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आंगनवाडी और सीडीपीओ के प्रयास से किशोरी का हुआ एडमिशन,पोने दो लाख लाभार्थी किशोरी का कोई रिकॉर्ड नही

आंगनवाडी न्यूज़

सीतापुर खैराबाद के गाँव अकोइया में सोमवार को बाल विकास परियोजना अधिकारी को डा. अनूप कुमार सिंह को आंगनबाड़ी कार्यकत्री सरोजनी देवी के केंद्र पर सुचना मिली कि एक किशोरी का कक्षा आठ उत्तीर्ण होने के बाद पापा ने स्कूल में दाखिला नहीं कराया। जिससे किशोरी उदास होकर घर में बैठ गई है । जबकि उस किशोरी की आंगनबाड़ी केंद्र की उसकी सभी 10 सहेली स्कूल जा रहीं है

आंगनबाड़ी कार्यकत्री सरोजनी देवी को जेसे ही किशोरी का स्कूल में दाखिला न होने की बात मालूम हुई तो वह उस किशोरी के घर गई और उसके माता- पिता को बहुत समझाया लेकिन किशोरी के एडमिशन को लेकर उसके पिता तैयार नहीं हुए । आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने उस किशोरी के बारे में सीडीपीओ को बताया तो अनूप कुमार सिंह ने किशोरी को केंद्र पर बुलाकर बात की। फिर सरोजनी देवी के साथ किशोरी को कार में बैठाकर उसके घर ले गए। और सीडीपीओ ने उस किशोरी के सामने ही उसके पिता और मां को बेटियों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा का महत्व के बारे में समझाया सीडीपीओ के समझाने पर किशोरी के पिता उसे पढ़ाने को तैयार हो गए और शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र में कक्षा नौ में एडमिशन कराने के लिए सहमति दे दी।

पोने दो लाख लाभार्थी किशोरी का कोई रिकॉर्ड नही

मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लाभार्थी किशोरी को करोड़ों रुपए का राशन वितरण का दावा कर रहा है। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के पास पिछले दो सालों में स्कूल छोड़ने वाली किशोरियों का कोई रिकॉर्ड ही नही है महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार पिछले पांच साल में 11 से 14 साल की 7लाख समेत 13 लाख 41 हजार किशोरियों ने स्कूल छोड़ दिया था । और पिछले पांच साल में स्कूल छोड़ चुकी इन्हीं किशोरियों को 424 करोड़ 88 लाख रुपए का राशन वितरण किया गया है लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों के अनुसार स्कूल छोड़ने वालीकिशोरियों का कोई रिकॉर्ड नही है इन किशोरियों के नाम पर पोषण आहार सिर्फ कागजों पर ही खर्च किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से सर्वशिक्षा अभियान के अफसरों ने जब इसकी जांच पड़ताल शुरू की तो इस बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है । भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) को इस घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा है। जांच में गडबडी आने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से कलेक्टरों को पत्र द्वारा कहा गया है कि हमारे रिकॉर्ड के अनुसार 2 लाख 17 हजार 211 किशोरी चिन्हित है और इनमे 1,71365 बालिकाओं को पोषाहार वितरण कराया जा रहा है।


केंद्र के महिला बाल विकास विभाग द्वारा सभी जिला अधिकारी को सुचना दी गयी थी कि इन बच्चियों की नामजद सूची जिला कार्यक्रम अधिकारियों से मांगी जाये लेकिन अभी तक कोई सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है। बच्चियों के पोषण आहार वितरित किए जाने में प्रतिवर्ष घोटाले की रकम 200 करोड़ रुपए से ज्यादा है। सरकार के दो विभागों के आपसी तालमेल का ये हाल है कि पहला बच्चियों की संख्या तीन साल में 7 लाख बताता है तो दूसरे की जानकारी 1 लाख 8 हजार रुपए ही है। 2015-16 में महिला एवं बाल विकास विभाग 11 से 14 साल की बच्चियों के स्कूल छोड़ने की संख्या 2 लाख 7 हजार बता रहा है, वहीं स्कूल शिक्षा विभाग 28 हजार। यानी कौन-सी 1 लाख 71 हजार लाडलियों को राशन वितरित कर दिया गया।

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