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मानदेय के नाम पर यूपी सरकार ने आंगनवाड़ी वर्करो को दिया धोखा, हर जिले से उठ रही विरोध की चिंगारी

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योगी सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मानदेय के साथ प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मानदेय के साथ 1500 रूपया प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है। मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 1250 और सहायिकाओं को 750 रूपया प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि मिलेगी। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों इस प्रोत्साहन मानदेय से खुश नहीं है। आंगनवाडी वर्करो को प्रोत्साहन नही मानदेय में बढ़ोत्तरी चाहिए आंगनवाडी का कहना है कि ये सिर्फ एक धोखा है और इसे ऊंट के मुंह में जीरा बताया है। योगी सरकार ये आंगनवाडी वर्करो को लुभाने के लिए चुनावी लोलीपोप दिया है 2022 का विधानसभा चुनाव नजदीक है इसलिए मानदेय में मामूली बढ़ोतरी कर दी गई है। और योगी सरकार इससे पहले भी 2018 में प्रोत्साहन राशी का शासनदेश जारी कर चुकी है लेकिन अभी तक कोई पैसा नहीं बढाया गया है सिर्फ सोशल मीडिया और न्यूज़ पेपर में आंगनवाडी मानदेय बढ़ोत्तरी के नाम पर अपनी वाहवाही लूट रही है कार्यकत्रिया मानदेय में बढ़ोतरी से खुश नहीं है क्योंकि उनकी मांग ज्यादा मानदेय की चल रही थी। सरकार के इस निर्णय से आंगनवाडी के विरोध की चिंगारी हर जनपद से सुलग रही है और उम्मीद है कि ये विरोध की आग पुरे प्रदेश में एक आन्दोलन का रूप ले सकती है

यूपी सरकार के ऑफिसियल ट्वीटर अकॉउंट से जारी किया गया भ्रामक वीडियो

मानदेय बढ़ोत्तरी के नाम पर प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रचार प्रसार करने के लिए भारतीय जनता पार्टी उत्तरप्रदेश के आधिकारिक ट्वीटर अकॉउंट पर एक भ्रामक वीडियो जारी किया गया है जिसमे कार्यकत्रियों का मानदेय 6 हजार से बढ़ाकर साढ़े सात हजार करने की उपलब्धि प्रदर्शित की गई है जबकि हकीकत में आंगनवाड़ी कार्यकत्री को मात्र 5500 रुपए दिया जा रहा है

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महिला आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ ने शासन को किया पत्र जारी

महिला आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने उत्तरप्रदेश सरकार को पत्र जारी करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्री, मिनी आंगनवाड़ी एवं सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोत्तरी के नाम पर छलावा कर रही है। प्रमुख सचिव द्वारा जारी शासनादेश संख्या -39/2021/2815/58-1.2021-2/1(24)17टी.सी. द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्री को 1500/- मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्री को 1250/- एवं सहायिका को 750/- की प्रोत्साहन भत्ते के रूप बढ़ी हुई धन राशि देने का आदेश निर्गत किया गया है। जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 2019 में घोषणा किया गया था कि आंगनबाड़ी महिलाओं के मूल मानदेय में उक्त राशि का बढ़ोत्तरी किया जायेगा लेकिन शासन द्वारा आंगनबाड़ी महिलाओं के मूल मानदेय में बढ़ोत्तरी न करके प्रोत्साहन भत्ते के रूप उक्त राशि को दिये जाने का आदेश जारी किया गया है जो कहीं से उचित नहीं है। साथ ही समाचार पत्रों में भी प्रकाशित करा दिया गया कि प्रदेश के आंगनबाड़ी महिलाओं के मूल मानदेय में बढ़ोत्तरी किया गया। बैठक में आंगनबाड़ी महिलाओं द्वारा सरकार के इस छलावे का घोर निन्दा किया गया एवं साथ ही सरकार से आवाह्न किया गया कि उक्त बढ़े हुए प्रोत्साहन की धनराशि को आंगनबाड़ी महिलाओं को भत्ते के रूप में ना देकर मूल मानदेय में बढ़ोत्तरी करने का आदेश जारी करवाया जाय। जिससे की आंगनबाड़ी महिलाओं में सरकार के प्रति व्याप्त असंतोष को दुर किया जा सके।

जनपद हमीरपुर में खन्ना की आंगनबाड़ी कार्यकत्री राम कली निषाद ने कहा है कि सामान्य मानदेय में आंगनबाड़ी कार्यकत्री काम करने को मजबूर है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की लंबे समय से नियमित करने की मांग चल रही है जिसे सरकार नजरअंदाज कर रही है। मंहगाई के दौर में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सामान्य मानदेय में घर चलाना मुश्किल हो रहा है। मंहगाई के बीच आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां विभागीय कार्यो को संचालित कर रही है। कोरोना काल में जान जोखिम में डालकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने महिलाओं की सेहत की देखभाल की है।

