समूह की महिला कर रही पोषाहार का गबन,योगी सरकार झूठे वादों से गुस्साई आंगनवाडी ने बजाई ताली थाली
आंगनवाड़ी न्यूज़
गोण्डा के ब्लाक नगवा में संसाधन केंद्र पर शुक्रवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन बीईओ चन्द्र भूषण पाण्डेय ने सीडीपीओ रमा सिंह की मौजूदगी में किया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत 3 से 6 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों को आंगनबाड़ी के द्वारा प्री प्राईमरी के स्तर की गतिविधियां कराते हुए कक्षा एक के लिए तैयार करना है डायट प्रवक्ता डॉ. सौमित्र सिंह ने भी आंगनवाडी कार्यकर्त्रियों को प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में 224 आंगनबाड़ी और शिक्षिकाओं ने प्रतिभाग किया। परिचय सत्र के साथ ही शुरू हुई कार्यशाला में उपस्थित ट्रेनरों ने विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के बोलने सुनने की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही बाल वाटिका के द्वारा शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के विषयों पर जानकारी दी। डॉ. सौमित्र ने बताया कि आगामी अप्रैल से आंगनबाड़ी के द्वारा सभी प्राथमिक स्कूलों में प्री प्राईमरी की गतिविधियों का संचालन शुरू हो जाएगा और इसके पूर्व प्रतिमाह एक-एक दिन के कार्यशाला का आयोजन कर आंगनबाड़ी वर्कर को प्रशिक्षित किया जाएगा।
समूह की महिलाये कर रही पोषाहार का गबन
मिर्जापुर जनपद के जिगना ब्लोक के नौगांव ग्राम में शनिवार को पोषाहार की हेराफेरी का मामला उजागर होने पर आंगनबाड़ी कार्यालय पर हंगामा हुआ। आंगनवाडी कार्यकत्रियों की सूचना पर ग्राम प्रधान ने तत्काल कार्रवाई की मांग की। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने आरोप लगाया कि एनआरएलएम के स्वय सहायता समूह ने निर्धारित मात्रा में आवंटित पोषाहार उपलब्ध नहीं कराया। समूह की सदस्य पर 22 किलो दाल, आठ पैकेट रिफाइंड तेल और दो किलो दलिया हड़पने का आरोप लगाया गया। ग्राम प्रधान जड़ावती देवी ने फोन के जरिये संबंधित अधिकारियों को पूर मामले से अवगत कराया। उन्होंने समूह सखी के सामने स्टोर रूम पर ताला लगा दिया। बाल विकास परियोजना अधिकारी व खंड विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई। इसके अलावा समूह की महिला की सदस्यता रद्द करने की मांग की गयी। उधर, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने मामला निबटने तक सूचीबद्ध बच्चों को पोषाहार वितरण कार्य ठप रखने का निर्णय किया है। गरीब तबके के बच्चों को पोषाहार वितरण में गतिरोध होने से अभिभावकों में गहरा रोष है। सुनने में आया है कि गैपुरा स्थित गोदाम के कर्मचारियों और समूह की महिला सदस्यों की मिलीभगत मे पोषाहार का गबन किया जा रहा है।
सुल्तानपुर स्थानीय विकास खण्ड के बाल पुष्टाहार विभाग के अंतर्गत कुल 207 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं।और लगभग बीस हजार नौनिहालों के पठन-पाठन व पांच हजार गर्भवती धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य का जिम्मा उठाए बाल पुष्ठाहार विभाग का कार्यालय खुद बीमार हालत में है। दो दशक बीत जाने के बाद भी ब्लाक परिसर में उधार के जर्जर भवन में कार्यालय चलाया जा रहा है।जब विभाग का कार्यालय खोलने के लिए बीस वर्ष बीत जाने के बाद भी अपना भवन नसीब नहीं हो सका है तो आंगनबाडी केन्द्रों का क्या हाल होगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। 