यूपी सरकार आंगनवाड़ी केन्द्रो को हाइटेक बनाने का प्रचार कर रही है वही दूसरी और इन आंगनवाड़ी केन्द्रो के बच्चो को फर्नीचर भी नसीब नहीं है चूंकि अब सर्दी का मौसम भी आ चुका है। ऐसे में आने वाले मौसम में इन छोटे बच्चो को और ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
मुरादाबाद जिले की बात करे तो जनपद मे 2520 आंगनबाड़ी केंद्रों पर फर्नीचर उपलब्ध नहीं हैं। इन केन्द्रो पर पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों को दरी व टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। जबकि सरकार इन केन्द्रो को मॉडल बनाने का ढिंढोरा पीट रही है। जिले में 2770 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है जिसमे मात्र जिले के 250 आंगनबाड़ी केंद्रों में ही फर्नीचर की व्यवस्था है।
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केन्द्रो पर आने वाले बच्चो मे तीन साल से छह साल की आयु के दो लाख के करीब बच्चे पढ़ाई करते हैं। इनमें पढ़ने वाले बच्चों को फर्नीचर न मिलने से जमीन पर टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों के सौंदर्यीकरण की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नगर निकायों व ग्राम पंचायतों को दी गयी थी। लेकिन जिले के कुछ क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो सबने आंगनवाड़ी केन्द्रो से किनारा कर लिया।
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आंगनवाड़ी केन्द्रो के सौंदर्यीकरण को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ो रुपए जारी करने के आदेश तो जारी होते है लेकिन ये बजट का पेसा कहा आता है कहा जाता है इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं होता। इससे पहले भी कुछ दिन पूर्व शासन स्तर से सभी जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों के सौंदर्यीकरण के लिए एक आदेश जारी किया गया था। इसमे मुरादाबाद जिले के लिए सीएसआर फंड व अन्य माध्यमों से आंगनवाड़ी केंद्रों के सौंर्दीयकरण पर निर्णय लिया गया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका।
इस संबंध मे जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रीति सिंह का कहना है कि स्वयं सेवी संस्थाओं से फर्नीचर उपलब्ध कराने को कहा गया है। इससे पहले भी कई संस्थाओं ने आंगनवाड़ी केन्द्रो पर फर्नीचर उपलब्ध कराया है। एक आंगनबाड़ी केंद्र में फर्नीचर उपलब्ध कराने में 10 से 12 हजार का खर्चा आता है।
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