खन्ना आंगनबाड़ी कार्यकत्री शांति देवी सोनी का कहना है कि सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लेकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सुध ली है। अब सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को नियमित करना चाहिए। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं सहित किशोरियों के सेहत की देखभाल कर रही है जबकि विद्यालय से ड्राप आऊट बच्चों को अक्षर ज्ञान कराने के साथ ही उनकी सेहत की देखभाल कर रही है। ऐसे में सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के भविष्य को देखते हुए निर्णय लेना चाहिए।

जनपद इटावा के हलू की आगन बाडी केंद्र की कार्यकत्री देवकी कुमारी ने बताया कि इस मंहगाई के समय मे 15सौ रूपये की मानदेय में बढोतरी हो जाने से कुछ नही होता है । कम से कम प्रदेश सरकार को 20हजार रूपये मानदेय करना चाहिए। महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन मानदेय में मामूली बढ़ोतरी की गई है जो पर्याप्त नहीं है।

हर्राजपुर की आगनबाडी कार्यकत्री आनंद कुमारी ने कहा कि यह मानदेय बढाना ऊटँ के मुंह मे जीरा है । कम से कम 10 हजार रुपए मानदेय होना चाहिए। 10000 मानदेय की मांग काफी समय से चल रही है लेकिन सरकार ने बहुत मामूली बढ़ोतरी की है। इसको और बढ़ाकर मानदेय 10000 ही किया जाना चाहिए।

गुलालपुर की आंगनबाडी कार्यकत्री रामा बेटी ने बताया कि 15 सौ रूपये की बढोतरी होने से खुश है। उनका कहना है कि और आने वाले समय मे धीरे धीरे करके मानदेय और बढ जायेगा। उन्होंने कहा कि मानदेय में बढ़ोतरी होने लगी है तो आने वाले दिनों में और भी बढ़ोतरी होगी तथा मानदेय बढ़ जाएगा।

ग्राम जयमलपुर की कार्यकत्री सीता शर्मा ने कहा कि जिस तरह हम लोगो से सरकार काम लैती है उसी के अनुसार हम लोगो को मानदेयमिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से काफी काम लिया जाता है इसके बावजूद उन्हें बेहद कम मानदेय दिया जाता है। काम के हिसाब से मानदेय दिया जाए।

फतेहपुर

जनपद फतेहपुर की मिनी आगनबाड़ी रूपा तिवारी का कहना है कि नियमित कार्य करने के बाद भी सरकार के द्वारा जो मानदेय बढ़ाया गया है, उससे संतुष्टि नहीं है। आंगनबाड़ी व सहायिका एक अध्यापक की तरह पूरी जिम्मेदारी निभाती हैं। जिसका मेहनताना नाम मात्र है। लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान दिया है

रीता दीक्षित आंगनबाड़ी कार्यकत्री सरकार के द्वारा निर्धारित मानदेय से सन्तुष्ट नही है। आंगनबाड़ी संचालिका व सहायिका का वेतन उनकी मजदूरी के बराबर भी नहीं है। इसे बढ़ाकर अध्यापकों के बराबर करना चाहिए। जिससे उनके द्वारा की जा रही मेहनत का हक मिल सके।

माया दीक्षित आंगनबाड़ी विजयीपुर ब्लॉक संघ अध्यक्ष की मांग थी कि 18 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन और सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन मिले। लेकिन सरकार ने मात्र 15 सौ रुपए की बढ़ोतरी कर 5500 रुपए से 7000 मानदेय कर दिया है, इतना तो मजदूरी भी नहीं होती है। इतने में तो कोई मजदूर भी नहीं मिलता है।

ऊषा दिवेदी आंगनबाड़ी ने कहा कि कार्यकत्रियों के प्रति सरकार का रवैया बिल्कुल ठीक नहीं है। सरकार ने उनका सम्मानजनक मानदेय भी नहीं बढ़ाया है। बढ़ोत्तरी को स्वीकार करते हुए आगे आंदोलन करेंगे। 

सावित्री सिंह ने बताया कि हम उम्मीद लगाए थे कि कम से कम 10 हजार रूपए मानदेय हो जाएगा। लेकिन उनकी उम्मीदों पर सरकार ने पानी फेरा है। वह लोग अपनी मांग को लेकर लगातार संघर्ष करेंगे।

ममता देवी ने कहा कि हम सुबह नौ बजे से शाम तीन बजे तक केन्द्र में काम करते हैं। रविवार को छोड़कर कोई छुट्टी भी नहीं है। महंगाई को देखते हुए सरकार उनकी मेहनत का मूल्य नहीं दे रही है।

