योगी सरकार आंगनवाड़ी वर्करो के लगातार धरने प्रदर्शन करने के बाद भी मानदेय बढ़ोतरी और ग्रेजुवेटी की मांग की उपेक्षा कर रही है। जबकि इन मांगो को लेकर अन्य राज्यो की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने भी अपनी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ धरने दिये है लेकिन कोई भी सरकार आंगनवाड़ी को लेकर सिरियस नहीं है।
यूपी मे आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा अपने अपने क्षेत्रो के विधायक और सांसदो से मिलकर ज्ञापन दिये जा रहे है। देश के सभी बड़े न्यूज़ चेनल और अखबार मे आंगनवाड़ी समस्याओ को प्रकाशित किया जाता है लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है जबकि सरकार के अधिकांश शासकीय कार्य आंगनवाड़ी द्वारा ही पूर्ण किए जाते है।
वर्ष 1975 में शुरू किया गया महिला एवं बाल विकास विभाग केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से जुड़ा था। उस समय आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को 75 रुपए और केंद्रीय कर्मियों को 50 रुपए मिलता था। लेकिन वर्तमान समय मे केंद्रीय कर्मियों को लगभग एक लाख रुपए का वेतन मिल रहा है जबकि आंगनवाड़ी वर्करो को केंद्र सरकार से मात्र 4500 रुपये मानदेय मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र प्राथमिक विद्यालय के परिसर में संचालित है इन केन्द्रो का कार्यत्रियों द्वारा प्राथमिक स्कूलों के समयानुसार संचालन किया जाता है। आंगनवाड़ी द्वारा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चो को नियमित रूप से शिक्षा दी जा रही है।
इसके बाद भी जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा आंगनवाड़ी को बी.एल.ओ और अन्य विभागीय कार्यों में देऊटी कराते है जबकि हाईकौर्ट का सख्त आदेश है कि आंगनवाड़ी वर्करो से बाल विकास विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग के कार्य न कराये जाए।
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