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फर्जी सूचना देने वाली सीडीपीओ पर 50 हजार का जुर्माना

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लखीमपुर खीरी जिले के निघासन ब्लॉक मे बाल विकास विभाग मे प्रभारी सीडीपीओ के पद पर कार्यरत रहीं मंजूरानी वर्मा पर हाईकोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ यह कार्यवाही गलत दस्तावेज़ प्रस्तुत कर कोर्ट को गुमराह करने के मामले में की गई है।

जुर्माने की राशि ज्यादा होने पर मंजूरानी वर्मा के वकील के अनुरोध करने पर कोर्ट ने जुर्माने की राशि घटाकर 10 हजार रुपये जमा करने की मंजूरी दे दी।

जिले के निघासन ब्लॉक मे बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में मंजूरानी वर्मा लगभग 12 साल से सुपरवाईजर के पद पर कार्य कर रही थी। करीब सात साल पहले निघासन ब्लॉक की सीडीपीओ उषा अग्निहोत्री के रिटायर होने पर ये पद रिक्त हो गया था।

चूंकि विभाग के कार्यो मे कोई समस्या न हो और आंगनवाड़ी केन्द्रो की गतिविधिया सुचारु रूप से चलती रहे इसके लिए क्षेत्र की मुख्य सेविका मंजूरानी को सीडीपीओ के पद का प्रभार दे दिया गया।

विभाग के निदेशालय द्वारा तबादला नीति के अनुसार मंजूरानी वर्मा का 30 जून 2023 को पीलीभीत मे ट्रांसफर कर दिया गया। ट्रांसफर होने के बाद अक्तूबर 2023 मे निघासन ब्लॉक का अतिरिक्त चार्ज सदर की सीडीपीओ पूजा त्रिपाठी को दे दिया गया।

मुख्य सेविका मंजूरानी ने तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी। इस रिट मे मंजूरानी वर्मा ने खुद को लकवा बीमारी की समस्या होने की वजह से लखीमपुर में इलाज कराने को लेकर तबादला निरस्त करने की अपील की थी।

बाल विकास विभाग ने कौर्ट मे अपील की मंजूरानी की याचिका पर ध्यान देते हुए चार जनवरी 2024 को मेडिकल बोर्ड के सामने जांच करने के लिए बुलाया लेकिन मंजूरानी जांच के लिए नहीं पहुंचीं। इस पर निदेशक को शक हुआ और निदेशालय ने मंजूरानी का ट्रान्सफर रोकने का प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया।

कोर्ट द्वारा मंजूरानी द्वारा तबादला रोकने की रिट के साथ अपनी बीमारी के संबंध मे निजी हॉस्पिटल के जो दस्तावेज़ कोर्ट मे जमा किये थे उनमे भी कोर्ट संतुष्ट नहीं थी। दस्तावेज़ की जांच मे मंजूरानी को लकवा बीमारी के बजाय पार्किंसन नाम की बीमारी पायी गयी। इससे कोर्ट ने मंजूरानी द्वारा अदालत को गुमराह करने का दोषी पाया गया।

अदालत ने मंजूरानी द्वारा गलत दस्तावेज़ जमा करने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए तबादला रोकने की याचिका खारिज कर दी। लेकिन वकील के विशेष अनुरोध करने पर कोर्ट ने जुर्माने की रकम को कम करते हुए 10 हजार रुपये जमा करने की मंजूरी दे दी।

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