आरती पांडेय ने कहा कि बढ़ोत्तरी के बाद अब मानदेय सात हजार रूपए मिलेगा। इतने कम मानदेय से परिवार का गुजारा नहीं हो सकता। काम के बोझ से वह लोग अलग ही जूझती रहती है।

चित्रकूट

चित्रकूट की आंगनबाड़ी भी इस डेढ़ हजार रूपए मासिक बढ़ोत्तरी से संतुष्ट नहीं है। वह मौजूदा समय पर मंहगाई को देखते हुए कम से कम दस हजार मासिक मानदेय किए जाने की उम्मीद कर रही थी। लेकिन उम्मीदों के मुताबिक मानदेय में बढ़ोत्तरी न होने से वह निराश हुई है। कई वर्ष से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां मानदेय की बढ़ोत्तरी को लेकर लड़ाई लड़ रही है। मंहगाई को देखते हुए वह 18 हजार रूपए मासिक मानदेय करने को लेकर आंदोलनरत है। और उनकी लड़ाई अभी जारी रहेगी। सम्मानजनक मानदेय न मिलने तक वह आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगी। वर्ष 2017 से वह आंदोलन कर रही है। पिछले साल सरकार ने नौ हजार रूपए मानदेय मान लिया था। इसके लिए कमेटी गठित हुई थी। कमेटी ने प्रस्ताव भी दिया था। लेकिन शासनादेश नहीं निर्गत किया गया प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय में डेढ़ हजार रूपए मासिक बढ़ोत्तरी की है। वह मौजूदा समय पर मंहगाई को देखते हुए कम से कम दस हजार मासिक मानदेय किए जाने की उम्मीद कर रही थी। लेकिन उम्मीदों के मुताबिक मानदेय में बढ़ोत्तरी न होने से वह निराश हुई है। कई वर्ष से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां मानदेय की बढ़ोत्तरी को लेकर लड़ाई लड़ रही है। मंहगाई को देखते हुए वह 18 हजार रूपए मासिक मानदेय करने को लेकर आंदोलनरत है।

बाँदा

बांदा में भी योगी सरकार के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय में अल्प वृद्धि करके उसको प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की घोषणा से कार्यकत्रियां नाखुश है आंगनवाडी वर्करो का आरोप है कि ऐसी महंगाई में सरकार को कम से कम दस हजार मानदेय करना चाहिए। जिससे कि अपना और परिवार का भरणपोषण समुचित तरीके से कर सकें।

आंगनबाड़ी एसोसिएशन की मंडल अध्यक्ष नीलम वर्मा ने बताया कि अब आंगनबाड़ी कार्यकत्रियाें को 5500 के बजाय 7000 रुपए प्रतिमाह, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियाें को 5500 रुपए और सहायिकाओं को 4000 रुपए मानदेय मिलेगा। लेकिन इस इजाफे से तमाम कार्यकत्रियां नाखुश नजर आ रही हैं। उनका कहना है कि इस महंगाई के दौर में सरकार को कम से कम दस हजार रुपए मानदेय करना चाहिए।

मिथलेश आंगनबाड़ी कार्यकत्री देश के किसी भी प्रान्त में इतना कम मानदेय नहीं है। लेकिन 1500 रुपये मानदेय वृद्धि के बाद हम खुश हैं। हालांकि सरकार को इस महंगाई के दौर में कम से कम दस हजार मानदेय पर विचार करना चाहिए। जिससे कि सही ढंग से जीवन यापन किया जा सके।

 शैलजा दिवेदी आंगनबाड़ी कार्यकत्री अर्से से चली आ रही मांग पर सरकार विचार करती तो और अच्छा होता , अगर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की तर्ज पर सरकार वॄद्धि करती तो कम से कम परिवार का गुजारा तो हो जाता । इतनी महंगाई में हम लोगो को परिवार चलाने में दिक्कत होती है ।

सुमित्रा श्रीवास आंगनबाड़ी कार्यकत्री महंगाई चरम पर है इतने मानदेय से घर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । हमे खुशी है कि सरकार ने हमारी अनदेखी नहीं की है लेकिन सरकार कम से कम इतना तो करती की पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की तरह उत्तरप्रदेश में भी मानदेय इजाफे का आदेश देती तो और बेहतर होता।

गीता यादव आंगनबाड़ी कार्यकत्री हम लोगो की कोई नहीं सुनता पर कम से कम सरकार ने दैनिक मजदूर के बराबर तो मानदेय का तोहफा सौपा है । सरकार ने भले ही मांग के अनुसार मानदेय वृद्धि न हो लेकिन मानदेय इजाफे की सूचना से खुशी की लहर है। चुनाव नजदीक देख सरकार ने चुनावी तोहफा देने में कोई कोताही नहीं बरती है।