207 केन्द्रों की अगर स्थिति देखी जाय तो 145 केन्द्र प्राथमिक विद्यालय में, 44 केन्द्र विभागीय भवन में और 14 केन्द्र पंचायत भवन के साथ चार केन्द्र व अन्य भवन में संचालित हो रहे हैं। कुल आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यकत्री 175 ,सहायिका 167 व मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 27 कार्यरत हैं। जिसमें 06 माह से 3 वर्ष के 10192 बच्चे,03 से 06 वर्ष के 9351 बच्चे तथा गर्भवती धात्री 5039 और 43 किशोरियां पंजीकृत हैं। आंगनबाड़ी के अन्तर्गत बच्चों,गर्भवती,धात्री आदि की इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी अभी तक विभाग द्वारा अपना कार्यालय व मीटिंग भवन नहीं बनाया जा सका है। आंगनबाड़ी कार्यालय का संचालन स्थानीय ब्लॉक के उधार के भवन में चल रहा है तथा आंगनबाड़ी वर्करों की मीटिंग भी ब्लॉक मुख्यालय स्थित सभागार में की जाती है।
वहीं दूसरी तरफ कुल 207 आंगनबाड़ी केंद्रों में केवल 44 केंद्र अपने भवन में चल रहे हैं। बाकी के 164 आंगनबाड़ी केंद्र उधार के भवन में चलाए जा रहे हैं। सीडीपीओ कुड़वार अजीत कुमार ने बताया कि कार्यालय भवन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन से स्वीकृति मिलने पर कार्यालय भवन का निर्माण कराया जाएगा।
लखनऊ बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ संवर्ग) के संवर्ग का काडर रिव्यू जल्द किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव कार्मिक देवेश चतुर्वेदी के साथ विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर हुई बैठक में उन्होंने ये निर्देश दिए। संयुक्त सचिव महावीर प्रसाद गौतम और बाल विकास परियोजना अधिकारी कल्याण संघ के अध्यक्ष अरुण कुमार पांडे और राज्य कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष हरि शरण मिश्र की अगुवाई में वार्ता हुई।
रामपुर। एक हजार से ज्यादा बच्चों को इलाज के बाद कुपोषण से मुक्त हो गए। इसके बाद भी दो हजार से ज्यादा बच्चे अभी भी गंभीर अति कुपोषित हैं। बीमार बच्चों को बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने के लिए उनके परिवार वालों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को प्रभावी बनाना जा रहा है। बच्चों के स्वास्थ्य स्तर की नियमित रूप से मानिटरिंग कराई जा रही है। बीमार बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जा रहा है। पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चे की लंबाई के अनुपात में वजन के साथ ही अन्य विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य मानकों पर परीक्षण कराया जा रहा है। स्वास्थ्य परीक्षणों के आधार पर चिन्हित कमियों में सुधार लाने के लिए बच्चे का उपचार प्रारंभ किया जाता है। ऐपेटाइट टेस्ट के आधार पर बच्चे के कुपोषण होने की वजह का पता चलता है। कमियों को चिन्हित कर भर्ती होने के दौरान बच्चे की डाइट का निर्धारण किया जाता है। केंद्र प्रभारी मेडिकल आफिसर डा. हैदर के मुताबिक बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में कम से कम 14 दिन भर्ती कर उनके स्वास्थ्य और पोषण की लगातार निगरानी की जा रही है। पोषण पुनर्वास केंद्र में 1047 बच्चों को स्वास्थ्य उपचार सेवाएं मुहैया कराई जा चुकी है। कुछ अन्य बीमारियों की वजह से जब बच्चे के स्वास्थ्य में लक्ष्य के सापेक्ष सुधार नहीं होता है तो उसकी बीमारियों को चिंहित कर उनका इलाज किया जाता है।
वादों से मुकरी सरकार को आंगनवाडी वर्करो ने अपनी नजरो से गिराया
