबाड़ी केंद्र भी मॉडल बनाए जाएंगे। इसके लिए आंगनवाडी केंद्रों को गोद लेने के लिए विभागीय अधिकारियो को यह जिम्मेदारी जा रही है।लेकिन इससे पूर्व लंबे समय से गोद लिए गए आंगनबाड़ी केंद्रों पर किसी अधिकारी का ध्यान ही नहीं है।
इससे पूर्व जिले में अधिकारियो द्वारा जो आंगनबाड़ी केंद्र गोद लिए गये थे उनमे 1752 आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बेहद खराब है। इन आंगनवाडी केंद्रों पर सुपरवाइजर का भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या है कि इन आंगनवाडी केन्द्रों के खुद के भवन नही है जिसकी वजह से सबसे ज्यादा समस्या आती है और अधिकांश आंगनवाडी केंद्र प्राथमिक विद्यालयों में ही संचालित किए जा रहे हैं। बाल विकास विभाग द्वारा जो आंगनवाडी भवन बनाये गये थे अभी तक वन्ही पर आंगनवाडी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है लेकिन अब शासन की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है।
आंगनवाडी केन्द्रों को गोद लेने की प्रक्रिया में अधिकारियो की जवाबदेही भी तय की गयी थी। आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिए जाने वाले अधिकारियो की जिम्मेदारी थी कि वो गोद लिए गये आंगनवाडी केन्द्रों को मोडल बनाये जिससे कि शासन से मिलने वाली सभी योजनाओ का लाभ सभी लाभार्थियों को मिल सके। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से छह माह से छह वर्ष आयु के बच्चों, 11 से 14 वर्ष की स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिकाओं और गर्भवती व धात्री महिलाओं के समुचित पोषण, स्वास्थ्य के लिए सेवाएं प्रदान की जाती हैं। लाभार्थियों को अनुपूरक पुष्टाहार भी मिलता है। केंद्र से लेकर राज्य सारकार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए तमाम योजनाये चला रही है।
उत्तरप्रदेश शासन के निर्देश पर आंगनवाडी केन्द्रों को गोद लिए गये थे जिससे कि ये आंगनबाड़ी केंद्र माडल बन सकें। इन आंगनवाडी केन्द्रों का समुचित विकास हो सके मगर इन आंगनवाडी केन्द्रों की कोई देखभाल नही हुई और न ही इन आंगनवाडी केन्द्रों के लिए कोई अधिकारी भ्रमण करने आता है जिला स्तरीय अधिकारियों को प्रत्येक माह सभी गोद लिए केंद्रों का स्थलीय भ्रमण करना होता है। मगर जिम्मेदार अधिकारियो की ओर से इन आंगनवाडी केन्द्रों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
आंगनबाड़ी केंद्र को गोद लेने की प्रक्रिया के सम्बंद में जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि परियोजना/केंद्रवार सैम मैम बच्चों की सूची अवरोही क्रम में तैयार कर जिला पोषण समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होती है। और गोद लिए जाने वाले आंगनवाडी केंद्रों की सूची स्थानीय विधायक, सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष को उपलब्ध करायी जाती है।