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पोषाहार वितरण में होगा फेरबदल,किराये के आंगनवाडी केन्द्रों से नोनिहालो की शिक्षा हो रही प्रभावित

आंगनवाडी न्यूज़

हरदोई  आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों, धात्री महिलाओं और किशोरियों को वितरित किए जाने वाले पोषाहार के निर्माण और वितरण में फेरबदल होने जा रहा है। अब तक प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार की सप्लाई अलग अलग माध्यम से दुसरे जिलो से हो रही थी लेकिन अब प्रदेश सरकार के नए निर्देशों के तहत महिला समूहों से जुड़ी महिलाएं पोषाहार बनाने, पैक करने और उन्हे आंगनबाड़ी केंद्रों तक सप्लाई करने का काम करेंगी।

प्रदेश सरकार की नीतियों-निर्देशों के तहत राज्य महिला आजीविका मिशन द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों को पोषाहार निर्माण इकाई में रोजगार के अवसर दिए गये है। इसके तहत जनपद में पोषाहार की आठ इकाईयां लगाई जा रही है, प्रत्येक इकाई में 73 लाख 16 हजार का ऑटोमेटिक प्लांट लगाया जा रहा है। अहिरोरी, शाहाबाद, टोंडरपुर के 300 महिला स्वंय सहायता समूहों के सहयोग से बनाए गए क्रांति प्रेरणा लघु उद्योग के इस प्लांट को 36 महिलाओं की कार्यकारिणी संचालित करेंगी। इस प्लांट में 20 महिलाएं दो शिफ्टों में कार्य करेंगी।

जनपद में इस तरह के आठ टीएचआर प्लांट लगभग बन कर तैयार हैं। इन सभी प्लांटों के माध्यम से जनपद के सभी ब्लॉकों व नगर परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए पोषाहार बनाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इंस्टालेशन का कार्य शुरू कर दिया गया है, और अब जल्द ही उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।

केम्प लगाकर आंगनवाडी द्वारा होगी बच्चे की माप

फतेहपुर बच्चों के पोषण सुधार के लिए पोषण अभियान के तहत जिले के आंगनवाड़ी केन्द्र, पंचायत स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आदि स्थानों में विशेष कैम्पों का आयोजन होगा। जिसमें स्वस्थ बालक बालिका स्पर्धा अभियान 21 मार्च से 27 मार्च तक चलेगा।

बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए व्यवहार परिवर्तन करते हुए विशेष कैम्प का आयोजन होगा। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत स्वस्थ्य बच्चे की पहचान कर उसको एवं उसके परिवार को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 0-6 वर्ष तक आंगनबाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों से बाहर के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना, बच्चों की लम्बाई, ऊंचाई की माप लेते हुए उनमें व्याप्त कुपोषण, नाटापन, दुबलापन एवं कम वजन के बच्चे की पहचान करना तथा समय पर इलाज के लिए सम्बन्धित विभागों को सुपुर्द करना होगा। इस अभियान को लेकर सभी जरूरी तैयारियों पूरा किया जा रहा है ताकि अंतिम समय में किसी प्रकार की कोई दिक्कत सामने नहीं आए

किराये के भवनों में केसे होंगे बच्चे शिक्षित

बांदा जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों को खेल-खेल में शिक्षित करने का काम किया जा रहा है अगर जिले में किराये के आंगनवाडी केन्द्रों की बात की जाये तो अभी भी जिले में 152 ऐसे केंद्र हैं जो किराए के भवन में चल रहे हैं। और इन केन्द्रों का किराया बाल विकास विभाग को सालाना लगभग दस लाख रुपये चुकाना पड़ता है। इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य व पोषण की देखभाल भी की जाती है। और सरकार द्वारा हर महीने बच्चों को पुष्टाहार वितरित किया जाता है।

बाल विकास द्वारा जिले में कुल 1705 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किये जाते हैं। लेकिन इन सभी केन्द्रों में 152 ऐसे केंद्र हैं जिनके पास खुद का विभागीय भवन नहीं है। किराये के केन्द्रों में सबसे ज्यादा नगरीय क्षेत्र के हैं। विभाग द्वारा इन्हें किराए पर संचालित कराया जा रहा है। और इन केन्द्रों के संचालन में विभाग द्वारा साल में लगभग दस लाख रुपये का खर्च करता है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई ऐसे केंद्र हैं जो विभागीय भवन न होने के कारण परिषदीय विद्यालयों, सामुदायिक भवन आदि में संचालित हो रहे हैं।

बलरामपुर जनपद में गैड़ास बुजुर्ग विकास खंड में अधिकतर आंगनवाडी केंद्र प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में संचालित किए जा रहे हैं। प्रभारी सीडीपीओ ममता गुप्ता के अनुसार विकासखंड गैड़ास बुजुर्ग में कुल 164 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। जिसमें 60 केंद्र आंगनवाड़ी केंद्र अपने भवन में संचालित और 85 आंगनवाडी केंद्र परिषदीय विद्यालय में चल रहे हैं। जबकि छह केंद्र पंचायत भवन, एनम सेंटर व अन्य स्थानों पर संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही आंगनवाड़ी केंद्र निर्माणाधीन हैं। परिषदीय विद्यालयों में संचालित किये जा रहे आंगनवाडी केंद्र के अलावा अन्य किसी भी आंगनवाडी केंद्र में बिजली की व्यवस्था नहीं है। साथ ही कुछ आंगनवाड़ी केंद्र के अपने भवन में शौचालय भी नहीं है। बहुत से आंगनवाडी केंद्रों पर पेयजल की व्यवस्था भी उपलब्ध है।

विकास खंड के 37 आंगनवाड़ी केंद्र के भवन दयनीय स्थिति में हैं। भूमि उपलब्ध न होने के कारण लगभग नौ आंगनवाड़ी केंद्र भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इस विकासखंड के अंतर्गत संचालित किये जा रहे आंगनवाडी केन्द्रों में कुल 31 आंगनवाडी कार्यकर्ता व 52 सहायिकाओं का पद रिक्त है। इन 164 आंगनवाडी केन्द्रों में 25 हजार बच्चे पंजीकृत है। इस अव्यस्था के चलते केन्द्र में पंजीकृत लाभार्थियों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को टीकाकरण के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से मुक्त रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाले बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की स्थिति काफी दयनीय है।

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