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दोपहर के खाने को लेकर आंगनवाड़ी और प्राथमिक विद्यालयों के बच्चो के बीच फंसा मामला

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सोनभद्र जनपद मे आंगनबाड़ी केंद्रों के साढ़े पांच लाख बच्चे और प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को मिलने वाला मिड-डे-मील दोनों साथ खा रहे हैं। जबकि प्राथमिक विद्यालयों में संचालित किए जा रहे करीब 18859 आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के लिए मिड डे मील के लिए शासन से कोई बजट नहीं मिलता है। शासन ने आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्राथमिक विद्यालयों से संबंद्ध तो कर दिया लेकिन दोपहर में उनके लिए मिड डे मील की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। और न ही कोई बजट जारी किया जाता है बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रो के बच्चो के लिए ड्राई राशन वितरण किया जाता है ।

आजमगढ़ जनपद के दस जिलों के आंगनबाड़ी केंद्र के 579880 बच्चों को प्राथमिक स्कूलों से सम्बद्ध किया गया है। यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों के एक लाख 80 हजार बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ते हैं। वहीं वाराणसी के 1074 केंद्रों के 32220 बचे 655 प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ते हैं। इसके अलावा बलिया के 90000, सोनभद्र के 60460, मऊ के 87000, चंदौली के 93674, भदोही के 6500 बच्चे, जौनपुर के 15000, गाजीपुर के 13026 और मिर्जापुर के 2000 बच्चे प्राथमिक स्कूलों में आंगनबाड़ी केंद्रों से जाते हैं।

अवगत हो कि शासन द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों सहित गर्भवती व धात्री महिलाओ को ड्राई पोषाहार मिलता हे। इसमें चना का दाल, गेहूं की दलिया, सोयाबीन का तेल शामिल है। लेकिन यह पोषाहार प्राथमिक विद्यालयों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है,यह सामाग्री सिर्फ आंगनवाड़ी केन्द्रो के बच्चो के लिए आती है।

पूर्वांचल के सभी दसों जिलों के 18859 आंगनबाड़ी केंद्रों के 579880 बच्चे प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों के साथ पढ़ते हैं। इन बच्चों के लिए शासन की ओर से सिर्फ सूखा पोषाहार ही दिया जाता है। दोपहर में खाने की व्यवस्था अब तक शासन की ओर से नहीं की गई है। लेकिन प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक और प्रधानचार्य मानवता के नाते इन बच्चों को भी एमडीएम खिलाते हैं। इन बच्चो के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है लेकिन इससे विद्यालयों पर बजट का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता है

सोनभद्र जनपद के बीएसए नवीन कुमार पाठक का कहना है कि शासन की ओर से आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए एमडीएम उपलब्ध नहीं कराया जाता है। लेकिन अध्यापक एक मानवता के कारण आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों और स्कूल के बच्चो को एक साथ मिड डे मील खिलाते हैं। जिसकी वजह से विद्यालयों पर बजट का अतिरिक्त बोझ पड़ता है बीएसए का कहना है कि एक ही साथ पढ़ने वाले बच्चों में भेदभाव नहीं किया जा सकता। अगर एक ही परिसर में केन्द्रो और स्कूल के बच्चे साथ पढ़ते है तो इन सभी पढ़ने वाले बच्चों को भोजन कैसे न दिया जाए।

इस संबंध मे प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि जब एक ही परिसर में प्राइमरी और आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे पढ़ते है तो दोपहर में एमडीएम के समय कैसे इन बच्चों को खाना नहीं दिया जाएगा। उनका कहना है कि केंद्रों के बच्चों को सिर्फ एमडीएम ही नहीं बल्कि मीनू के अनुसार दूध और फल भी दिया जाता है। भोजन के समय केंद्र और स्कूल के बच्चों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।

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