उरई

उरई जनपद में भी शासन द्वारा बढ़ाई गई आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां बढ़े मानदेय से नाखुश हैं। सभी ने बढ़े मानदेय को बताया ऊंट के मुंह में जीरा बताया और सभी ने एकजुट होकर कहा कि जल्द ही सरकार को उनके मानदेय की सीमा को ठीक करना चाहिए वरना वह लोग कड़ा फैसला लेने को मजबूर होगी।

अंजली वर्मा आंगनबाड़ी का कहना है जो सरकार ने मानदेय बढ़ाया है उससे हम संतुष्ट नहीं हैं हमारा मिनी केंद्र है हमारे पास कोई सहायिका भी नहीं है ऐसी स्थिति में कम से कम मानदेय हमारा अन्य आंगनबाड़ियों के बराबर कर देते। सरकार ने भी हम लोगों का मानदेय कम बढ़ाया है जिससे हम संतुष्ट नहीं है कम से कम 10000 कर देते ठीक होता।

सुमित्रा निरंजन का कहना है कि जो मानदेय सरकार ने बढ़ाया है उससे हम संतुष्ट नहीं हैं। हर बार हम लोगों को ऐसे ही ठगा जाता है,जल्द ही इसे ठीक किया जाए।

पड़री की आंगनबाड़ी कार्यकत्री रचना श्रीवास्तव छानी का कहना है कि जो मानदेय सरकार ने बढ़ाया है उससे हम संतुष्ट नहीं हैं अगर मानदेय शिक्षामत्रि के बराबर कर देते तो हम संतुष्ट हो जाते।

आंगनबाड़ी कंचन बैध ग्राम कौशलपुर ने कहा कि सरकार ने आंगनबाड़ियों का जो मानदेय बढ़ाया है इससे हम संतुष्ट नहीं हैं अगर वह 10 हज़ार रुपए कम से कम कर देते तो कुछ हमारा भला हो सकता था।

फर्रुखाबाद

आंगनबाड़ी संगठनों की ओर से 15 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय किए जाने की मांग की जा रही थी। मगर सीधे तौर पर मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। इससे आंगनबाड़ी कर्मियों में मायूसी है। आंगनबाड़ी यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष किरन वर्मा ने 15 अक्तूबर से इसको लेकर आंदोलन का भी एलान कर दिया है। संगठन की माने तो प्रोत्साहन राशि की बजाय मानदेय बढ़ाया जाना चाहिए। जिला कार्यक्रम अधिकारी भारत प्रसाद ने बताया कि अनुपूरक पोषाहार की डीआई के अनुसार पंजीकृत लाभार्थियां केा प्रत्येक माह पोषाहारका शत प्रतिशत वितरण करने पर कार्यकर्त्री को 500, मिनी आंगनबाड़ी को 500 और सहायिका को 400 रुपये, लाभार्थियों के लिए पोषण ट्रैकर के सभी क्षेत्रों का प्रत्येक माह शत प्रतिशत फीडिंग कार्य पूरा करने पर आंगनबाड़ी को 1000, मिनी आंगनबाड़ी को 750 और सहायिका को 350 रुपये प्रोत्साहन धनराशि अतिरिक्त मानदेय के रूप में प्राप्त होगी।

महाराजगंज

जनपद महाराजगंज में आंगनवाडी कार्यकत्रियो ने कहा कि मानदेय बढ़ोत्तरी के नाम पर जो प्रोत्साहन राशी की शासन द्वारा जो शर्त दी गई है, उसका संगठन विरोध करता है। जो प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, उसे मानदेय के रूप में दिया जाए।

जिलाध्यक्ष छाया भारती ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को संतोषजनक मानदेय नहीं मिला रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सरकार उपेक्षा कर रही है। जिला संरक्षक राधेश्याम मौर्य ने कहा कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के उपर काम का बोझ बढ़ा रही है। प्रदर्शन इसके बदले सरकार जब प्रोत्साहन राशि दे रही है, तो उसपर भी शर्त रखा जा रहा है। लेकिन इस बढ़ती महंगाई पर सरकार द्वारा नहीं सोचा जा रहा है कि कार्यकर्ता कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे। सरकार द्वारा शर्तों के आधार पर बढ़ाए गए प्रोत्साहन राशि से कुछ खास फायदा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि को मानदेय में नहीं बदला गया तो संगठन द्वारा आंदोलन किया जाएगा। इतना ही नहीं, जिला स्तर से विधान सभा तक धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

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