नई दिल्ली केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अगुवाई में केन्द्रीय बजट चर्चा 2024-25 के लिए पूर्व चर्चा की गयी जिसमे ‘भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) -संबद्ध ट्रेड यूनियन,सीटू ट्रेड यूनियन को-आर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) ने भाग लिया।
ट्रेड यूनियनों ने सरकार से आयकर छूट सीमा बढ़ाने, रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत प्रति परिवार दिए जाने वाले काम को दोगुना करने और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कवर करने के लिए सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने की मांग की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अपनी बजट पूर्व बैठक में यूनियनों ने 8वें वेतन आयोग के गठन और पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की भी मांग की।
बीएमएस के अखिल भारतीय संगठन सचिव बी सुरेंद्रन ने कहा कि हमने वित्त मंत्री से असंगठित क्षेत्र के सभी 93% श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए कहा है।
सीटू के महासचिव तपन सेन ने कहा है कि पिछले साल वित्त मंत्री ने आमने-सामने बैठक करने से इनकार कर दिया था। प्रत्येक यूनियन को 5 मिनट का समय दिया गया था। इसलिए मैंने ऑनलाइन बैठक का बहिष्कार किया। इस बार मंत्री ने सीधे हमसे लगभग ढाई घंटे वार्ता की है।
वित्त मंत्री के साथ परामर्श बैठक में भाग लेने वाली ट्रेड यूनियन समन्वय समिति (टीयूसीसी) ने अपनी पहली मांग पर आशा, आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन श्रमिकों को रखते हुए कहा है कि इन जैसे योजना श्रमिकों को दुर्भाग्य से श्रमिकों के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।
इसलिए निर्मला सीतारमण से विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया गया है कि इन कर्मियों को श्रमिक की श्रेणी मे लाया जाये। क्योंकि ये योजना श्रमिक की परिभाषा के तहत श्रमिकों को प्रदान की जाती है
टीयूसीसी द्वारा मंत्री सीता रमण के सामने आशा, आंगनवाड़ी, मिड-डे-मिल वर्कर,आदि अन्य अन्य विभागो मे कर रहे संविदा कर्मी और मानदेय कर्मी के लिए सामाजिक सुरक्षा सहित कई मुद्दे शामिल किये गए हैं।
टीयूसीसी ने वित्त मंत्री को दिए पत्र मे कहा है कि आशा, आंगनवाड़ी, मिड-डे मील वर्कर जैसे स्कीम वर्कर की हमारे समाज कोई पहचान नहीं है चूंकि ये एक महिलाए है। लेकिन फिर भी इन्हे एक श्रमिक के रूप में कोई पहचान नहीं मिली है।
ट्रेड यूनियन ने वित्त मंत्री सीता रमन से अनुरोध किया है कि इन स्कीम वर्करों को एक वर्कर (श्रमिक) की परिभाषा के अंतर्गत लाने पर विचार करें और उन्हें अन्य वर्करों की तरह सरकार से प्राप्त सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान की जा सके।