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जिले में बढ़ती कुपोषित बच्चो की संख्या पर डीपीओ ने लिया अहम फैसला

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कौशाम्भी आंगनवाडी केन्द्रों के लाभार्थियों को पोषाहार वितरण हेतु शासन की नयी योजना के अनुसार ग्रामीण महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आजीविका मिशन में महिलाओ को समूह गठित कर रोजगार दिया जा रहा है ये समूह की महिलाये ब्लाक स्तर से पोषाहार का उठान कर आंगनवाडी केन्द्रों पर पहुचाती है

जनपद के बारा ब्लॉक क्षेत्र में भी आंगनबाड़ी केंद्रों में समूह के माध्यम से पोषाहार पहुंचाया जा रहा है। इसका किराया समूह को मिलता है। किराया प्रति लाभार्थी सात माह से तीन वर्ष तक के बच्चों का 1.37 पैसा, गर्भवती धात्री प्रति लाभार्थी 1.28 पैसा, छह वर्ष के बच्चों का 1.58 पैसा प्रति लाभार्थी मिलता है। क्षेत्र में 140 समूह बनाए गए हैं, जिनमें से 57 समूह कार्य कर रहे हैं। 207 आंगनवाड़ी केंद्र में लगभग 21 हजार 837 बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन इन आंगनवाडी केन्द्रों पर पोषाहार पहुंचाने का भाड़ा काफी समय से समूह को नहीं मिल रहा है। पिछले सात माह से भाड़ा न मिलने पर समूहों की महिलाओ में नाराजगी है।

आंगनवाडी केन्द्रों पर ड्राई राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी शिवभोला स्वयं सहायता समूह, श्रीकृष्णा समूह बारा, गंगा समूह रॉक्सवारा, रूपा समूह म्योहरिया आदि दर्जनों समूह को मिली है, लेकिन आंगनवाडी केन्द्रों पर राशन पहुचाने के बाद भी किराया नहीं मिल रहा है । समूह की महिलाओ का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी इसमें भी खेल कर रहे हैं। तीन से चार माह तक पहुंचाने के बाद भी भाड़ा नहीं दिया जा रहा है। इससे समूहों की महिलाओ में आक्रोश है।

जिले में बढ़ रहा कुपोषण

हापुड़ जनपद के जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्ञानप्रकाश तिवारी ने बढ़ती कुपोषित बच्चो की संख्या को संज्ञान में लेते हुए कहा है कि समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय कर मैम-सैम बच्चों की सेहत सुधारी जाएगी। जनपद में कुल 50 मैम (कुपोषित) और 32 सैम (अति कुपोषित) बच्चे चिन्हित किए गए हैं। सभी बच्चों का वजन और लंबाई पोषण ट्रैकर एप पर अपलोड कर दी गई है।

डीपीओ ने बताया कि 21 से 27 मार्च तक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभागीय निर्देश पर मैम – सैम बच्चों को चिन्हित करने के लिए पांच वर्ष तक के बच्चों का वजन और लंबाई मापी गई। और इस आयु वर्ग के 88325 बच्चों का वजन और लंबाई ली गई, इसी क्रम में 85 639 बच्चे सामान्य और 1818 बच्चों का वजन मामूली कम व 868 बच्चों का वजन गंभीर रूप से कम पाया गया। लंबाई के आधार हुई स्क्रीनिंग में 88243 बच्चे सामान्य, 50 बच्चे मैम और 32 बच्चे सैम श्रेणी में पाए गए।

डीपीओ ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर सभी बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग की जा रही है और सेहत में सुधार के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी दी जा रही है। मैम और सैम श्रेणी के बच्चों की चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था कराई जा रही है। चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर यदि जरूरत पड़ी पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती रखकर निशुल्क उपचार भी दिलाया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती और धात्री महिलाओं की काउंसलिंग के साथ ही पोषाहार भी उपलब्ध कराया जाता है ताकि मां और शिशु, दोनों का स्वास्थ्य बेहतर हो सके।

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