मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों की वास्तविकता पर निदेशालय ने मांगा जवाब, मिनी कार्यकत्री लाभ से वंचित
आंगनवाड़ी न्यूज
बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जा रहे मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्ण दर्जा दिए जाने की कवायद बहुत सुस्त रफ्तार से चल रही है।जिसके कारण इन केंद्रो पर तैनात मिनी वर्करों को मानदेय का लाभ कम मिल रहा है साथ ही ये मिनी आंगनवाड़ी सहायिका से भी वंचित है।
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बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग निदेशालय द्वारा 2023 में मिनी केंद्रों को जनसंख्या के आधार पर सर्वे कर पूर्ण केंद्र बनाए जाने के सम्बन्ध में आदेश जारी किए गए थे।लेकिन इस आदेश को लगभग एक साल बीत चुका है लेकिन अभी तक जिला स्तर के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है।
इस सम्बंध में विभाग की निदेशक सरनीत ब्रोका ने प्रदेश के सभी डीपीओ को दुबारा आदेशित किया है कि जिले की सभी परियोजनाओं मे अगर कोई मिनी केंद्र को पूर्ण केंद्र बनाया जा सकता है तो उस मिनी केंद्र की सूचना पोर्टल पर फीड किया जाए। बशर्ते वो मिनी केंद्र पूर्ण केंद्र की तरह नियमानुसार मापदंड पर खरा उतरता हो।
केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्ण केंद्र में अपग्रेड किए जाने के संबंध में आदेश जारी किया गया था। प्रदेश में इन मिनी केंद्रों की और पोषण ट्रेकर पर फीड मिनी केंद्रों की मेपिंग में काफी असमानता मिलने पर निदेशक महोदया द्वारा ये आदेश जारी किया गया है।
इस आदेश के अनुसार निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिलों के डीपीओ से पोर्टल पर केंद्रों की वास्तविकता की जानकारी मांगी है। क्योंकि पोषण ट्रेकर पोर्टल और प्रदेश मे संचालित मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों की मेपिंग मे काफी विभिन्नता आ रही थी।
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पिछले कुछ वर्षो से प्रदेश के सभी जिलों में संचालित मिनी केंद्रों के क्षेत्रों मे जनसंख्या काफी बढ़ चुकी है और ये मिनी केंद्र अभी भी मिनी केंद्र की श्रेणी मे आते है जबकि बाल विकास विभाग में आंगनवाड़ी मिनी केंद्र उस स्थिति में संचालित किए जाते है जहां की जनसंख्या कम होती है। इन मिनी कार्यकत्रियों का मानदेय पूर्ण कार्यकत्रियों से कम होता है और इन मिनी आंगनवाड़ी को सहायिका भी उपलब्ध नही कराई जाती है।