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चुनाव प्रचार करने पर आंगनवाड़ी पर शासकीय नियम लागू नहीं : हाईकौर्ट

आंगनवाड़ी न्यूज

चुनाव मे प्रचार करने पर बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी वर्कर की सेवा समाप्त करने पर हाईकौर्ट ने बड़ा आदेश जारी करते हुए सेवा बहाल करने के आदेश जारी कर दिये है।

इस सम्बंध मे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि बाल विकास की आँगनबाड़ी वर्करो पर राजकीय सेवा नियमावली लागू नहीं होती है और न ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पूर्ण रूप से शासकीय कर्मचारी सेवक नहीं है। इसके साथ ही शासन द्वारा जारी आंगनवाड़ी भर्ती नियमावली मे इस बात का कही भी जिक्र नहीं है कि आँगनबाड़ी कार्यकर्ता चुनावी प्रचार में भाग नहीं ले सकती।

जबलपुर मे नर्मदापुरम निवासी आंगनवाड़ी वर्कर सुमित्रा अहिरवार के वकील उमाशंकर तिवारी ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि बाल विकास विभाग ने आंगनवाड़ी पर यह आरोप लगाते हुए उसकी सेवा समाप्त कर दी है कि उन्होंने अपनी बहन के पक्ष मे स्थानीय निकाय चुनाव में प्रचार किया था। साथ ही आंगनवाड़ी के मोबाइल के स्क्रीन शॉट को भी शिकायत के साथ कोर्ट मे भेजे गए है।

आंगनवाड़ी के स्थानीय क्षेत्र मे सीडीपीओ ने 11 जुलाई 2022 को आंगनवाड़ी सुमित्रा की चुनाव प्रचार करने के कारण सेवाएँ समाप्त कर दीं थी। इस पर आंगनवाड़ी ने जिले के जिलाधिकारी और संभागायुक्त के समक्ष अपना पक्ष रखा था लेकिन इन अधिकारियों ने भी आंगनवाड़ी की अपील निरस्त करते हुए सेवा समाप्ति के आदेश को जारी रखा।

आंगनवाड़ी याचिकाकर्ता के वकील उमाशंकर तिवारी ने कोर्ट को बताया कि आँगनबाड़ी एक मानदेय कर्मी है साथ ही आंगनवाड़ी किसी शासकीय कर्मचारी की श्रेणी मे नहीं आती। आंगनवाड़ी को सिर्फ मानदेय मिलता है इसके अलावा इनको कोई सरकारी सुविधा नहीं दी जाती है। इसीलिए आंगनवाड़ी पर कोई भी राज्य कर्मचारी की नियमावली लागू नहीं हो सकती।

वकील उमाशंकर का कहना है कि आंगनवाड़ी पर केवल बदले और राजनीतिक दबाव के कारण सेवा समाप्त की गयी है। आंगनवाड़ी के चुनावी प्रचार मे शामिल होना या पक्ष मे प्रचार करने से विपक्ष कमजोर हुआ जिससे ये कार्यवाही की गयी है।

पूरी सुनवाई होने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि सेवा समाप्त करने वाले तीनों अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर राजनीतिक तौर पर कार्य कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि तीनों अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि साक्ष्य अधिनियम के तहत कोर्ट मे वॉट्सअप मैसेज साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं।

इन तीनों अधिकारियों ने बिना सत्यापन और प्रमाणीकरण के आंगनवाड़ी पर कार्रवाई की है, जो कि कानून की नजर में पूरी तरह अनुचित है। इस मत के साथ जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल पीठ ने याचिकाकर्ता आँगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमित्रा को 7 दिन के भीतर सेवा में बहाल करने के निर्देश जारी किये है।

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