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बाल विकास विभाग या बाल भ्रष्टाचार विभाग ?

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग एक भ्रष्टाचार विभाग बन कर रह गया है चाहे तबादले से लेकर नियुक्ति की बात हो या किसी टेंडर से लेकर आंगनवाडी भवन निर्माण का विषय हो हर जगह भ्रष्टाचार की जड़ फेली हुई है पिछले कुछ समय से जनपद में आंगनवाडी ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया चल रही है जिसमे पैसे लेकर नियुक्ति देना आम बात हो गयी है कुछ जिले के आंगनवाडी भवन निर्माण में प्रयोग होने वाली घटिया सामग्री की खबरे आ रही है और कई जिले में शासन द्वारा आंगनवाडी भवन निर्माण मद में बजट जारी होने के बाद भी आज तक भवन निर्माण पूर्ण नहीं हुआ

समायोजन के नाम पर हो रहा खेल

फरूखाबाद

जनपद फर्रुखाबाद में कुपोषण की जंग जीतने को बेशक सरकार गंभीर है मगर इसके नतीजे बेहतर नहीं आ पा रहे हैं। अपने जिले के ही आंकड़ों को देखें तो जिले में जो ताजा आंकड़े हैं उसमें 1300 बच्चे कुपोषित दायरे में हैं तो वहीं छह हजार बच्चे अति कुपोषित हैं। बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास भी किए जा रहे हैं मगर जो प्रयास होने चाहिए वह नहीं संभव हो पा रहे हैं। पिछले एक साल में पोषण पुनर्वास केंद्र में 64 बच्चे भर्ती किए गए हैं

आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूर्व में ग्राम स्तरीय पोषण के सुधार को लेकर बैठकें की जा रही थीं। अब इन बैठकों को लेकर ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है। इस बैठक में गर्भवती महिलाओं के अलावा पांच वर्ष तक के बच्चों, किशोरी, बालिकाओं को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने की व्यवस्था निहित की गयी थी। वहीं कुपोषित, अति कुपोषित बच्चों को सीडीपीओ और मुख्य सेविकाएं भर्ती कराने में रुचि नहीं ले रही हैं।

डी पी ओ भारत प्रसाद ने बताया है कि 66 जिले में 1300 अति कुपोषित और 6000 कुपोषित बच्चे हैं । इनके पोषण स्तर में सुधार के लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं। बच्चों की हालत के हिसाब से पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसको लेकर सीडीपीओ और मुख्य सेविकाओं को लगातार हिदायत भी दी जाती है।

हरदोई में आंगनवाडी भवन बनाने में हो रहा भ्रष्टाचार

जनपद हरदोई के अहिरोरी में नौनिहालों को पढ़ाने की आधारशिला रखने वाले आंगनवाड़ी केंद्र बनवाने के कार्य में इस समय जमकर मानक विहीन सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। अहिरोरी विकास खंड में बन रहे अधिकतर आंगनवाड़ी केंद्र में घोर लापरवाही व अनियमितता बरती जा रही है। बिना किसी डर के ग्राम पंचायत फरीदापुर में बन रहे आंगनबाड़ी केंद्र में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग कर जमकर बंदरबाट किया जा रहा है।

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ग्राम प्रधान ने बताया कि इस नए आंगनबाड़ी केंद्र में अव्वल ईट के स्थान पर दोम ईंट का प्रयोग व नींव में पीला ईट का जमकर प्रयोग हुआ।
लेंटर में भी नियम कानून ताक पर रखे गए व छत व बीम में भी मानक अनुरूप सरिया व अन्य सामग्री का प्रयोग नही हुआ। अगर जल्द ही शासन- प्रशासन कार्यवाही नही करता तो हम मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे।

सिद्धार्थनगर

जनपद में आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण में हो रही देर का कारण को लेकर अभी तक संशय बरकरार है पांच वर्षों में स्वीकृत 265 आंगनबाड़ी केंद्र के सापेक्ष आज तक सिर्फ 89 भवन हैंडओवर हो सके हैं। 13.23 करोड़ रुपये की लागत के 176 आंगनबाड़ी केंद्र विभाग को आज तक हैंडओवर ही नहीं हो सके हैं। भवन बने भी हैं या नहीं विभाग को इसकी भी जानकारी नहीं है। 7.52 लाख रुपये से बनने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों को हैंडओवर कराने में जिला प्रशासन ने भी अभी तक कोई कार्यवाही नही की है
जिले में बाल विकास विभाग के आंगनवाड़ी केंद्रों के भवन उधार में चलने से स्थिति बहुत ही दयनीय है स्थिति को सुधारने के लिए 2016-17 में शासन से 200 आंगनवाड़ी केंद्रों को बनाने की स्वीकृति मिली। इसमें 100 भवन ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) को व 100 ग्राम पंचायतों को बनाना था। इस वित्तीय वर्ष में आरईएस द्वारा बनाए गए भवन में 43 विभाग को हैंडओवर हो गए हैं। शेष 57 भवन आज तक विभाग को नहीं मिल पाया है। इसी वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत को भी 100 भवन बनाना था लेकिन उसका भी कोई पता नहीं। प्रधानों का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है, भवन बने भी हैं या नहीं ये भी स्पस्ट नही है स्वीकृत भवन के नाम पर धन निकालने की खबरे भी आ रही है

दो वित्तीय वर्ष के 19 भवन का आज तक कोई पता नही चल सका वित्तीय वर्ष 2017-18 में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) को 35 नए आंगनबाड़ी केंद्र बनाने की स्वीकृति मिली थी। इसमें 23 बनकर विभाग को हैंडओवर हो चुके हैं। शेष 12 भवन का क्या हुआ इसकी भी कोई जानकारी नही मिल सकी । जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में आरईएस को 30 भवन बनाने की स्वीकृति मिली। इस वित्तीय वर्ष में 23 हैंडओवर हो गए, शेष सात हैंडओवर नहीं हुए हैं।

आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण में आईसीडीएस के साथ पंचायती राज विभाग व मनरेगा से राशि दी गई है। इसमें 4.46 लाख रुपये मनरेगा, 1.06 लाख रुपये पंचायती राज विभाग व दो लाख रुपये आईसीडीएस की ओर से दिया गया है।

इस सम्बंद में डी पी ओ ने बताया कि पांच वर्षों में 265 आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के लिए स्वीकृति मिली है। इसमें से अब तक 89 हैंडओवर हो चुके हैं । बचे भवन को हैंडओवर कराने के लिए डीएम के माध्यम से कार्यदायी संस्था को चिट्ठी भेजी गई है।

Aanganwadi Uttarpradesh

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