जौनपुर अनिश्चितकालीन काम बंद कलम बंद हड़ताल के तीसरे दिन आंगनबाड़ी कर्मचारी व सहायिका एसोसिएशन जौनपुर की जिलाध्यक्ष सरिता सिंह एवं जिला मंत्री मीनाक्षी शुक्ला के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। इस दौरान जमकर थाली व चम्मच पीटा गया। रोडवेज से अंबेडकर तिराहा होते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में 8 सूत्री मांग का ज्ञापन सौंपा। वरिष्ठ अध्यक्ष सरिता सिंह ने आंगनबाड़ी एवं सहायिकाओं की सेवा नियमावली बनाए जाने एवं उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिए जाने की मांग की। साथ ही आंगनबाड़ी को 18000 प्रतिमाह तथा सहायिकाओं को 9000 प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की भी मांग जोरदार ढंग से उठायी। उत्तर प्रदेश सरकार से अपने पूर्व घोषित वादे के अनुरूप अविलंब निर्णय लेने हेतु अपील किया गया। विशाल जुलूस में पैदल चल रही आंगनबाड़ी एवं सहायिकायें पूरे उत्साह के साथ मुख्यमंत्री जी वादा पूरा करो, काम के बराबर दाम दो, राज्य कर्मचारी का दर्जा दो, भेदभाव बंद करो नारा लगा रही थी।
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महाराजगंज आंगनबाड़ी कर्मचारी एवं सहायिका एसोसिएशन से जुडी कार्यकर्त्रियों व सहायिकाओं ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की धार को तेज कर दिया है। समर्थन के आह्वान पर धरना के तीसरे दिन सपाई भी शामिल हो गए व उनकी मांगों को जायज बताया। जिला संरक्षक राधेश्याम मौर्या ने कहा कि सरकार ने बार-बार मानदेय बढोत्तरी की घोषणा की। 2017 के चुनावी संकल्प पत्र में सन्तोषजनक मानदेय देने का वादा किया था। दस हजार रूपये मानदेय की घोषणा भी की गयी थी। लेकिन उसको भी पूरा नहीं किया गया। मजबूर होकर कार्यकर्त्रियों को आंदोलन करना पड़ रहा
मानदेय बढ़ाने, नियमित करने, प्रोत्साहन धनराशि दिए जाने समेत अपनी कई मांगों के लेकर आंगनबाड़ी कार्य कार्त्रियोँ ने गुरुवार से जिला मुख्यालय पर अनिश्चित कालीन धरना दे रही हैं। धरना के तीसरे दिन सपा के पदाधिकारी निर्मेश मंगल समेत कई लोग धरने में शामिल हुए।धरना का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने कार्यकर्त्रियों को कुछ भी नहीं दिया। सपा सरकार में जो सुविधाएं मिल रही थी वही अब भी मिल रही है।
गोरखपुर। नगर निगम के महारानी लक्ष्मीबाई पार्क में शनिवार को दूसरे दिन भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का धरना जारी रहा। प्रदेश सरकार की वादा खिलाफी से उनमें जबरदस्त नाराजगी है। अवगत हो कि कुछ माह पहले मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने की
घोषणा की थी, जिस पर अभी तक अमल नहीं हुआ। सम्मानजनक मानदेय के लिए, वे कड़ा रुख अपने की तैयारी कर रही हैं। आंगनबाड़ी कर्मचारी व सहायिका एसोसिएशन के बैनर तले आयोजित धरने में उपस्थित संगठन की नेताओं ने कहा कि सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में संगठन धरना देने के लिए मजबूर हुआ है। यदि अब भी सरकार ने नहीं चेती तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष गीतांजलि मौर्य ने कहा कि यह पहली सरकार है, जो घोषणा करके पीछे हट रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो बार कहा था कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 1500 तथा सहायिकाओं का मानदेय 750 बढ़ा दिया गया है। इसके लिए उन्होंने बजट प्रावधान
करने की बात कही थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हर रोज नए काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए जा रहे हैं। करोना काल में कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोरोना की वजह से जान भी गंवानी पड़ी। आज उनके परिवार का हाल कोई पूछने वाला नहीं है। अब संगठन ने निर्णय लिया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने हक को लेकर रहेंगी।