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लम्बे समय से अनुपस्थित रहने पर आंगनवाडी कार्यकत्री की सेवा समाप्त

आंगनवाडी न्यूज़


बिजनोर के नहटौर ग्राम साहनपुर नवादा में आंगनबाड़ी कार्यकत्री ललिता सिंह के केंद्र से लगातार अनुपस्थित रहने पर सेवा समाप्त कर दी गई है। ग्राम साहनपुर नवादा में ललिता सिंह पत्नी जसवीर सिंह आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पद पर तैनात थी। प्राप्त सूत्रों के अनुसार ललिता के पति जसवीर सिंह राजस्थान में नौकरी करता है। जिसकी वजह से ललिता भी पति के साथ चली गई थी। पिछले काफी समय से आंगनवाडी केंद्र पर अनुपस्थित रहने पर ग्राम प्रधान अजीजु अहमद ने इस बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि आंगनवाडी ललिता सिंह अपने पति के साथ राजस्थान रह रही है ।जानकारी मिलने के बाद ग्राम प्रधान ने सीडीपीओ को सूचित किया।सुचना प्राप्त होने पर सीडीपीओ ने गांव पहुंचकर पूरे मामले का निरीक्षण किया और जांच के बाद उन्होंने इसकी रिपोर्ट विभाग के उच्चाधिकारियों को भेज दी थी। जांच सही पाए जाने पर सोमवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी नागेंद्र सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ललिता की सेवा समाप्त कर दी है। सीडीपीओ शोभा वर्मा ने बताया कि बिना कोई सूचना दिए केंद्र पर लगातार अनुपस्थित रहने के चलते यह कार्रवाई की गई है।

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दाल व दलिया के अलावा तेल के डिब्बे में पैकेट कम निकलने से नेफेड की सप्लाई पर लगी रोक

रायबरेली आंगनवाडी केन्द्रों पर नौनिहालों को पोषाहार उपलब्ध कराने वाली नेफेड कंपनी की आपूर्ति पर रोक लगा दी गयी है नैफेड द्वारा आपूर्ति की जा रही दाल व दलिया के अलावा तेल के डिब्बे में पैकेट कम निकलने के कारण बाल विकास विभाग ने पुष्टाहार वितरण पर रोक लगा दी है। तय मानको में खाद्य सामग्री में निरंतर कमी के चलते जिला कार्यक्रम अधिकारी ने इस संबंध में शासन को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी के पत्र के बाद आपूर्तिकर्ता नैफेड की कई टीमें जांच कर चुकी है, लेकिन अब तक कम पड़ने वाले सामान को लेकर बाल विकास विभाग व नैफेड के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है ।

अवगत हो कि 2021 वर्ष के नवंबर दिसंबर माह से आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत नौनिहालों का गर्भवती धात्री महिलाओं को पोषाहार के रूप में दाल तेल व दलिया उपलब्ध कराए जाने की शुरुआत की गई थी। और इस खाद्य सामग्री आपूर्ति के लिए शासन से नेफेड को जिम्मेदारी दी गई । लेकिन कंपनी के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते इस सामग्री को आंगनवाडी केन्द्रों पर उपलब्ध होने में 2 से 3 महीने लग जाते है । अक्टूबर 2021 की सामग्री 21 दिसम्बर को नेफेड द्वारा बाल विकास विभाग को उपलब्ध कराई और बाल विकास विभाग ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों पर सामग्री भेजने की शुरुआत की थी लेकिन इस आपूर्ति दौरान दाल व दलिया की 50 पैकेट की बोरी में 2 से 5 पैकेट तक कम निकलने पर आंगनबाड़ी वर्कर सकते में आ गयी और उन्होंने इसकी शिकायत परियोजना अधिकारी से की उसके बाद ब्लॉक स्तरीय बाल विकास परियोजना कर्मचारियों ने पेटियों से पैकेट की गिनती शुरू कराई तो पूरा मामला सबके सामने आ गया

जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद कुमार त्रिपाठी ने अधिकांश बोरियों में पैकेट कम निकलने की पुष्टि होने पर नैफेड कम्पनी के जिम्मेदारों से बात की । लेकिन नैफेड कम्पनी कर्मचारियों द्वारा जांच में पुष्टि होने के बाद भी कंपनी इस बात पर सहमत नहीं हुई कि पेटी से पैकेट कम निकल सकता है सहमति न होने पर डीपीओ ने शासन को पत्र लिखकर अवगत करा दिया और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने तक पोषाहार वितरण पर रोक लगा दी है ।

डीपीओ शरद कुमार त्रिपाठी ने बताया कि अमावा खीरों, सरेनी, जगतपुर और ऊंचाहार सहित अन्य कई ब्लॉकों में भी बोरियों में पैकेट कब निकलने की सूचना प्राप्त हुई है जिसके सम्बंद को शासन को पत्र लिखा गया और कंपनी द्वारा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने तक पोषाहार वितरण स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कंपनी कुछ भी लिखित में देने के लिए तैयार नहीं है । पूर्व में ही डैमेज हुए पैकेट कंपनी को भेजे गए थे, लेकिन अब तक उन्हें स्वीकार नहीं किया गया है । वहीं दूसरी तरफ मंगलवार को लखनऊ से नैफेड कंपनी से सुमित कुमार सहित 2 सदस्य टीम ने एक बार फिर से बोरियों में पैकेट की जांच की लेकिन करीब 20 दिन के बाद भी नेफेड कम्पनी किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है ।

शासन की योजनाओ के बाद भी नही रूक रहा कुपोषण

गाजीपुर में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को पोषण को लेकर किये गये दावे खोखले साबित हुए है। बाल विकास विभाग की तरफ से बच्चों व धात्री महिलाओं को दाल-तेल व गेहूं चावल तक वितरण किया जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी नौनिहाल कुपोषण से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। शासन की ओर से कई योजनाओं को संचालित किया जा रहा है, लेकिन इन योजनाओं के बाद भी आज भी 0 से पांच वर्ष के करीब 25 हजार नौनिहाल कुपोषण के शिकार हैं। शासन की ओर से लगातार मातृ- शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए योजनाए संचालित की जा रहीं है, लेकिन गाजीपुर कोपोषण मुक्त नहीं हुआ है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से कई वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से अति कुपोषित और कुपोषित बच्चों के अलावा गर्भवती-धात्री महिलाओं के देखभाल के लिए आंगनबाड़ी वर्करों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। नियमानुसार आंगनबाड़ी वर्कर गर्भवती-धात्री महिलाओं के साथ ही साथ शून्य से छह साल के बच्चों को चिह्नित करने के साथ उनका वजन आदि करना होता है। महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक आहार के लिए प्रेरित करना होता है। यह सब ढाक के तीन पात साबित हो रहे हैं। इसे लेकर विभागीय अधिकारी भी गंभीर नहीं है। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे का दावा है कि कुपोषित बच्चों को शासन से चलने वाली सभी योजनाओं का लाभ दिया जाता है।

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