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तेल,गेंहू,दाल होंगे बन्द ,बच्चो को मिलेगी पंजीरी

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सांसदों के माध्यम से मांगो को केंद्र सरकार तक पहुचाने का लिया निर्णय

मैनपुरी जनपद में आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं सहायिका वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक सोमवार को आयोजित की हुई। जिसमें समस्याओं के समाधान को लेकर विचार विमर्श किया गया। बैठक में एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष सरिता शाक्य ने बताया कि बैठक में जनपद के सांसद के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में 15 सितंबर को जिले की कार्यकत्रियां सांसद मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधि देवेंद्र यादव से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपेगी। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा पोलियो मुक्त अभियान व कोरोना काल में अपना योगदान दिया था, लेकिन सरकार द्वारा उनका हक नहीं दिया गया है। समस्याओं के समाधान को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई और न ही पीएम से भी मुलाकात कराई गई। जिसको लेकर आंगनबाड़ी एसोसिएशन पूरे देश के सांसदों के माध्यम से 9 से लेकर 16 सितंबर तक अपनी बात केंद्र सरकार तक पहुंचाने का कार्य कर रही है।

कुपोषित बच्चो की जान सांसत में

राजधानी लखनऊ की सड़कों पर अकसर फेंके मिलने वाले कुपोषित बच्चों की बालगृह में भी जान नहीं बच पा रही है। इस साल जनवरी से अब तक नौ माह में प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह शिशु आए ऐसे सात बच्चों की मौत हो चुकी है। ये सभी कम वजन और प्रीमेच्योर डिलीवरी के चलते लगातार बीमार चल रहे थे, जिन्होंने अलग-अलग तारीखों में अस्पतालों में दम तोड़ दिया। बालगृह में इन बच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना है कि बीते समय में जितने भी बच्चे आए, वे कुपोषण का शिकार रहे। सड़कों पर फेंके गए सभी बच्चे, जिन्हें बाल गृह में सहारा दिलाया गया, सभी प्रीमेच्योर डिलीवरी के हैं।

चाइल्ड लाइन के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अब तक सात बच्चे फेंके मिले, जिनमें चार लड़के और तीन लड़कियां हैं। 2007 से अब तक 177 बच्चे फेंके गए हैं। इनमें से 115 लड़कियां और 62 लड़के हैं। सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष रविंदर जादौन का कहना है कि बाल कल्याण समिति पत्र जारी कर सभी बालगृहों से बच्चों के स्वास्थ्य की रिपोर्ट मांगेगी। हमें उन जिलों की जिम्मेदारी भी तय करनी होगी, जिनसे गंभीर हालत में बच्चे यहां भेजे जा रहे हैं। बालगृह में बच्चों के डॉक्टर सुदर्शन सिंह का कहना है कि फेंके गए जितने बच्चे इधर बीच लाए गए, उनमें कोई भी दो किलो तक का नहीं था। एक का वजन तो 600 ग्राम था। इसी वजह से इन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।

इस मामले पर डी पी ओ विकास सिंह ने प्राग नारायण रोड स्थित बालगृह का निरीक्षण किया। उन्होंने बच्चों की जांच कराकर अति कमजोर बच्चों की सूची बनाने को कहा है। उन्होंने कहा है कि बच्चे फेंके जाने की समस्या का सामाजिक समाधान जरूरी है।

गेंहू ,दाल ,तेल का वितरण होगा वितरण, बंद बच्चो को मिलेगी पंजीरी


जनपद सुल्तानपुर में आंगनबाड़ी केंद्र के करीब दो लाख लाभार्थियों को मिल रहा गेहूं, चावल, रिफाइंड व चने की दाल का वितरण बंद होगा। उन्हें पौष्टिक आहार के तौर पर फिर पंजीरी मिलेगी। लाभार्थियों को पंजीरी उपलब्ध कराने के लिए जिले में पांच स्थानों पर मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

वर्तमान में क्या क्या मिलता है

शासन के निर्देश पर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत करीब दो को ड्राई राशन के तौर पर अभी तक गेहूं, चावल, रिफाइंड व चने की दाल का वितरण किया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियो द्वारा राशन को घर-घर वितरण किया जा रहा है। इस बीच शासन ने फिर व्यवस्था बदलने का निर्देश दिया है। शासन ने आंगनबाड़ी केंद्रों के लाभार्थियों को फिर पुष्टाहार वितरण का निर्देश दिया है।

पंजीरी बनाने की लगेंगी मशीने इसके लिए जिले में ही पांच ब्लॉकों में पुष्टाहार (पंजीरी) बनाने की मशीन लगाने की स्वीकृति एनआरएलएम को दी है। दूबेपुर, धनपतगंज, जयसिंहपुर, कादीपुर व लंभुआ विकास खंड में स्थापित होने वाली मशीन से सभी 14 विकास खंडों के लाभार्थियों को पंजीरी की आपूर्ति परियोजना कार्यालय के जरिए कराई जाएगी। एनआरएलम के अधिकारियों ने पांचों विकास खंडों में मशीन स्थापना के लिए जगह का चयन कर लिया है। पहले चरण में दूबेपुर के दूबेपुर ग्राम पंचायत व धनपतगंज के देहली बाजार में मशीन स्थापना की कवायद शुरू हो गई है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि दूसरे चरण में अन्य तीनों विकास खंडों में मशीन स्थापित की जाएगी। मशीन की स्थापना होने के बाद पंजीरी बनाने व वितरण का कार्य शुरू हो जाएगा। इसके बाद सूखे राशन का वितरण बंद हो जाएगा।

स्वय सहायता समूह करेंगी मशीनों का संचालन महिला स्वयं सहायता समूह करेंगे मशीन का संचालन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के उपायुक्त जीतेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि विभाग की ओर से स्थापित की जाने वाली पंजीरी बनाने की मशीन का संचालन महिला स्वयं सहायता समूहों करेंगी। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों का चयन किया गया है। स्वयं सहायता समूहों की ओर से पुष्टाहार बाल विकास परियोजना कार्यालयों को उपलब्ध कराया जाएगा। एक मशीन की कीमत करीब 78 लाख रुपये के आसपास आ रही है। जिले में पुष्टाहार बनाने के लिए मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। पांच स्थानों पर मशीन की स्थापना करके सभी 14 विकास खंडों में आपूर्ति कराई जाएगी। पौष्टिक आहार मिलने से लाभार्थियों को फायदा होगा।

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